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उत्तराखंड की इस प्राचीन गुफा में छिपा है दुनिया के अंत का गहरा राज, देर होने से पहले जान लें क्या है सच्चाई

Patal Bhuvaneshwar Temple: उत्तराखंड की यात्रा भीड़-भाड़ वाली दुनिया से राहत पाने के लिए सबसे अच्‍छी जगह है। लेकिन अगर आपको रहस्यमयी चीजों को जानने का शौक है, तो आपको यहां पाताल भुवनेश्वर गुफा जरूर जाना चाहिए।

Authored byसपना सिंह | नवभारतटाइम्स.कॉम 30 Jan 2023, 11:01 am
दुनिया सहित भारत में कई गुफाएं हैं। जंगल और घाटियों के अंदर छिपी यह गुफाएं यहां दफन खजाने की तरह हैं। हालांकि अब कई प्राचीन गुफाओं को तो पर्यटन स्‍थलों में तब्‍दील कर दिया गया है। कुछ गुफाएं तो ऐसी हैं, जो आज तक एक रहस्यमय पहेली बनकर रह गई हैं। तो चलिए हम आपको भारत की एक ऐसी गुफा में ले चलते हैं जो निश्चित तौर से आपकी जिज्ञासा को और बढ़ा देगी।
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उत्तराखंड की इस प्राचीन गुफा में छिपा है दुनिया के अंत का गहरा राज, देर होने से पहले जान लें क्या है सच्चाई

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में गंगोलीहाट से 14 किमी दूर स्थिति एक प्राचीन गुफा है। इसे पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर के नाम से जाना जाता है। भारत के प्राचीन ग्रंथों में इस गुफा की महिमा का वर्णन किया गया है। माना जाता है कि यह एकमात्र ऐसी गुफा है, जिसमें दुनिया के अंत का गहरा राज छुपा हुआ है।

​राजा रितुपर्णा ने की थी गुफा की खोज -​

यह गुफा समुद्र तल से लगभग 90 फीट नीचे स्थित है। इसके अंदर जाने का रास्‍ता काफी संकरा है। इतिहासकारों की मानें तो इस मंदिर की खोज सूर्यवंश के राजा रितुपर्णा ने की थी। बताया जाता है कि राजा रितुपर्णा को नागों के राजा ने अंदर ले लिया था। जहां उन्‍हें भगवान शिव और देवताओं के दर्शन हुए।


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(फोटो साभार : wikimedia commons)

​पांडवों ने की पूजा - ​

ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने भी इस गुफा में पूजा की है। स्कंद पुराण में इस बात का उल्लेख है कि भगवान शिव पाताल भवुनेश्‍नर में रहते हैं, जहां सभी देवी देवता उनकी पूजा करने आते हैं। पौराणिक कथाओं की बात करें, तो आदि शंकराचार्य ने बाद में इस गुफा की खोज की थी। यहां उन्‍होंने तांबे से बना एक शिवलिंग स्‍थापित किया।

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(फोटो साभार : wikimedia commons)

​मंदिर में चार द्वार - ​

इस मंदिर में चार द्वार हैं। रण द्वार, पाप द्वार, माक्षे द्वार और धर्म द्वार। पौराणिक कथाओं की मानें तो, रावण की मृत्यु पर पाप द्वार बंद कर दिया गया था। जबकि महाभारत युद्ध के बाद रण द्वार भी बंद कर दिया गया था। वर्तमान में केवल मोक्ष द्वार और धर्म द्वार ही खुले हैं। यह भी माना जाता है कि भगवान गणेश का कटा हुआ सिर भी इस मंदिर में गिरा था। मंदिर में मौजूद चार स्‍तंभ सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग के प्रतीक हैं।

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​लगातार बढ़ रहा है शिवलिंग - ​

ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में शिवलिंग लगातार बढ़ रहा है। मान्यताओं के अनुसार, जब शिवलिंग मंदिर की छत को छू जाएगा तो दुनिया खत्‍म हो जाएगी।

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​करना पड़ता है बारी का इंतजार - ​

आपको क्‍या लगता है इस रहस्‍यमयी गुफा तक पहुंचना आसान होगा। जी नहीं, यहां पहुंचना हर तीर्थयात्री के लिए चुनौती भरा हो सकता है। हर तीर्थयात्री को अपनी बारी आने तक कम से कम 30 मिनट तक का इंतजार करना पड़ता है। बता दें कि गुफा में एक बार में 15 लोगों को जाने की परमिशन है। हैरानी की बात है कि सकरी होने के बाद भी आप गुफा में थकान महसूस नहीं करेंगे।

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​कैसे पहुंचे पाताल भुवनेश्‍वर - ​

फ्लाइट से - अगर आप फ्लाइट से जा रहे हैं, तो यहां से 91 किमी दूर नैनी सैनी करीबी हवाई अड्डा है।

ट्रेन से - ट्रेन से जाने के लिए आपको अपने शहर से काठगोदाम तक की ट्रेन लेनी होगी। यह रेलवे स्‍टेशन पाताल भुवनेश्‍वर से 192 किमी दूर है।

सड़क मार्ग से - यह गुफा अल्मोड़ा, बिनसर, जागेश्‍वर, कौसानी, रानीखेत, नैनीताल जैसे शहरों के साथ अच्‍छी तरह से जुड़ी है। इसलिए आप अपने वाहन से भी यहां तक पहुंच सकते हैं।


लेखक के बारे में
सपना सिंह
सपना सिंह को मीडिया इंडस्ट्री में 7 साल से ज्यादा का अनुभव है। इनको न केवल डिजिटल में बल्कि प्रिंट मीडिया में भी काम करने का तजुर्बा है। सपना ने हेल्थ, ब्यूटी जैसे विषयों पर कई वर्षों तक लिखा है, लेकिन मौजूदा समय में ये NBT ट्रेवल सेक्शन को लीड कर रही हैं। उन्हें घूमना बड़ा पसंद है, पहाड़ों पर चढ़ना, कैंपिंग-हाइकिंग करना, हर वीकेंड रेस्तरां एक्सप्लोर करना उनकी हॉबी में आता है। यही कारण है उन्होंने पछले 3 सालों से ट्रेवलिंग को अपना एक शौक बना लिया है। अब वो अपने अनुभव और दुनियाभर की खूबसूरत जगहों को अपनी लिखावट के जरिए लोगों तक पहुंचाती हैं। उनका कहना है ‘घूमना ही जिंदगी का नाम है।... और पढ़ें

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