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शिमला नहीं बल्कि ये पहाड़ी जगह है भारत का पहला हिल स्टेशन, जिसे अंग्रेजों ने बनाया था बड़ी शिद्दत से

मसूरी भारत का पहला हिल स्टेशन है, जिसे अंग्रेजों ने अपने मनोरंजन के लिए विकसित किया था। अगर आप हिल स्टेशनों पर घूमने का शौक रखते हैं, तो आपको मसूरी के बारे में भी जानना चाहिए।

नवभारतटाइम्स.कॉम 17 May 2022, 10:05 am
भारत में हिल स्टेशन काफी पॉपुलर हैं। गर्मी की छुट्टियां बिताने के लिए छोटा हो या बड़ा ,हिल स्टेशन लोगों को काफी पसंद आता है। भारत में हिल स्टेशन के विकास की शुरूआत अंग्रेजों ने की थी। अंग्रेजों ने सैनिटेरियन के लिए भारत में हिल स्टेशन शुरू किए थे। मांउट रिजॉर्ट के लिए अंग्रेज हिल स्टेशन का इस्तेमाल करते थे। दरअसल, हिल स्टेशन एक ऐसा एरिया है, जो आसपास के इलाकों की तुलना में बहुत ऊंचाई पर स्थित है। इनकी हाइट समुद्र तल से फीट या मीटर में मापी जाती है। उत्तराखंड का पहला हिल स्टेशन मसूरी है, जिसे सबसे पहले अंग्रेजों ने विकसित किया था। मसूरी को हिल स्टेशनों के रूप में विकसित करने वाले लोग मुख्य रूप से ब्रिटिश सेना के अधिकारी , सैन्य चिकित्सक, व्यवसाय और प्रशासक थे। भारत में हिल स्टेशन एक प्रकार के पर्यटन स्थल हैं, जिनका इस्तेमाल अंग्रेज अपने मनोरंजन और गर्मियों में रहने के लिए किया करते थे।
नवभारतटाइम्स.कॉम mussoorie first hill station established by british
शिमला नहीं बल्कि ये पहाड़ी जगह है भारत का पहला हिल स्टेशन, जिसे अंग्रेजों ने बनाया था बड़ी शिद्दत से


1823 में बना था भारत का पहला हिल स्टेशन मसूरी -

भारत के पहले हिल स्टेशन का श्रेय कैप्टन यंग को जाता है। सन् 1823 में मसूरी का पहला हिल स्टेशन स्थापित हुआ था। मसूरी सुमद्र तल से 6758 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसकी लोकप्रियता के कारण यह भारत में 'पहाड़ियों की रानी' के रूप में मशहूर है। उत्तराखंड में मसूरी, नैनीताल, अल्मोड़ा, भीमताल, धनोल्टी, लैंसडाउन, रानीखेत जैसे 40 से ज्यादा हिल स्टेशन हैं। लेकिन फिर भी उत्तराखंड के पहले हिल स्टेशन का श्रेय मसूरी को ही जाता है।

भारत में हिल स्टेशन की विचारधारा -

भारत में हिल स्टेशन का कंसेप्ट शुरू करने वाले ब्रिटिशर्स ही थे। उन्होंने निजी और आधिकारिक उद्देश्यों के लिए इसका विकास किया था। हिल स्टेशनों की उत्पत्ति 19वीं शताब्दी की शुरूआत में देखी जा सकती है। उन्होंने गर्मी के दिनों में बीमारी से उबरने से लिए हिमालय पर्वत की गोद में सैनिटेरिया की स्थापना की थी। इसका उपयोग ब्रिटिश मूल के हेल्थ रिजॉट्र्स और हॉलीडे रिजॉर्ट के रूप में भी किया जाता था। उन्होंने 1820 में पहली बार स्थानीय राजकुमारों से मसूरी के पहाड़ी इलाकों में जमीन खरीदी थी।

मसूरी का इतिहास -

मसूरी 1803 में गोरखाओं के नेता उमर सिंह थापा के नेतृत्व में था। गोरखा कुमाऊं, गढ़वाल और सिक्किम में अपने राज्य का विस्तार करना चाहते थे। इसलिए नवंबर 2014 में गोरखाओं और अंग्रेजों के बीच युद्ध छिड़ा। अंग्रेजों ने युद्ध जीत लिया और इसे सहारनपुर में मिला दिया।

मसूरी में पहला घर -

पहला घर मसूरी में मिस्टर शोर और कैप्टन यंग की एक छोटी सी झोपड़ी थी। बाद में कैप्टन यंग ने मूसरी में मुलिंगर नाम से अपना बड़ा घर बनाया। धीरे-धीरे कई अन्य यूरोपीय मसूरी प्राकृतिक सुंदरता से आकर्षित हुए। कहा जाता है कि पहला अंग्रेजी सेब का पेड़ मसूरी में लगाया गया था।

भारत की हनीमून राजधानी है मसूरी -

मसूरी को कभी समर कैपिटल भी कहा जाता है। इसे लोग भारत की हनीमून राजधानी भी कहते हैं। वर्ष 1900 में हरिद्वार-देहरादून रेलवे लाइन के विकास के बाद मसूरी उत्तर भारत में आसानी से पहुंचने वाला हिल स्टेशन बन गया, जिस वजह से ये और भी ज्यादा लोकप्रिय बन गया।

उत्तराखंड में हिल स्टेशन -

मसूरी सड़क मार्ग से देहरादून से लगभग 35 किमी दूर है। यह गढ़वाल हिमालय पर्वतमाला तलहटी में स्थित है। खूबसूरत प्राकृतिक नजारों , झरनों , बर्फबारी से भरपूर पर्यटन स्थल यहां दुनियाभर के पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। मसूरी का मौसम गर्मियों में बहुत सुहावना होता है और सर्दियों में यहां बहुत ठंड पड़ती है। पर्यटक यहां सर्दियों में बर्फबारी देखने और गर्मियों में सुहावने मौसम में आनंद लेने आते हैं।

मसूरी के पर्यटन स्थल -

मसूरी में लाल टिब्बा, मीस्टो वॉटरफॉल, कैम्प्टी फॉल्स, गन हिल, लाखा मंडल, हैप्पी वॉल, मोसी फॉल, धनोल्टी मशहूर पर्यटन स्थल हैं।

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