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लाल किले का दूसरा हमाम भी देख सकेंगे पर्यटक

लाल किले के दक्षिणी हिस्से में मुमताज महल के पास एक हमाम बना हुआ है। अब तक लोगों को इस ओर जाने की नहीं थी इजाजत। लेकिन अब लाल किले का यह दूसरा हमाम भी पर्यटक अब घूम सकेंगे...

अखिलेश चन्द्र | नवभारत टाइम्स 2 Jul 2019, 4:16 pm
अब लाल किले में पर्यटकों को एक और मुगलकालीन संरचना देखने को मिलेगी। यह है किले का दूसरा हमाम। मुमताज महल के पास बना यह हमाम अब तक झाड़ियों में छिपा हुआ था। इसकी साफ-सफाई और संरक्षण के बाद लोग इसे देख सकेंगे। हालांकि, अब इसके अवशेष ही बचे हैं। करीब 160 साल बाद पर्यटक इसे देख पाएंगे।
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सूत्रों के मुताबिक, 1857 में अंग्रेजों ने जब लाल किले पर कब्जा किया तो बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की। किले के दक्षिणी हिस्से में मुमताज महल है। यह शाही हरम का हिस्सा था। इसके बाद कोई भी इमारत सुरक्षित नहीं बची। उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिहाज से जो निर्माण किए वे आज भी मौजूद हैं। मुमताज महल के पास अब तक यहां केवल झाड़ियां ही थीं। अब साफ-सफाई कर दी गई है। कन्जर्वेशन के बाद लोगों को यह ऐतिहासिक धरोहर देखने को मिलेगी। यह हमाम करीब 40 फीट लंबा और 15 फीट चौड़ा है। अब तक इस हिस्से की ओर लोगों को जाने की इजाजत नहीं थी।

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आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की योजना है कि हमाम के संरक्षण के बाद में इसे लोगों को देखने की इजाजत दी जाएगी। लाल किले में मोती मस्जिद और दीवान-ए-खास के पास एक और हमाम है। ऐसा माना जाता है कि यह शाही बच्चों के नहाने के लिए था। यह हमाम किले के उत्तरी हिस्से की ओर है। मुमताज महल के पास वाले हमाम और दीवान-ए-खास के पास मौजूद हमाम में काफी दूरी है।

अब तक झाड़ियों में छिपा था यह हमाम


शाहजहां ने आगरा से हटाकर अपनी राजधानी दिल्ली लाने के बाद शाहजहांनाबाद शहर बसाया और लाल किले की नींव सन् 1639 में रखी। 9 साल बाद यानी सन् 1648 में लाल किला बनकर तैयार हो गया। तब से अब तक इस ऐतिहासिक धरोहर ने कई राज देखे और देश के बदलाव का गवाह बना रहा। यह अपने आपमें बेशुमार ऐतिहासिक धरोहर समेटे हुए है।

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लाल किले में बड़े पैमाने पर संरक्षण का काम चल रहा है। इनमें छत्ता बाजार की छतों की मुगलकालीन नक्काशी और दुकानों के गेट मेहराब की तरह करना शामिल है। इसके अलावा, खास महल और दीवान-ए-खास में भी संरक्षण का काम चल रहा है।

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