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Exclusive: अर्चना पूरन सिंह बोलीं- टिके रहना है तो फीस में निगोशिएशन करना होगा

अर्चना पूरण सिंह ( Archana Puran Singh ) कहती हैं कि समय को देखते हुए सभी आर्टिस्ट्स को अपनी फीस में कटौती करनी चाहिए, जिससे इस मुश्किल समय में किसी पर कोई भार न पड़े, सबकी नौकरी बनीं रहे। यह भी सच है कि अपने काम यानी इंडस्ट्री में टिके रहना है तो फीस में कटौती करके काम करना होगा।

Edited byसंजय मिश्रा | नवभारतटाइम्स.कॉम 11 Sep 2020, 6:16 pm
'द कपिल शर्मा शो' ( The Kapil Sharma Show ) में पिछले एक साल से लॉफिंग जज की कुर्सी में विराजमान ऐक्ट्रेस अर्चना पूरन सिंह ने नवभारतटाइम्स डॉट कॉम से खास बातचीत की। इस बातचीत में अर्चना ने कोरोना महामारी की वजह से दुनिया भर में आई आर्थिक मंदी के बाद बॉलिवुड के काम-काज और ऐक्टर्स के मेहनताने में कटौती पर बात की। अर्चना ने अपने और अन्य आर्टिस्ट के मेहनताने ( Fees ) को लेकर खुल कर बात की।
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Exclusive: अर्चना पूरन सिंह बोलीं- टिके रहना है तो फीस में निगोशिएशन करना होगा


पहले भी कर चुकी हूं अपनी फीस में कटौती
'जब भी आप कोई कॉन्ट्रैक्ट कहीं भी साइन करते हैं, सौदेबाजी के बाद ही समझौता होता है। अब यह सिर्फ लॉकडाउन की बात नहीं है, पहले भी हम आर्टिस्ट की फीस या मेहनताने की रकम पर कटौती होती रही है। समय की मांग देखकर हम आर्टिस्ट भी अपना मेहनताना कम-ज्यादा करते रहे हैं।'

रिसेशन के समय भी निर्माताओं ने मेहनताने पर निगोशिएट किया था
'आपको याद होगा साल 2011 के आस-पास जब दुनिया आर्थिक मंदी से जूझ रही थी, तब भी शो बनाने वाले निर्माताओं के साथ मेहनताने के निगोशिएशन की बातचीत हुई है। तब मेरे मेहनताने में कटौती हुई थी, तब प्रड्यूसर ने मौजूदा हालात के बारे में हमसे बात की और अब हमेशा मिलने वाली फीस न दे पाने की विवशता दिखाई तो मुझे अपनी फीस कम करनी पड़ी। हमेशा आपको ऐसे मुश्किल समय पर रियलिस्टिक रहना पड़ता है।'

इस समय चैनल को भी आधा पैसा ही मिल रहा है
'आप समझिए जब हर कोई घाटे में काम कर रहा है, तब आप अकेले कैसे अपनी फीस हाई चार्ज कर सकते हैं। यह सर्कल प्रॉडक्ट के विज्ञापन से शुरू होता है। टीवी पर प्रॉडक्ट का विज्ञापन भी आधा हो जाता है, तब चैनल्स को भी आधा पैसा ही मिलता है, वह भी बाजार की मंदी की कटौती के साथ, जब चैनल शो बनाने वाले निर्माताओं को कितना पैसा देंगे, ऐसे में जाहिर है कि निर्माता हम आर्टिस्ट की फीस पर कटौती जरूर करेंगे।'

यह ऐसा सर्कल है, जिसमें हम एक-दूसरे से जुड़े हैं
'अब हम उपभोक्ता भी हैं, पैसा कम होगा तो प्रॉडक्ट खरीदने में कटौती करेंगे। अब हमने प्रॉडक्ट कम खरीदा तो प्रॉडक्ट के निर्माण में कमी आएगी। यह एक सायकल है, उत्पादक से विज्ञापन, विज्ञापन से चैनल, चैनल से प्रड्यूसर, प्रड्यूसर से हम आर्टिस्ट यानी कंज्यूमर भी, अब कंज्यूमर भी तो उत्पादन की खरीदी कम कर रहे हैं।'

टिके रहना है तो रियलिस्टिक फीस पर करना होगा काम
'यह साफ जाहिर है कि अब हम जहां भी काम करेंगे, इंडस्ट्री के अंदर या बाहर, जो एम्प्लॉयर होगा, वह जरूर अपने बजट के बॉटम लाइन के हिसाब से रीनिगोशिएट करेगा। अब इसमें हर तरह के छोटे-बड़े और बिचौले एम्प्लॉयर शामिल हैं। अब ऐसे में जब हमको कहा जाएगा या जा रहा है कि अपनी फीस कम करें तो हम भी एक रियलिस्टिक फीस बताएं, ताकि एम्प्लॉयर को आपका अपने काम में टिके रहना जायज भी लगे।'

मैं फीस में कटौती के लिए तैयार हूं
'अगर हम अपनी फीस कम ( remuneration cut ) नहीं करेंगे तो ऐसा भी हो सकता है कि उनको 4 अन्य लोगों को काम से निकलना पड़े। अगर आप कटौती करेंगे और हम सभी लोग इस कटौती के लिए राजी हैं तो किसी की नौकरी नहीं जाएगा, कोई घर नहीं बैठेगा। मैं मेंटली हर तरह की कटौती के लिए आगे भी तैयार हूं।'

फीस कम कर प्रड्यूसर और चैनल को सपॉर्ट करें आर्टिस्ट
'इस समय यह भी जरूरी है कि हम अपने उस चैनल और प्रड्यूसर को सपॉर्ट करें जो आपको अच्छे दिन में अच्छा पैसा दे रहा था। अब जब वक्त बुरा है हमको भी उनको सपॉर्ट करना है, जो हमको काम देते हैं। लोग इस बात को भूल जाते हैं कि हमको काम देने वाला महान होता है। मैं तो यह मानती हूं। अच्छे दिनों में आप मुंह खोलकर फीस मांगिए, लेकिन बुरे समय में सपॉर्ट करिए। यह जो भी निगोशिएशन है वह सब टेम्परेरी है।'
लेखक के बारे में
संजय मिश्रा
"संजय मिश्रा (Sanjay Mishra Katyani) पिछले 17 सालों से फिल्म जर्नलिस्ट हैं। साल 2006 में दूरदर्शन से एक रिपोर्टर के तौर पर अपनी शुरुआत करने के बाद, लाइव इंडिया, मी मराठी, नेटवर्क 18 हिंदी, इंडिया टीवी और न्यूज़ एक्सप्रेस जैसे न्यूज़ चैनल के साथ 10 साल सक्रिय फिल्म रिपोर्टिंग की। साल 2015 में बुक माय शो के साथ जुड़कर डिजिटल/ऑनलाइन न्यूज़ की दुनिया में कदम रखा और बीबीसी हिंदी और जागरण डॉट कॉम के साथ कार्य किया। साल 2016 से टाइम्स ऑफ इंडिया परिवार, नवभारत टाइम्स डॉट कॉम का हिस्सा बन गए। एनबीटी में 2016 से प्रिंसिपल डिजिटल कंटेंट प्रड्यूसर के रूप में कार्यरत। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले संजय मिश्रा का जन्म और पढ़ाई-लिखाई मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में हुई।... और पढ़ें

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