ऐक्ट्रेस युविका चौधरी (Yuvika Chaudhary) को एक जातिसूचक शब्द के इस्तेमाल के सिलसिलेम में हरियाणा पुलिस ने सोमवार (18 अक्टूबर) को गिरफ्तार (Yuvika Chaudhary arrested) कर लिया। बाद में ऐक्ट्रेस को पूछताछ के बाद अंतरिम जमानत (Yuvika Chaudhary interim bail) पर रिहा कर दिया गया। युविका चौधरी ने इस साल मई में एक वीडियो ब्लॉग बनाया था जिसमें उन्होंने एक जातिगत शब्द का इस्तेमाल किया था। तब इस पर खूब बवाल हुआ था और युविका की गिरफ्तारी की मांग उठने लगी थी। हालांकि उस वक्त युविका ने माफी मांग ली थी।
मुनमुन दत्ता ने भी की थी जातिगत टिप्पणी, हुआ था केस दर्ज
युविका चौधरी पर एससी-एसटी ऐक्ट (SC/ST Act) के तहत एक दलित कार्यकर्ता ने केस दर्ज करवाया था। युविका चौधरी से पहले ऐक्ट्रेस मुनमुन दत्ता (Munmun Dutta) ने भी एक जातिगत शब्द (Munmun Dutta casteist slur) का इस्तेमाल किया था और उनकी भी गिरफ्तारी की मांग उठी थी। 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) में बबीता जी का रोल प्ले करने वालीं मुनमुन दत्ता ने भी इसी साल मई में एक वीडियो में एक जातिगत टिप्पणी की थी, जिस पर खूब बवाल मचा। उनके खिलाफ गैर जमानती धाराओं में केस दर्ज किया गया था।
युविका के इस वीडियो पर हुआ था बवाल
मुनमुन दत्ता वाला विवाद शांत भी नहीं हुआ था कि तभी युविका ने भी वही गलती कर दी और अब वह इस मामले में अंतरिम जमानत पर हैं। जिस वीडियो ब्लॉग पर बवाल हुआ था, उसमें युविका कहती नजर आ रही थीं, 'मैं जब भी व्लॉग बनाती हूं तो हमेशा भं**** की तरह खड़ी रहती हूं आके। मुझे इतना टाइम मिलता ही नहीं है कि अपने आप को ढंग से निखार सकूं। मुझे इतना बुरा लग रहा है और ये मुझे व्लॉग बनाने के लिए टाइम नहीं दे रहा है।'
क्या है SC/ST ऐक्ट?
अब बात करते हैं उस एससी-एसटी कानून (1989) (SC/ST Act 1989) की, जिसके तहत युविका पर मामला दर्ज किया गया। आखिर यह कानून क्या कहता है और इसमें कितनी सजा है, यहां हम आपको बता रहे हैं। पहले तो यह जान लीजिए कि एससी-एसएटी ऐक्ट क्या है। यह ऐक्ट अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों की सुरक्षा के लिए बनाया गया था और 1989 में पारित किया गया था।
यह ऐक्ट या कानून दलितों के खिलाफ होने वाले जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल और उन पर होने वाले अत्याचारों को रोकने में मदद करता है। इसका मकसद दलितों के प्रति समाज में फैले भेदभाव और अत्याचारों को रोकना है और उन्हें सुरक्षा मुहैया करवाना है। इस ऐक्ट के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के किसी व्यक्ति के साथ भेदभाव करता है या उसे किसी भी तरह से प्रताड़ित करता है तो उसके खिलाफ कठोर सजा का प्रावधान है।
पढ़ें: अरेस्ट करने की मांग उठी तो युविका चौधरी ने मांगी माफी, कहा- नहीं पता था शब्द का मतलब
क्या है प्रावधान?
वहीं SC/ST Act की धारा 18-ए यह कहती है कि जो भी व्यक्ति इस कानून का उल्लंघन करेगा, जातिगत टिप्पणी या दलितों को किसी भी तरह से प्रताड़ित करेगा तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले न तो किसी जांच की जरूरत है और न ही गिरफ्तारी से पहले किसी तरह के आदेश की। इसमें तुरंत जांच और तुरंत कार्रवाई का प्रावधान है। अगर गुनाह सार्वजनिक जगहों पर होगा तो अपराध दर्ज किया जाएगा।
पढ़ें: Yuvika Chaudhary प्रिंस नरूला और नोरा फतेही को देखकर थीं कन्फ्यूज़, शादी के पहले हुआ था जोरदार झगड़ा
इस ऐक्ट के तहत जातिगत या जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल पर तुरंत ही मामला दर्ज कर लिया जाता है। केस दर्ज होने पर तुंरत गिरफ्तारी भी की जा सकती है। इस तरह के मामलों में सिर्फ हाई कोर्ट से ही जमानत मिल सकती है। हालांकि साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी ऐक्ट में बदलाव करते तुरंत गिरफ्तारी और तुरंत केस दर्ज करने पर रोक लगा दी थी ताकि शुरुआती जांच के बाद यह पता लगाया जा सके कि कहीं झूठे आरोप लगाकर किसी को फंसाया तो नहीं गया।
SC/ST Act 1989 के तहत क्या है सजा?
इस कानून या ऐक्ट के मुताबिक, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ किया गया कोई भी अपराध गैर जमानती है और कड़ी सजा का हकदार है। दोष साबित होने पर आरोपी को 6 महीने से लेकर 5 साल तक की सजा या फिर जुर्माने का प्रावधान है।
मुनमुन दत्ता ने भी की थी जातिगत टिप्पणी, हुआ था केस दर्ज
युविका चौधरी पर एससी-एसटी ऐक्ट (SC/ST Act) के तहत एक दलित कार्यकर्ता ने केस दर्ज करवाया था। युविका चौधरी से पहले ऐक्ट्रेस मुनमुन दत्ता (Munmun Dutta) ने भी एक जातिगत शब्द (Munmun Dutta casteist slur) का इस्तेमाल किया था और उनकी भी गिरफ्तारी की मांग उठी थी। 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) में बबीता जी का रोल प्ले करने वालीं मुनमुन दत्ता ने भी इसी साल मई में एक वीडियो में एक जातिगत टिप्पणी की थी, जिस पर खूब बवाल मचा। उनके खिलाफ गैर जमानती धाराओं में केस दर्ज किया गया था।
युविका के इस वीडियो पर हुआ था बवाल
मुनमुन दत्ता वाला विवाद शांत भी नहीं हुआ था कि तभी युविका ने भी वही गलती कर दी और अब वह इस मामले में अंतरिम जमानत पर हैं। जिस वीडियो ब्लॉग पर बवाल हुआ था, उसमें युविका कहती नजर आ रही थीं, 'मैं जब भी व्लॉग बनाती हूं तो हमेशा भं**** की तरह खड़ी रहती हूं आके। मुझे इतना टाइम मिलता ही नहीं है कि अपने आप को ढंग से निखार सकूं। मुझे इतना बुरा लग रहा है और ये मुझे व्लॉग बनाने के लिए टाइम नहीं दे रहा है।'
क्या है SC/ST ऐक्ट?
अब बात करते हैं उस एससी-एसटी कानून (1989) (SC/ST Act 1989) की, जिसके तहत युविका पर मामला दर्ज किया गया। आखिर यह कानून क्या कहता है और इसमें कितनी सजा है, यहां हम आपको बता रहे हैं। पहले तो यह जान लीजिए कि एससी-एसएटी ऐक्ट क्या है। यह ऐक्ट अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों की सुरक्षा के लिए बनाया गया था और 1989 में पारित किया गया था।
यह ऐक्ट या कानून दलितों के खिलाफ होने वाले जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल और उन पर होने वाले अत्याचारों को रोकने में मदद करता है। इसका मकसद दलितों के प्रति समाज में फैले भेदभाव और अत्याचारों को रोकना है और उन्हें सुरक्षा मुहैया करवाना है। इस ऐक्ट के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के किसी व्यक्ति के साथ भेदभाव करता है या उसे किसी भी तरह से प्रताड़ित करता है तो उसके खिलाफ कठोर सजा का प्रावधान है।
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क्या है प्रावधान?
वहीं SC/ST Act की धारा 18-ए यह कहती है कि जो भी व्यक्ति इस कानून का उल्लंघन करेगा, जातिगत टिप्पणी या दलितों को किसी भी तरह से प्रताड़ित करेगा तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले न तो किसी जांच की जरूरत है और न ही गिरफ्तारी से पहले किसी तरह के आदेश की। इसमें तुरंत जांच और तुरंत कार्रवाई का प्रावधान है। अगर गुनाह सार्वजनिक जगहों पर होगा तो अपराध दर्ज किया जाएगा।
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इस ऐक्ट के तहत जातिगत या जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल पर तुरंत ही मामला दर्ज कर लिया जाता है। केस दर्ज होने पर तुंरत गिरफ्तारी भी की जा सकती है। इस तरह के मामलों में सिर्फ हाई कोर्ट से ही जमानत मिल सकती है। हालांकि साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी ऐक्ट में बदलाव करते तुरंत गिरफ्तारी और तुरंत केस दर्ज करने पर रोक लगा दी थी ताकि शुरुआती जांच के बाद यह पता लगाया जा सके कि कहीं झूठे आरोप लगाकर किसी को फंसाया तो नहीं गया।
SC/ST Act 1989 के तहत क्या है सजा?
इस कानून या ऐक्ट के मुताबिक, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ किया गया कोई भी अपराध गैर जमानती है और कड़ी सजा का हकदार है। दोष साबित होने पर आरोपी को 6 महीने से लेकर 5 साल तक की सजा या फिर जुर्माने का प्रावधान है।