मंत्री जी मुंबई के हैं
मीटिंग खत्म होने के बाद रेलमंत्री जी ने मध्य रेलवे के एक बड़े अधिकारी से पूछा, 'अरे! आपके यहां ए.सी. लोकल का क्या हुआ? उसे मेनलाइन पर चला रहे हो न?' बाहर से मुंबई आए अधिकारी ने तपाक से जवाब दिया- 'ट्रांसहार्बर पर चला रहे हैं, वो भी सेंट्रल रेलवे पर है।' मंत्री जी ने मुस्कुराकर जवाब दिया- 'मैं मुंबई वाला हूं। मुझे पता है किस रूट पर क्या चलता है।' अधिकारी जी चुप रह गए।
निकाला करो पगार
बीएमसी के एक इंजिनियर महोदय हर महीने आने वाली पगार अपने अकाउंट से निकालते ही नहीं हैं। महीनों से पगार अकाउंट में जमा देख रिटर्न फाइल करते समय सीए ने सलाह दी कि कभी-कभी अकाउंट से भी पैसे निकाल लिया करो। अब, सोचने वाली बात यह है कि अकाउंट से बिना निकाले उनका घर कैसे चलता है।
एकतरफा संवाद
बीएमसी के कई बड़े प्रॉजेक्ट संभाल चुके एक आईएएस अफसर एकतरफा संवाद के लिए जाने जाते हैं। उनके दफ्तर में मीटिंग के लिए जाने वाले अधिकारी अक्सर केवल बात सुनकर ही आ जाते हैं। बाहर आकर वे अपना दुखड़ा सुनाते हैं कि हमारी तो सुनी ही नहीं जाती है, तो मीटिंग ही क्यों बुलाते हैं। संवाद का अभाव ही कहीं राज्य सरकार के अस्पतालों में दिक्कत का मूल कारण तो नहीं!
सलाहकार बने मुसीबत
सलाहकार आजकल नई मुसीबत बन गए हैं। बीएमसी में मैनेजमेंट देख चुके कइयों को विभिन्न विभागों में फैलोज के तौर पर जोड़ा गया है। इनका रुतबा इतना है कि कई बड़े अधिकारी भी इन्हें रिपोर्ट करने लगे हैं। दबी जुबान अधिकारी कहते हैं कि जिसकी चलती है, उसी को सलामी देनी पड़ती है।
तुलसी पूजा
मुंबई में अक्सर बड़े ओहदे वालों के यहां पूजा में तुलसी मंगाई जाती है। ज्यादातर मौकों पर यह रानीबाग से भेजी जाती है। कम ही लोगों को पता होगा कि रानीबाग में अंदर ही एक नर्सरी है। खैर, चंद रुपयों में आम मुंबईकर को मिलने वाली इस तुलसी के पौधे को बकायदा गाड़ी से भेजा जाता है। जहां, इसकी कीमत से ज्यादा तो तेल पर ही खर्च हो जाता है।