ऐपशहर

बराक ओबामा ने किताब में किया दावा, '26/11 के बाद पाकिस्तान पर ऐक्शन लेने से बच रहे थे मनमोहन सिंह'

Barack Obama on Manmohan Singh: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी नई किताब A Promised Land में दावा किया है कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मुंबई के आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने से बच रहे थे।

भाषा 17 Nov 2020, 7:22 pm
वॉशिंगटन
नवभारतटाइम्स.कॉम बराक ओबामा
बराक ओबामा

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की नई किताब आने के साथ ही भारत की राजनीति में भी कई मुद्दे गर्माने लगे हैं। आबोमा ने अपनी नई किताब में दावा किया है कि पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मुंबई के 26/11 हमलों के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने से बच रहे थे। हालांकि, इसका उन्हें राजनीतिक नुकसान भुगतना पड़ा। सिंह ने इस बात पर भी चिंता जताई थी कि मुस्लिम-विरोधी भावनाएं बढ़ रही हैं जिससे बीजेपी की ताकत बढ़ रही है।

भारत की सफल कहानी
ओबामा ने अपनी किताब A promised land में कहा है, 'उन्हें (मनमोहन को) डर था कि देश में मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) के असर से मुस्लिम-विरोधी भावनाएं बढ़ रही हैं।' वहीं, ओबामा ने यह भी कहा है कि राजनीतिक दलों के बीच कटु विवादों, विभिन्न सशस्त्र अलगाववादी आंदोलनों और भ्रष्टाचार घोटालों के बावजूद आधुनिक भारत की कहानी को कई मायनों में सफल कहा जा सकता है।

अमेरिका के 44वें राष्ट्रपति रहे ओबामा ने हाल में आई अपनी किताब में कहा है कि 1990 के दशक में भारत की अर्थव्यवस्था और अधिक बाजार आधारित हुई, जिससे भारतीयों का असाधारण उद्यमिता कौशल सामने आया और इससे विकास दर बढ़ी, तकनीकी क्षेत्र फला-फूला और मध्यमवर्ग का तेजी से विस्तार हुआ।

किताब में ओबामा ने 2008 के चुनाव प्रचार अभियान से लेकर राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल के अंत में एबटाबाद (पाकिस्तान) में अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मारने के अभियान तक की अपनी यात्रा का विवरण दिया है। इस किताब के दो भाग हैं, जिनमें से पहला मंगलवार को दुनियाभर में जारी हुआ। इसमें ओबामा ने लिखा है, 'कई मायनों में आधुनिक भारत को एक सफल गाथा माना जा सकता है जिसने बार-बार बदलती सरकारों के झटकों को झेला, राजनीतिक दलों के बीच कटु मतभेदों, विभिन्न सशस्त्र अलगाववादी आंदोलनों और भ्रष्टाचार के घोटालों का सामना किया।'

दो बार भारत आए थे ओबामा
ओबामा ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन के मुख्य शिल्पकार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे और वह इस प्रगति गाथा के सही प्रतीक हैं- वह एक छोटे से, अक्सर सताए गए धार्मिक अल्पसंख्यक सिख समुदाय के सदस्य हैं जो देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचे। एक विनम्र ‘टेक्नोक्रेट’ जिन्होंने जीवन जीने के उच्च मानकों को पेश किया और भ्रष्टाचार मुक्त छवि से प्रतिष्ठा अर्जित करते हुए जनता का भरोसा जीता। राष्ट्रपति पद पर रहने के दौरान ओबामा 2010 और 2015 में दो बार भारत आए थे। नवंबर 2010 के अपने भारत दौरे को याद करते हुए ओबामा ने कहा कि उनके और मनमोहन सिंह के बीच एक गर्मजोशी भरा सकारात्मक बंधन बना था।

अमेरिका के साथ संबंध
ओबामा लिखते हैं, 'वह विदेश नीति को लेकर सावधानी से आगे बढ़ रहे थे, भारतीय नौकरशाही को अनदेखा कर वह इस मामले में बहुत अधिक आगे बढ़ने के इच्छुक नहीं थे क्योंकि भारतीय नौकरशाही ऐतिहासिक रूप से अमेरिकी मंशा को लेकर सशंकित रही थी। हमने जितना समय साथ बिताया, उससे उनके बारे में मेरे शुरूआती विचारों की ही पुष्टि हुई कि वह एक असाधारण बुद्धिमत्ता वाले और गरिमापूर्ण व्यक्ति हैं, और नई दिल्ली की अपनी यात्रा के दौरान हमने आतंकवाद से मुकाबले, वैश्विक स्वास्थ्य, परमाणु सुरक्षा और कारोबार के क्षेत्रों में अमेरिकी सहयोग को मजबूत करने संबंधी समझौते किए।'

बहका सकते हैं धर्म, जाति
उन्होंने लिखा है, 'मैं यह नहीं बता सकता कि सत्ता के शिखर तक सिंह का पहुंचना भारतीय लोकतंत्र के भविष्य का प्रतीक है या ये केवल संयोग मात्र है।' ओबामा ने लिखा कि सिंह उस समय भारत की अर्थव्यवस्था, सीमापार आतंकवाद और मुस्लिम विरोधी भावनाओं को लेकर चिंतित थे। सहयोगियों के बिना हुई बातचीत के दौरान सिंह ने उनसे कहा, 'राष्ट्रपति महोदय,अनिश्चित समय में, धार्मिक और जातीय एकजुटता का आह्वान बहकाने वाला हो सकता है और भारत में या कहीं भी राजनेताओं द्वारा इसका इस्तेमाल करना इतना कठिन काम नहीं है।' ओबामा लिखते हैं कि प्रधानमंत्री पद पर मनमोहन सिंह के पहुंचने को कई बार जातीय विभाजन पर भारत की जीत के प्रतीक के रूप में देखा जाता है लेकिन कहीं न कहीं यह धोखा देने वाली बात है।

सोनिया गांधी की भी चर्चा
मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने के पीछे भी एक अनोखी कहानी है और सभी को पता है कि वह पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं थे। ओबामा ने कहा, 'बल्कि यह पद उन्हें सोनिया गांधी (जिनका जन्म इटली में हुआ था और जो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की विधवा और कांग्रेस पार्टी की प्रमुख हैं) ने दिया था.... कई राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि उन्होंने बुजुर्ग सिख सज्जन को इसलिए चुना क्योंकि उनका कोई राष्ट्रीय राजनीतिक आधार नहीं था और वह उनके 47 वर्षीय बेटे राहुल के लिए कोई खतरा नहीं थे, जिन्हें वह पार्टी की बागडोर देने के लिए तैयार कर रही थीं।'

अगला लेख

Worldकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर
ट्रेंडिंग