वॉशिंगटन
अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अपने विवादित चैरिटेबल ट्रस्ट को खत्म करना चाहते हैं। इसके पीछे उनका मकसद राष्ट्रपति पद के साथ हितों के टकराव को खत्म करना है।
अमेरिका और विदेशों में ट्रंप के व्यावसायिक हित सहित डॉनाल्ड जे ट्रंप फाउंडेशन चुनाव के दौरान ही जांच के दायरे में आ चुके हैं।
ट्रंप ने शनिवार को एक बयान में अपने इस कदम की घोषणा करते हुए कहा, फाउंडेशन ने वर्षों से अनगिनत योग्य समूहों सहित कई बड़े लोगों के साथ मिलकर बच्चों को करोड़ों रुपये का दान देकर अच्छा काम किया है। राष्ट्रपति पद के साथ किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए मैं परमार्थ का काम किसी अन्य तरीके से करना चाहता हूं।
ट्रंप ने कहा, जरूरतमंदों के लिए संगठन के फंड इकठ्ठा करने के काम के लिए गर्व है। मुझे इस बात पर भी गर्व है कि फाउंडेशन ने बिना किसी लाभ के दशकों से काम किया और 100 फीसदी फंड चैरिटी के लिए इस्तेमाल किया। लेकिन अब मैं अपना समय और अपनी उर्जा देश-दुनिया की समस्याओं को सुलझाने में लगाऊंगा इसलिए मैं नहीं चाहता हूं कि एक नेक काम को हितों के टकराव से जोड़ा जाए।
न्यू यॉर्क अटॉर्नी जनरल के प्रवक्ता एमी स्पिटलनिक ने शनिवार को बताया, ट्रंप का फाउंडेशन जांच के दायरे में है। वह कानूनी रूप से अभी इसे खत्म नहीं कर सकते हैं जब तक कि जांच पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाती है।
ट्रंप पर आरोप है कि फाउंडेशन फंड के मामले में उन्होंने कई नैतिक नियमों का उल्लंघन किया और वित्तीय खातों में जानबूझकर अनियमितता की। उन्होंने कानूनी विवाद से निपटने के लिए करीब 2,58000 डॉलर फंड से खर्च किए। एरिक और डॉनल्ड ट्रंप जूनियर 'ओपनिंग डे फाउंडेशन' नाम की संस्था बनाकर ट्रंप के बेटे अपने पिता से मिलवाने के लिए लोगों से 10 लाख डॉलर वसूलने पर भी ट्रंप विवादों में रहे। इस मामले की जांच कर रहे अटॉर्नी जनरल एरित शिंडरमैन ने कहा था कि ट्रंप फाउंडेशन जिस तरह के कार्यक्रम चला रहा है उसमें वित्तीय घपले के तमाम मामले सामने आए हैं। एक तरह से इसे सीधे तौर पर फ्रॉड कहा जा सकता है। वॉशिंगटन पोस्ट में इस तरह की खबरें छपी थीं कि अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ट्रंप ने वर्ष 2008 से चैरिटी के लिए किसी तरह का दान नहीं दिया है।
आलोचकों का कहना है कि जब तक ट्रंप अपने आपको पूरी तरह से व्यावसायिक और परोपकारिक हित से अलग नहीं कर देंगे तब तक बिना किसी विवाद के राष्ट्रपति के तौर पर देश की सेवा करना संभव नहीं है।
अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अपने विवादित चैरिटेबल ट्रस्ट को खत्म करना चाहते हैं। इसके पीछे उनका मकसद राष्ट्रपति पद के साथ हितों के टकराव को खत्म करना है।
अमेरिका और विदेशों में ट्रंप के व्यावसायिक हित सहित डॉनाल्ड जे ट्रंप फाउंडेशन चुनाव के दौरान ही जांच के दायरे में आ चुके हैं।
ट्रंप ने शनिवार को एक बयान में अपने इस कदम की घोषणा करते हुए कहा, फाउंडेशन ने वर्षों से अनगिनत योग्य समूहों सहित कई बड़े लोगों के साथ मिलकर बच्चों को करोड़ों रुपये का दान देकर अच्छा काम किया है। राष्ट्रपति पद के साथ किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए मैं परमार्थ का काम किसी अन्य तरीके से करना चाहता हूं।
ट्रंप ने कहा, जरूरतमंदों के लिए संगठन के फंड इकठ्ठा करने के काम के लिए गर्व है। मुझे इस बात पर भी गर्व है कि फाउंडेशन ने बिना किसी लाभ के दशकों से काम किया और 100 फीसदी फंड चैरिटी के लिए इस्तेमाल किया। लेकिन अब मैं अपना समय और अपनी उर्जा देश-दुनिया की समस्याओं को सुलझाने में लगाऊंगा इसलिए मैं नहीं चाहता हूं कि एक नेक काम को हितों के टकराव से जोड़ा जाए।
न्यू यॉर्क अटॉर्नी जनरल के प्रवक्ता एमी स्पिटलनिक ने शनिवार को बताया, ट्रंप का फाउंडेशन जांच के दायरे में है। वह कानूनी रूप से अभी इसे खत्म नहीं कर सकते हैं जब तक कि जांच पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाती है।
ट्रंप पर आरोप है कि फाउंडेशन फंड के मामले में उन्होंने कई नैतिक नियमों का उल्लंघन किया और वित्तीय खातों में जानबूझकर अनियमितता की। उन्होंने कानूनी विवाद से निपटने के लिए करीब 2,58000 डॉलर फंड से खर्च किए। एरिक और डॉनल्ड ट्रंप जूनियर 'ओपनिंग डे फाउंडेशन' नाम की संस्था बनाकर ट्रंप के बेटे अपने पिता से मिलवाने के लिए लोगों से 10 लाख डॉलर वसूलने पर भी ट्रंप विवादों में रहे। इस मामले की जांच कर रहे अटॉर्नी जनरल एरित शिंडरमैन ने कहा था कि ट्रंप फाउंडेशन जिस तरह के कार्यक्रम चला रहा है उसमें वित्तीय घपले के तमाम मामले सामने आए हैं। एक तरह से इसे सीधे तौर पर फ्रॉड कहा जा सकता है। वॉशिंगटन पोस्ट में इस तरह की खबरें छपी थीं कि अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ट्रंप ने वर्ष 2008 से चैरिटी के लिए किसी तरह का दान नहीं दिया है।
आलोचकों का कहना है कि जब तक ट्रंप अपने आपको पूरी तरह से व्यावसायिक और परोपकारिक हित से अलग नहीं कर देंगे तब तक बिना किसी विवाद के राष्ट्रपति के तौर पर देश की सेवा करना संभव नहीं है।