वॉशिंगटन
अमेरिकी राष्ट्रपति बनने जा रहे जो बाइडेन ने शनिवार को संकल्प व्यक्त किया कि राष्ट्रपति के रूप में उनके कार्यकाल के पहले दिन अमेरिका पेरिस जलवायु समझौते में फिर से शामिल होगा। वैश्विक तापमान कम करने के उद्देश्य से हुए ऐतिहासिक समझौते को आज पांच साल पूरे हो गए। एक अलग स्टडी में बताया गया है कि कोविड लॉकडाउन की वजह से अमेरिका में कार्बन उत्सर्जन में 12% कमी दर्ज की गई है।
2015 में बाहर निकला था अमेरिका
अमेरिका ने 2015 के जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते से इस साल चार नवंबर को औपचारिक रूप से समर्थन वापस ले लिया था। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2017 में इस फैसले की घोषणा की थी। ट्रंप ने बार-बार समझौते की आलोचना करते हुए इसे आर्थिक रूप से नुकसानदेह बताया है और दावा किया है कि इससे 2025 तक देश को 25 लाख नौकरियों का नुकसान उठाना पड़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इससे उत्सर्जन करने वाले चीन और भारत जैसे अन्य बड़े देशों को फ्री पास मिल गया है।
'100 दिन में वैश्विक नेताओं संग शिखरवार्ता'
बाइडेन ने कहा, 'अमेरिका बतौर राष्ट्रपति मेरे कार्यकाल में पेरिस समझौते में फिर से शामिल होगा और मैं दुनिया के अपने समकक्षों के साथ तत्काल काम करना शुरू कर दूंगा जिसमें मेरे कार्यकाल के पहले 100 दिन के अंदर बड़ी महाशक्तियों के नेताओं के साथ जलवायु शिखरवार्ता का आयोजन करना शामिल है।'
इस साल गिरा जलवायु परिवर्तन
साल 2020 में कोरोना वायरस की महामारी के कारण दुनिया को एक बड़ा फायदा हुआ है। दरअसल, इस साल ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई है। लॉकडाउन और ट्रैवल पर प्रतिबंधों की वजह से कोविड-19 के दौरान उत्सर्जन साल 2020 में 2.4 अरब टन कम हो गया। माना जा रहा है कि वैश्विक उत्सर्जन 34 गीगाटन रहा जो 2019 के मुकाबले सात प्रतिशत कम था। ब्रिटेन में सबसे भारी 13 प्रतिशत गिरावट देखी गई।
अमेरिकी राष्ट्रपति बनने जा रहे जो बाइडेन ने शनिवार को संकल्प व्यक्त किया कि राष्ट्रपति के रूप में उनके कार्यकाल के पहले दिन अमेरिका पेरिस जलवायु समझौते में फिर से शामिल होगा। वैश्विक तापमान कम करने के उद्देश्य से हुए ऐतिहासिक समझौते को आज पांच साल पूरे हो गए। एक अलग स्टडी में बताया गया है कि कोविड लॉकडाउन की वजह से अमेरिका में कार्बन उत्सर्जन में 12% कमी दर्ज की गई है।
2015 में बाहर निकला था अमेरिका
अमेरिका ने 2015 के जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते से इस साल चार नवंबर को औपचारिक रूप से समर्थन वापस ले लिया था। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2017 में इस फैसले की घोषणा की थी। ट्रंप ने बार-बार समझौते की आलोचना करते हुए इसे आर्थिक रूप से नुकसानदेह बताया है और दावा किया है कि इससे 2025 तक देश को 25 लाख नौकरियों का नुकसान उठाना पड़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इससे उत्सर्जन करने वाले चीन और भारत जैसे अन्य बड़े देशों को फ्री पास मिल गया है।
'100 दिन में वैश्विक नेताओं संग शिखरवार्ता'
बाइडेन ने कहा, 'अमेरिका बतौर राष्ट्रपति मेरे कार्यकाल में पेरिस समझौते में फिर से शामिल होगा और मैं दुनिया के अपने समकक्षों के साथ तत्काल काम करना शुरू कर दूंगा जिसमें मेरे कार्यकाल के पहले 100 दिन के अंदर बड़ी महाशक्तियों के नेताओं के साथ जलवायु शिखरवार्ता का आयोजन करना शामिल है।'
इस साल गिरा जलवायु परिवर्तन
साल 2020 में कोरोना वायरस की महामारी के कारण दुनिया को एक बड़ा फायदा हुआ है। दरअसल, इस साल ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई है। लॉकडाउन और ट्रैवल पर प्रतिबंधों की वजह से कोविड-19 के दौरान उत्सर्जन साल 2020 में 2.4 अरब टन कम हो गया। माना जा रहा है कि वैश्विक उत्सर्जन 34 गीगाटन रहा जो 2019 के मुकाबले सात प्रतिशत कम था। ब्रिटेन में सबसे भारी 13 प्रतिशत गिरावट देखी गई।