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सुषमा अहम नहीं थीं लेकिन जयशंकर से फौरन दोस्ती हो गई... माइक पोम्पियो ने जमकर की तारीफ

अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की जमकर तारीफ की है। उन्होंने कहा कि उनकी जयशंकर के साथ पहली मुलाकात में ही अच्छे मित्रवत संबंध बन गए थे। पोम्पियो डोनाल्ड ट्रंप सरकार में अमेरिका के विदेश मंत्री थे। वह अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के चीफ भी रह चुके हैं।

Edited byप्रियेश मिश्र | भाषा 24 Jan 2023, 11:32 pm
वॉशिंगटन: अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा है कि उन्होंने अपनी भारतीय समकक्ष सुषमा स्वराज को कभी महत्वपूर्ण राजनीतिक शख्सियत के रूप में नहीं देखा लेकिन विदेश मंत्री एस जयशंकर से पहली मुलाकात में ही अच्छे मित्रवत रिश्ते बन गए थे। अपनी नई किताब 'नेवर गिव एन इंच: फाइटिंग फॉर अमेरिका आई लव' में पोम्पिओ ने सुषमा स्वराज को उपहास जनक शब्दों में वर्णित किया है और उनके बारे में आम भाषा के उपहासजनक शब्द जैसे नासमझ आदि का भी प्रयोग किया है। यह किताब मंगलवार को बाज़ार में आई है। सुषम स्वराज नरेंद्र मोदी की सरकार के पहले कार्यकाल मई 2014 से मई 2019 तक भारत की विदेश मंत्री रही थीं। अगस्त 2019 में उनका निधन हो गया था।
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सुषमा स्वराज, माइक पोम्पियो और एस जयशंकर


पोम्पियो ने अपनी किताब में क्या लिखा


पोम्पिओ ने अपनी किताब में लिखा है, "भारतीय पक्ष में, मेरी मूल समकक्ष भारतीय विदेश नीति टीम में महत्वपूर्ण शख्सियत नहीं थी। इसके बजाय, मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी और विश्वासपात्र राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ और अधिक निकटता से काम किया। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विश्वासपात्र, पोम्पिओ 2017 से 2018 तक उनके प्रशासन में सीआईए निदेशक थे और फिर 2018 से 2021 तक विदेश मंत्री रहे।

जयशंकर को जे के तौर पर किया संबोधित


उन्होंने कहा, "मेरे दूसरे भारतीय समकक्ष सुब्रह्मण्यम जयशंकर थे। मई 2019 में, हमने "जे" का भारत के नए विदेश मंत्री के रूप में स्वागत किया। मैं इससे बेहतर समकक्ष के लिए नहीं कह सकता था। मैं इस व्यक्ति को पसंद करता हूं। अंग्रेजी उन सात भाषाओं में से एक है जो वह बोलते हैं और वह मेरे से बेहतर हैं।" पोम्पिओ 2024 के राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की संभावना तलाश रहे हैं।

पोम्पियो ने जयशंकर की जमकर की तारीफ


पोम्पिओ ने जयशंकर को " पेशेवर, तार्किक और अपने बॉस तथा अपने देश के बड़े रक्षक' के तौर पर वर्णित किया है। उन्होंने कहा कि हम फौरन दोस्त बन गए। हमारी पहली मुलाकात में मैं बहुत ही कूटनीतिक भाषा में शिकायत कर रहा था कि उनकी पूर्ववर्ती विशेष रूप से मददगार नहीं थी। पोम्पिओ के दावों पर टिप्पणी करते हुए जयशंकर ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ''मैंने मंत्री पोम्पिओ की किताब में श्रीमती सुषमा स्वराज जी का जिक्र करने वाला एक अंश देखा है। मैंने हमेशा उनका बहुत सम्मान किया और उनके साथ मेरे बेहद करीबी और मधुर संबंध थे। मैं उनके लिए इस्तेमाल की जाने वाली अपमानजनक शब्दावली की निंदा करता हूं।"

भारत को बताया अमेरिका का स्वाभाविक सहयोगी

पोम्पिओ ने अपनी किताब में यह भी कहा है कि अमेरिका द्वारा भारत की उपेक्षा करना दोनों पक्षों की दशकों पुरानी विफलता थी। उन्होंने कहा, " हम स्वाभाविक सहयोगी हैं, क्योंकि हम लोकतंत्र, आम भाषा तथा लोगों और प्रौद्योगिकी के संबंधों का इतिहास साझा करते हैं। भारत अमेरिकी बौद्धिक संपदा और उत्पादों की भारी मांग वाला बाजार भी है। इन कारकों के साथ ही दक्षिण एशिया में इसकी रणनीतिक स्थिति की वजह से मैंने चीनी आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए भारत को अपनी कूटनीति का आधार बनाया।"
लेखक के बारे में
प्रियेश मिश्र
नवभारत टाइम्स डिजिटल में डिजिटल कंटेंट राइटर। पत्रकारिता में दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, अमर उजाला जैसी संस्थाओं के बाद टाइम्स इंटरनेट तक 5 साल का सफर जो इंदौर से शुरू होकर एनसीआर तक पहुंचा है पर दिल गौतम बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर और गोरक्षनाथ की धरती गोरखपुर में बसता है। देश-विदेश, अंतरराष्ट्रीय राजनीति/कूटनीति और रक्षा क्षेत्र में खास रुचि। डिजिटल माध्यम के नए प्रयोगों में दिलचस्पी के साथ सीखने की सतत इच्छा।... और पढ़ें

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