वॉशिंगटन
अमेरिका के टेक्सास में यहूदियों के एक पूजा स्थल में बंधक बनाने वाले हमलावर को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। दावा किया गया है कि हमलावर मलिक फैसल अकरम अक्सर पाकिस्तान जाता रहता था। वह मुस्लिम धार्मिक संगठन तब्लीगी जमात का एक्टिव मेंबर भी था। इतना ही नहीं, फैसल अकरम का लंबा आपराधिक रिकॉर्ड भी था। मलिक फैसल अकरम अमेरिकी सुरक्षाबलों के साथ हुए मुठभेड़ में मारा गया था। अमेरिकी पुलिस ने फैसल की पहचान ब्रिटिश नागरिक के रूप में की थी।
फैसल अकरम बंधकों को रिहा करने के बदले पाकिस्तानी वैज्ञानिक आफिया सिद्दीकी को रिहा किए जाने की मांग कर रहा था। आफिया को अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के अधिकारियों की हत्या के प्रयास के जुर्म में सजा सुनाई गई थी। टेक्सास की संघीय जेल में बंद सिद्दीकी पर अलकायदा से संबंध होने का संदेह है। अमेरिकी अधिकारियों ने दावा किया था कि हमलावर आफिया से फोन पर बात करवाने की मांग कर रहा था।
तब्लीगी जमात को सऊदी ने किया है बैन
सऊदी अरब ने तब्लीगी जमात पर प्रतिबंध का ऐलान किया है। सऊदी ने कहा था कि तब्लीगी जमात आतंकवाद का एंट्री पॉइंट है और इससे समाज को खतरा है। सऊदी इस्लामी मामलों के मंत्रालय ने मस्जिदों को शुक्रवार की जुमे के नमाज के बाद तकरीर में लोगों को उनके साथ न जुड़ने की चेतावनी देने का निर्देश दिया। एक के बाद एक किए गए ट्वीट में मंत्रालय ने कहा कि इस्लामिक मामलों के महामहिम मंत्री डॉ अब्दुल्लातिफ अल अलशेख ने कहा कि सभी मस्जिदें इसे अपनी तकरीर में शामिल करें और लोगों को इससे जुड़े खतरों के बारे में बताएं।
तब्लीगी जमात क्या है?
तब्लीगी जमात की शुरुआत लगभग 100 साल पहले देवबंदी इस्लामी विद्वान मौलाना मोहम्मद इलयास कांधलवी ने एक धार्मिक सुधार आंदोलन के रूप में की थी। तब्लीगी जमात का काम विशेषकर इस्लाम के मानने वालों को धार्मिक उपदेश देना होता है। पूरी तरह से गैर-राजनीतिक इस जमात का मकसद पैगंबर मोहम्मद के बताए गए इस्लाम के पांच बुनियादी अरकान (सिद्धातों) कलमा, नमाज, इल्म-ओ-जिक्र (ज्ञान), इकराम-ए-मुस्लिम (मुसलमानों का सम्मान), इखलास-एन-नीयत (नीयत का सही होना) और तफरीग-ए-वक्त (दावत और तब्लीग के लिए समय निकालना) का प्रचार करना होता है। दुनियाभर में एक प्रभावशाली आध्यात्मिक आंदोलन के रूप में मशहूर जमात का काम अब पाकिस्तान और बांग्लादेश से होने वाली गुटबाजी का शिकार हो गया है।
कौन है आफिया सिद्दीकी?
पेशे से न्यूरोसाइंटिस्ट आफिया सिद्दीकी ने अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों को उन्हीं की राइफल से मारने का प्रयास किया था लेकिन उसका प्रयास विफल हो गया था। वह 86 साल जेल की सजा काट रही है। पाकिस्तान में जन्मी आफिया साल 1990 में स्टूडेंट वीजा पर अमेरिका चली गई थी। उसने अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन से पढ़ाई करने के बाद प्रतिष्ठित एमआईटी में दाखिल लिया था। इसके बाद उसने अमजद मोहम्मद खान से शादी कर ली। उसके दो बेटे और एक बेटी है। अमेरिका को शक है कि आफिया ने अमेरिका में रहते हुए अलकायदा ज्वाइन कर लिया था और वहीं से आतंकियों की भर्ती में जुटी हुई थी।
अमेरिका के टेक्सास में यहूदियों के एक पूजा स्थल में बंधक बनाने वाले हमलावर को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। दावा किया गया है कि हमलावर मलिक फैसल अकरम अक्सर पाकिस्तान जाता रहता था। वह मुस्लिम धार्मिक संगठन तब्लीगी जमात का एक्टिव मेंबर भी था। इतना ही नहीं, फैसल अकरम का लंबा आपराधिक रिकॉर्ड भी था। मलिक फैसल अकरम अमेरिकी सुरक्षाबलों के साथ हुए मुठभेड़ में मारा गया था। अमेरिकी पुलिस ने फैसल की पहचान ब्रिटिश नागरिक के रूप में की थी।
फैसल अकरम बंधकों को रिहा करने के बदले पाकिस्तानी वैज्ञानिक आफिया सिद्दीकी को रिहा किए जाने की मांग कर रहा था। आफिया को अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के अधिकारियों की हत्या के प्रयास के जुर्म में सजा सुनाई गई थी। टेक्सास की संघीय जेल में बंद सिद्दीकी पर अलकायदा से संबंध होने का संदेह है। अमेरिकी अधिकारियों ने दावा किया था कि हमलावर आफिया से फोन पर बात करवाने की मांग कर रहा था।
तब्लीगी जमात को सऊदी ने किया है बैन
सऊदी अरब ने तब्लीगी जमात पर प्रतिबंध का ऐलान किया है। सऊदी ने कहा था कि तब्लीगी जमात आतंकवाद का एंट्री पॉइंट है और इससे समाज को खतरा है। सऊदी इस्लामी मामलों के मंत्रालय ने मस्जिदों को शुक्रवार की जुमे के नमाज के बाद तकरीर में लोगों को उनके साथ न जुड़ने की चेतावनी देने का निर्देश दिया। एक के बाद एक किए गए ट्वीट में मंत्रालय ने कहा कि इस्लामिक मामलों के महामहिम मंत्री डॉ अब्दुल्लातिफ अल अलशेख ने कहा कि सभी मस्जिदें इसे अपनी तकरीर में शामिल करें और लोगों को इससे जुड़े खतरों के बारे में बताएं।
तब्लीगी जमात क्या है?
तब्लीगी जमात की शुरुआत लगभग 100 साल पहले देवबंदी इस्लामी विद्वान मौलाना मोहम्मद इलयास कांधलवी ने एक धार्मिक सुधार आंदोलन के रूप में की थी। तब्लीगी जमात का काम विशेषकर इस्लाम के मानने वालों को धार्मिक उपदेश देना होता है। पूरी तरह से गैर-राजनीतिक इस जमात का मकसद पैगंबर मोहम्मद के बताए गए इस्लाम के पांच बुनियादी अरकान (सिद्धातों) कलमा, नमाज, इल्म-ओ-जिक्र (ज्ञान), इकराम-ए-मुस्लिम (मुसलमानों का सम्मान), इखलास-एन-नीयत (नीयत का सही होना) और तफरीग-ए-वक्त (दावत और तब्लीग के लिए समय निकालना) का प्रचार करना होता है। दुनियाभर में एक प्रभावशाली आध्यात्मिक आंदोलन के रूप में मशहूर जमात का काम अब पाकिस्तान और बांग्लादेश से होने वाली गुटबाजी का शिकार हो गया है।
कौन है आफिया सिद्दीकी?
पेशे से न्यूरोसाइंटिस्ट आफिया सिद्दीकी ने अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों को उन्हीं की राइफल से मारने का प्रयास किया था लेकिन उसका प्रयास विफल हो गया था। वह 86 साल जेल की सजा काट रही है। पाकिस्तान में जन्मी आफिया साल 1990 में स्टूडेंट वीजा पर अमेरिका चली गई थी। उसने अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन से पढ़ाई करने के बाद प्रतिष्ठित एमआईटी में दाखिल लिया था। इसके बाद उसने अमजद मोहम्मद खान से शादी कर ली। उसके दो बेटे और एक बेटी है। अमेरिका को शक है कि आफिया ने अमेरिका में रहते हुए अलकायदा ज्वाइन कर लिया था और वहीं से आतंकियों की भर्ती में जुटी हुई थी।