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चीन ने पहले हाइपरसॉनिक विमान का सफल परीक्षण किया, ऐंटी-मिसाइल सिस्टम को भी देगा चकमा

यह हाइपरसॉनिक विमान परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम तो है ही साथ ही किसी भी मौजूदा पीढ़ी की मिसाइल विरोधी रक्षा प्रणालियों (ऐंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम्स) में प्रवेश कर सकता है।

पीटीआई 6 Aug 2018, 1:51 pm
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नवभारतटाइम्स.कॉम hypersonic

चीन ने सोमवार को घोषणा की है कि उसने अपने पहले हाइपरसॉनिक विमान का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। यह हाइपरसॉनिक विमान परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम तो है ही साथ ही किसी भी मौजूदा पीढ़ी की मिसाइल विरोधी रक्षा प्रणालियों (ऐंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम्स) में प्रवेश कर सकता है। चाइना अकैडमी ऑफ ऐरोस्पेस ऐरोडायनैमिक्स (CAAA) ने एक बयान जारी कर बताया कि Xingkong-2 या Starry Sky-2 का परीक्षण पिछले हफ्ते शुक्रवार को किया गया था।

इसे रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया और करीब 10 मिनट बाद हवा में छोड़ा गया। यह खुद उड़ने में सक्षण था और योजना के मुताबिक तय इलाके में लैंड हुआ। इस हाइपरसॉनिक एयरक्राफ्ट को CAAA ने चाइना ऐरोस्पेस साइंस ऐंड टेक्नॉलजी कॉर्पोरेशन के साथ मिलकर डिजाइन किया है। हालांकि, अभी सेना में तैनाती से पहले कई और परीक्षण किए जाएंगे। यह विमान अपनी शॉक वेव पर चलता है। वेवराइडर कहा जाने वाला यह विमान परीक्षण के दौरान 30 किलोमीटर ऊंचाई तक पहुंचा।

विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐंटी-मिसाइल रक्षा प्रणालियों की मौजूदा जनरेशन मुख्य रूप से क्रूज और बलिस्टिक मिसाइलों को रोकने के लिए डिजाइन की गई है, जिनके बारे में पता लगाना धीमा या आसान है और इसी कारण उन्हें रोकना संभव है। लेकिन चीन का नया हाइपसॉनिक विमान इतना तेज उड़ता है कि यह मौजूदा ऐंटी मिसाइल डिफेंस प्रणालियों के लिए चुनौती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, वेवराइडर को किसी भी रॉकेट से लॉन्च किया जा सकता है। इतना ही नहीं, वेवराइडर परमाणु और पारंपरिक हथियार दोनों ही ले जाने में सक्षम है।

विशेषज्ञ कहते हैं कि इस परीक्षण से दिखता है कि चीन अब अमेरिका और रूस की तर्ज पर ही खुद को विकसित कर रहा है। सैन्य इस्तेमाल के अलावा इसका आम लोगों या कामों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। चीन, जिसने इस साल 175 अरब डॉलर का रक्षा बजट पेश किया था, अमेरिका, रूस और यूरोपीय संघ से बराबरी के लिए डिफेंस रिसर्च और डिवेलपमेंट में काफी खर्च कर रहा है।

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