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China Bhutan Border Dispute: सीमा विवाद को लेकर भूटान पर धौंस जमा रहा चीन, भारत के लिए क्यों है चिंता की बात?

चीन की 22457 किलोमीटर लंबी सीमा 14 देशों से लगी है लेकिन सिर्फ भारत और भूटान के साथ ही उसका सीमा विवाद है। भूटान और चीन के बीच 477 किलोमीटर लंबी सीमा है। चीन और भूटान सीमा पर मुख्य रूप से दो इलाके ऐसे हैं, जिसपर विवाद ज्यादा है।

Curated byप्रियेश मिश्र | नवभारतटाइम्स.कॉम 29 Nov 2021, 3:37 pm

हाइलाइट्स

  • सीमा विवाद को लेकर समझौता करने के लिए भूटान को धमका रहा चीन
  • चीन का भूटानी जमीन पर गांवों के निर्माण से भारत की टेंशन बढ़ी
  • सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नजदीक चीन ने इंफ्रास्ट्रक्टर को विकसित किया
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बीजिंग
चीन ने सीमा विवाद को लेकर अब अपने से कहीं ज्यादा छोटे देश भूटान को धमकाना शुरू कर दिया है। 1984 से भूटान के साथ बातचीत करने के बावजूद चीन अभी तक सीमा विवाद को सुलझाने में विफल रहा है। अब लगभग चार दशकों बाद चीन ने एक बार फिर भूटान के साथ सीमा वार्ता को तेज करने के लिए एक नए समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद ढोल पीट रहा है। कुछ दिन पहले ही खुलासा हुआ है कि चीन ने भूटान की जमीन पर कम से कम चार गावों का निर्माण किया है। इस इलाके में चीन के बढ़ते इंफ्रास्ट्रक्टर से भारत की चिंता भी बढ़ती जा रही है।
चीन का सिर्फ भारत और भूटान के साथ सीमा विवाद
चीन की 22457 किलोमीटर लंबी सीमा 14 देशों से लगी है लेकिन सिर्फ भारत और भूटान के साथ ही उसका सीमा विवाद है। भूटान और चीन के बीच 477 किलोमीटर लंबी सीमा है। चीन और भूटान सीमा पर मुख्य रूप से दो इलाके ऐसे हैं, जिसपर विवाद ज्यादा है। भूटान के साथ समझौता ज्ञापन से यह भी स्पष्ट हो गया है कि दूसरों की जमीन कब्जाने की ताक में बैठे चीन ने दुनिया के सबसे कम आबादी और सैन्य नेतृत्व रूप से कमजोर मुल्क की जमीन पर भी कब्जा किया हुआ है।

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भूटान से चीन क्या चाहता है?
चीन हर हाल में भूटान के साथ सीमा विवाद को खत्म करना चाहता है। इसके जरिए वह पूरी दुनिया को झूठा संदेश देने की कोशिश में है कि सिर्फ भारत के साथ ही उसका सीमा विवाद है और वह भारतीय नेताओं की हठधर्मिता के कारण समझौता नहीं कर पा रहा है। इतना ही नहीं, चीन चाहता है कि भूटान तिब्बत से सटे एक बड़े भूभाग को ले ले और इसके बदले में डोकलाम के पास रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इलाके को उसे सौंप दे। भारत जानता है कि अगर भूटान ने यह इलाका चीन को सौंपा तो इससे सिलीगुड़ी कॉरिडोर को खतरा हो सकता है।

चीन-भूटान समझौते से भारत की मुश्किलें क्यों बढ़ेंगी?
दरअसल, चीन ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नजदीक भूटानी जमीन पर सड़कों और सैन्य प्रतिष्ठानों का जाल सा बुन दिया है। चीन का यह निर्माण सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नजदीक है। इतना ही नहीं, यह इलाका डोकलाम के नजदीक है, जहां 2017 में भारत और चीन के बीच कई महीनों तक सैन्य तनाव बना हुआ था। सिलीगुड़ी कॉरिडोर को ही चिकन नेक के रूप में जाना जाता है। यह गलियारा ही शेष भारत को पूर्वोत्तर के राज्यों के साथ जोड़ता है। यह कॉरिडोर तिब्बत, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से सटा हुआ है। कई जगहों पर इस कॉरिडोर की चौड़ाई बमुश्किल 22 किलोमीटर की है।

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गलवान हिंसा के बाद भारत सतर्क
गलवान में हिंसा और लद्दाख में जारी तनाव के बाद भारत सतर्क है। यही कारण है कि भारतीय सेना ने लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चीन से लगी सीमा पर कई बुनियादी ढांचों का निर्माण किया है। इतना ही नहीं, इन इलाकों में भारतीय सेना की माउंटेन कोर, हल्के तोप, बख्तरबंद गाड़ियां, ठंड में सुरक्षा प्रदान करने वाले टेंट समेत कई एहतियाती कदम उठाए हैं।

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माओ के विस्तारवाद को बढ़ा रहे जिनपिंग
भूटान की जमीन के अंदर बने हुए चीनी गांव यह बता रहे हैं कि शी जिनपिंग माओत्से तुंज की विस्तारवादी नीति को ही आगे बढ़ा रहे हैं। 1950 में जब चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया, तब उसकी धर्म और संस्कृति ने भूटान को बहुत अधिक प्रभावित किया। हैपिनेस इंडेक्स में शीर्ष पर काबिज भूटान की खुशी चीन के आक्रमणकारी रवैये के कारण दबती जा रही है।
लेखक के बारे में
प्रियेश मिश्र
नवभारत टाइम्स डिजिटल में डिजिटल कंटेंट राइटर। पत्रकारिता में दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, अमर उजाला जैसी संस्थाओं के बाद टाइम्स इंटरनेट तक 5 साल का सफर जो इंदौर से शुरू होकर एनसीआर तक पहुंचा है पर दिल गौतम बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर और गोरक्षनाथ की धरती गोरखपुर में बसता है। देश-विदेश, अंतरराष्ट्रीय राजनीति/कूटनीति और रक्षा क्षेत्र में खास रुचि। डिजिटल माध्यम के नए प्रयोगों में दिलचस्पी के साथ सीखने की सतत इच्छा।... और पढ़ें

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