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China Taiwan Crisis : ताकत के दम पर करेंगे कब्जा... श्वेत पत्र जारी कर चीन ने ताइवान में सेना न भेजने का वादा तोड़ा

चीन ने 1993 और 2000 में ताइवान पर पिछले दो श्वेत पत्रों में कहा था कि वह पुनर्मिलन की शर्तों को प्राप्त करने के बाद ताइवान में रहने के लिए सैनिक या प्रशासनिक कर्मियों को नहीं भेजेगा। इसका मकसद ताइवान को यह आश्वासन देना था कि वह चीन में मिलने के बाद भी अपनी स्वायत्तता का आनंद लेता रहेगा।

Curated byप्रियेश मिश्र | नवभारतटाइम्स.कॉम 10 Aug 2022, 9:32 pm

हाइलाइट्स

  • चीन ने ताइवान में सेना और अधिकारियों को न भेजने का वादा तोड़ा
  • श्वेत पत्र जारी कर ताइवान को चीन में मिलाने की दी धमकी
  • ताइवान ने भी चीन की आलोचना की, बोला- हमारी जनता करेगी फैसला
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बीजिंग: चीन ने ताइवान को लेकर बरसों से जारी अपनी नीति में बड़ा बदलाव किया है। बीजिंग ने कहा है कि वह ताइवान में अपने सैनिकों या प्रशासकों को भेजने के वादे को तोड़ रहा है। बुधवार को जारी चीन के आधिकारिक श्वेत पत्र में बताया गया है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग ताइवान को पहले की तुलना में अब कम स्वायत्तता देने के मूड में हैं। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि चीनी सेना अब ताइवान पर हमला करने के लिए स्वतंत्र है, बस आदेश का इंतजार है। श्वेत पत्र को ताइवान के चारों और चार दिनों तक चले चीनी सैन्य अभ्यास के तुरंत बाद जारी किया गया है। ताइवान ने कहा था कि चीन का यह युद्धाभ्यास दरअसल हमले का रिहल्सल था। बता दें कि अमेरिकी हाउस की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा से चीन भड़का हुआ है।
पहले जारी दो श्वेत पत्रों में ताइवान को स्वायत्तता का दिया था ऑफर
चीन ने 1993 और 2000 में ताइवान पर पिछले दो श्वेत पत्रों में कहा था कि वह पुनर्मिलन की शर्तों को प्राप्त करने के बाद ताइवान में रहने के लिए सैनिक या प्रशासनिक कर्मियों को नहीं भेजेगा। इसका मकसद ताइवान को यह आश्वासन देना था कि वह चीन में मिलने के बाद भी अपनी स्वायत्तता का आनंद लेता रहेगा। हालांकि, नए श्वेत पत्र में इस तरह का कोई भी ऑफर नहीं दिया गया है। चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने प्रस्तावित किया था कि ताइवान "एक देश, दो सिस्टम" मॉडल के तहत अपने शासन को चला सकता है। चीन का दावा है कि इसी फॉर्मूले के तहत पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश हांगकांग भी 1997 में चीन में शामिल हुआ था।

ताइवान ने एक देश दो प्रणाली वाले प्रस्ताव को किया खारिज
ताइवान से सभी प्रमुख राजनीतिक दल शुरू से ही चीन की "एक देश, दो प्रणाली" वाले प्रस्ताव को खारिज करते आए हैं। ताइवान में हुए जनमत संग्रह में भी इस प्रस्ताव को समर्थन नहीं मिला है। ताइवान की सरकार का कहना है कि केवल द्वीप के लोग ही अपना भविष्य तय कर सकते हैं। 2000 के श्वेत पत्र में कहा गया था कि ताइवान से किसी भी मुद्दे पर बातचीत की जा सकती है, बशर्ते वह एक चीन को स्वीकार कर ले और वादा करे कि स्वतंत्रता का राग नहीं अलापेगा। हालांकि, नए श्वेत पत्र में ऐसा कोई ऑफर नहीं दिया गया है।

ताइवान बोला- 2.3 करोड़ लोग करेंगे देश के भविष्य का फैसला
ताइवान ने चीन के श्वेत पत्र का निंदा करते हुए कहा कि यह झूठ से भरा हुआ है और तथ्यों की अवहेलना करता है। ताइवान की मेनलैंड अफेयर्स काउंसिल ने यह भी कहा कि रिपब्लिक ऑफ चाइना (ताइवान) एक संप्रभु देश है। काउंसिल ने कहा कि केवल ताइवान के 23 मिलियन लोगों को ताइवान के भविष्य पर निर्णय लेने का अधिकार है, और वे एक निरंकुश शासन द्वारा निर्धारित परिणाम को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।

श्वेत पत्र को ताइवान प्रश्न और नए युग में चीन का पुनर्मिलन का नाम दिया
ताजा जारी श्वेत पत्र को "ताइवान प्रश्न और नए युग में चीन का पुनर्मिलन" का नाम दिया गया है। इसमें नया युग आमतौर पर शी जिनपिंग के शासन से जुड़ा एक शब्द है। इस साल के अंत में कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस में शी जिनपिंग को तीसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति चुना जा सकता है। ताइवान 1949 से चीनी आक्रमण के खतरे का सामना कर रहा है।
लेखक के बारे में
प्रियेश मिश्र
नवभारत टाइम्स डिजिटल में डिजिटल कंटेंट राइटर। पत्रकारिता में दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, अमर उजाला जैसी संस्थाओं के बाद टाइम्स इंटरनेट तक 5 साल का सफर जो इंदौर से शुरू होकर एनसीआर तक पहुंचा है पर दिल गौतम बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर और गोरक्षनाथ की धरती गोरखपुर में बसता है। देश-विदेश, अंतरराष्ट्रीय राजनीति/कूटनीति और रक्षा क्षेत्र में खास रुचि। डिजिटल माध्यम के नए प्रयोगों में दिलचस्पी के साथ सीखने की सतत इच्छा।... और पढ़ें

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