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सीपैक: चीन के साथ से पाकिस्तान को फायदा कम, नुकसान बहुत ज्यादा

पाकिस्तान को उम्मीद है कि चीनी निवेश से उसकी अर्थव्यवस्था में सुधार होगा लेकिन दो अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंक की राय इससे अलग है। इन्होंने पाकिस्तान को चेताया है की चीनी निवेश से उसे फायदा तो होगा नहीं उल्टा वह बड़ी ऋण समस्या में फंस जाएगा।

टाइम्स न्यूज नेटवर्क 7 Nov 2016, 2:34 am
सैबल दासगुप्ता, पेइचिंग
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सीपैक: चीन के साथ से पाकिस्तान को फायदा कम, नुकसान बहुत ज्यादा

पाकिस्तान को उम्मीद है कि चीनी निवेश से उसकी अर्थव्यवस्था में सुधार होगा लेकिन दो अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंक की राय इससे अलग है। इन्होंने पाकिस्तान को चेताया है की चीनी निवेश से उसे फायदा तो होगा नहीं उल्टा वह बड़ी ऋण समस्या में फंस जाएगा। इससे पहले इंटरनैशल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ) ने हाल ही में कहा था कि चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (सीपैक) की वजह से पाकिस्तान के वित्तीय घाटा गंभीर स्तर पर पहुंच गया है।

लंदन स्थित कैपिटल इकनॉमिक्स ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा, 'कुल मिलाकर देखा जाए तो सीपैक पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ा फायदा लेकर आने वाला नहीं है।' संस्था ने आगे कहा कि अर्थव्यवस्था के बाकी क्षेत्रों में रिफॉर्म की स्थिति अच्छी नहीं है इस बात को नजर में रखते हुए हम कह सकते हैं कि अगले दशक में पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था 4.5 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ेगी जो पिछली एक दहाई से बहुत अलग नहीं है।'

वॉशिंगटन स्थित पीटरसन इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनैशनल इकनॉमिक्स ने कहा कि चीन सीपैक को लेकर भारत की चिंताओं को नजरअंदाज कर बड़ा जोखिम मोल ले रहा है। इसमें कहा गया है कि भारत भी इस प्रॉजेक्ट को लेकर समस्याएं पैदा कर सकता है। ये समस्याएं कैसी होंगी हालांकि रिपोर्ट में इस बात का खुलासा नहीं किया गया है।

इस रिपोर्ट में यह कहा गया है, 'सीपैक को लेकर चीन ने भारत को कई बिंदुओं पर नाराज करने का जोखिम उठा रहा है। भारत की सबसे बड़ी नाराजगी इस प्रॉजेक्ट के पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर से होकर गुजरने को लेकर है। इसके साथ ही ग्वादर पोर्ट को लेकर भारत की एक आशंका यह भी है कि चीन एक न एक दिन इसका इस्तेमाल अपनी नौसेना के लिए भी करेगा। इन कारणों से भारत इस प्रॉजेक्ट की राह में रोड़े अटका सकता है।'

लगभग हर दिन पाकिस्तानी अधिकारी 44 बिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत से बनने वाले इस आर्थिक गलियारे को पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा गेम चेंजर बताते हैं। इस प्रॉजक्ट में बड़ी संख्या में चीनी कंपनियां काम कर रही हैं। इस प्रॉजक्ट ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को मुश्किल से बचाने का भी काम किया है जो पिछले साल देश में बिजली की कमी को लेकर काफी आलोचनाओं का सामना कर रहे थे। इस प्रॉजेक्ट का करीब 80 फीसदी हिस्सा विद्युत निर्माण में खर्च किया जाएगा जिससे 2030 तक 16000 मेगवॉट बिजली बनाने का दावा किया जा रहा है।

कैपिटल इकनॉमिक्स ने कहा कि कुछ पाकिस्तानी जानकारों ने भी सीपैक की उपयोगिता पर सवाल खड़े किए हैं। पाकिस्तान को इस प्रॉजेक्ट में इस्तेमाल हो रही मशीनों पर भारी खर्च करना पड़ रहा है। ज्यादातर महंगी मशीनें उसे विदेश से आयात करनी पड़ रही है। इसके साथ ही सीपैक में 8000 चीनी मजदूर काम कर रहे हैं जो अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा अपने घर भेजते हैं।

कैपिटल इकनॉमिक्स के शोधकर्ता ऑलिवर जॉन्स ने कहा कि चूंकि ज्यादातर नए पॉवर स्टेशन चीनी कंपनियों के हाथ में होंगे ऐसे में बिजली बेचकर होने वाली कमाई भी पाकिस्तान से बाहर चली जाएगी।'

इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ें : Chinese investments may hurt rather than help Pakistan, say think tanks, IMF

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