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चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग ने दी भारत-US को धमकी, अतिक्रमण की कोशिश हुई तो हम खाली हाथ नहीं बैठेंगे

Chinese President Xi Jinping Threatened India US: चीन के राष्‍ट्रपति शी ज‍िनपिंग ने भारत और अमेरिका को इशारों ही इशारों में धमकी दी है। उन्‍होंने कहा क‍ि अगर चीन की संप्रभुता की अनदेखी की गई तो हम खाली नहीं बैठेंगे।

नवभारतटाइम्स.कॉम 23 Oct 2020, 9:33 am

हाइलाइट्स

  • भारत और ताइवान को लेकर चल रहे तनाव के बीच चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग ने धमकी दी है
  • शी जिनपिंग ने कहा कि चीन के सुरक्षा हितों को नुकसान पहुंचाया गया या हम चुप नहीं बैठेंगे
  • उन्‍होंने कहा कि चीनी क्षेत्र को जबरन तोड़ने की कोशिश की गई तो हम खाली हाथ नहीं बैठेंगे
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नवभारतटाइम्स.कॉम xi jinping
शी ज‍िन‍प‍िंग ने भारत और अमेरिका को दी धमकी
पेइचिंग
भारत और ताइवान को लेकर अमेरिका के चल रहे तनाव के बीच चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग ने सीधी धमकी दी है। शी जिनपिंग ने कहा कि अगर चीन के सुरक्षा हितों और संप्रभुता को नुकसान पहुंचाया गया या चीनी क्षेत्र को जबरन तोड़ने की कोशिश की गई तो हम खाली हाथ नहीं बैठेंगे। उन्‍होंने कहा कि अगर इस तरह की गंभीर स्थिति आती है तो चीनी लोग इसका मुंहतोड़ जवाब देंगे।
राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा, 'चीन न तो आधिपत्‍य स्‍थापित करने का प्रयास करेगा और न ही विस्‍तारवाद को बढ़ावा देगा। (लेकिन) चीन के संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों को अनदेखा किया जाता है तो हम खाली नहीं बैठेंगे। इस बीच हम किसी को इसकी अनुमति नहीं देंगे या किसी को चीनी क्षेत्र के अतिक्रमण या उसे बांटने की कोशिश करे।'

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उन्‍होंने कहा कि अगर इस तरह की गंभीर स्थिति पैदा हुई तो चीनी जनता निश्चित रूप से इसका मुंहतोड़ जवाब देगी। चीन के राष्‍ट्रपति का बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत और अमेरिका के साथ उसका तनाव चरम पर है। चीन की दादागिरी से बचाने के लिए अमेरिका लगातार ताइवान को अत्‍याधुनिक हथियार दे रहा है। अमेरिका ने गुरुवार को पहली बार चीन तक मार करने वाले हथियारों की ताइवान को बिक्री को मंजूरी दी है।

चीन को घेरने के लिए साथ आ रहे क्‍वॉड के चार देश
उधर, भारत के साथ चीन का लद्दाख में तनाव अपने चरम पर है। मई से जारी इस विवाद के समाधान के लिए अब तक कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन कोई समाधान नहीं हो सका है। चीनी ड्रैगन को घेरने के लिए अब अमेरिका, भारत, जापान और ऑ‍स्‍ट्रेलिया साथ आ रहे हैं। नवंबर में होने जा रहे मालाबार युद्धाभ्यास में 13 साल बाद भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्‍ट्रेलिया की नौसेनाएं एक साथ जुटेंगी और चीन को कड़ा संदेश देते हुए शक्ति प्रदर्शन करेंगी।

ऑस्ट्रेलिया को इसके लिए न्योता देने के कदम का अमेरिका ने स्वागत किया है। अमेरिका का कहना है कि जब दुनिया कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रही है, चीन सैन्य विस्तार कर रहा है। उसके रवैये को देखते हुए क्वॉड देशों को मजबूत बनना होगा। अमेरिका की सीनेट फॉरन रिलेशन्स कमिटी के सदस्य सीनेटर डेविड पर्डू ने अमेरिका में भारत के राजदूत टीएस संधू को लिखा है, 'हम सालाना होने वाले मालाबार अभ्यास मे ऑस्ट्रेलिया को औपचारिक न्योता देने के भारत के फैसले के पूरे समर्थन में हैं।' खत में कहा गया है कि चीन के बढ़ते सैन्य और आर्थिक रवैये को देखते हुए क्वॉड देशों को मजबूत करना अहम है।

चीन की चाल को लगा है झटका
इसमें आगे कहा गया है, 'जब दुनिया कोविड-19 की महामारी से लड़ रही है, चीन ने मौकापरस्ती दिखाते हुए इंडो-पैसिफिक में अपनी सैन्य मौजूदगी का विस्तार करना शुरू कर दिया।' सीनेटर ने खत में कहा है कि महामारी से चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव और कर्ज के जाल में फंसाने की कोशिश को झटका लगा है। इंडो-पैसिफिक में फ्री-ओपन ट्रेड से क्षेत्र में सतत निवेश होगा।

मालाबार युद्धाभ्यास पर चीन ने लिया है 'संज्ञान'
वहीं, चीन ने मंगलवार को कहा कि उसने भारत की इस घोषणा का 'संज्ञान लिया' है कि अमेरिका और जापान के साथ आस्ट्रेलिया भी सालाना मालाबार नौसेना अभ्यास में हिस्सा लेगा। उसने कहा कि सैन्य सहयोग, क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए 'अनुकूल' होना चाहिए। इस विशाल सैन्य अभ्यास का हिस्सा बनने के आस्ट्रेलिया के अनुरोध पर ध्यान देने का भारत का निर्णय ऐसे वक्त आया है जब पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद के बीच चीन के साथ रिश्ता तनावपूर्ण हो गया है।

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