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Explainer: घर-घर जाकर महिलाओं को अगवा कर रही तालिबान की 'रेप गैंग', आतंकियों की अय्याशी का अड्डा बना काबुल

Women in Afghanistan: काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अफगान महिलाओं के 20 साल पुराने 'काले दिन' वापस लौट रहे हैं। लड़ाके 12 से 45 साल की महिलाओं की लिस्ट मांग रहे हैं ताकि आतंकी उनके शादी कर सकें।

नवभारतटाइम्स.कॉम 17 Aug 2021, 3:25 pm

हाइलाइट्स

  • अफगानिस्तान में तालिबान के आते ही शुरू हुआ महिलाओं का शोषण
  • इमामों से शादी के लिए लड़कियों और महिलाओं की सूची मांग रहे लड़ाके
  • बैंकों में कार्यरत महिलाओं को नौकरी पर वापस आने से किया गया मना
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काबुल
काबुल पर जीत के बाद तालिबानी लड़ाके जश्न मना रहे हैं। सोशल मीडिया पर कई वीडियो सामने आए हैं जिसमें आतंकी महलों और गवर्नर हाउस के भीतर अय्याशी करते दिख रहे हैं। इस बीच खबरें हैं कि वे शहरों में लूटपाट कर रहे हैं और घर-घर जाकर 12 साल की लड़कियों को अगवा कर उन्हें सेक्स-गुलाम बना रहे हैं। ऐसी रिपोर्ट सामने आई हैं कि देश के अलग-अलग शहरों से महिलाओं और लड़कियों को अगवा कर रहे हैं। पूरी बात का लब्बोलुआब यह है कि 20 साल पुराने 'काले दिन' अफगानिस्तान में वापस आ चुके हैं। इनमें खासतौर पर दोहन महिलाओं का होता है। उन्हें न ही नौकरी की आजादी होती है और न घर से बाहर निकलने की।
इमामों से मांग रहे महिलाओं के नाम
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक जिहादी कमांडर इमामों से अपने इलाके की 12 से 45 साल की लड़कियों और महिलाओं की लिस्ट मांग रहे हैं ताकि उनकी शादी समूह के लड़ाकों से कराई जा सके। वॉरलॉर्ड्स भी 9/11 हमलों के बाद तालिबान शासन पर अमेरिकी सेना के हमलों में विदेशी सैनिकों की मदद करने वाले अफगानों को खोज रहे हैं। एक वीडियो में आतंकी को हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एक शख्स को गोली मारते हुए देखा जा सकता है। तलिबान शासन में सबसे ज्यादा खतरा महिलाओं को और इसीलिए वे सबसे ज्यादा डरी हुई हैं। 1996 में सत्ता में आने के बाद तालिबान ने महिलाओं और लड़कियों के सबसे ज्यादा प्रताड़ित किया था।

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चुस्त कपड़े पहनने पर मारी गोली
रिपोर्ट बताती है कि अपने ही शहर काबुल में शरणार्थियों की तरह रह रहे नागरिक सड़कों पर आतंकियों के मार्च से खौफ में हैं। वे बताते हैं कि समूह ने उनसे अपनी पत्नियों और लड़कियों को लड़ाकों के हाथ सौंपने के लिए कहा था ताकि आतंकी उनसे शादी कर सकें और उनका बलात्कार कर सकें। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट दावा करती है कि आतंकी समूह ने अगवा किए गए नागरिकों और सैनिकों की हत्या कर दी थी, जिसका तालिबान ने खंडन किया था।
रिपोर्ट बताती हैं कि महिलाओं की दुकानों पर नोटिस चस्पा कर दी गई है कि अगर वे दुकान खोलती हैं तो उन्हें इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे। तालिबान ने कथित तौर पर एक महिला को गोली मार दी क्योंकि उसने चुस्त कपड़े पहन रखे थे। कई इलाकों में पुरुष साथी के बिना महिलाओं के घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई है।


दीवारों से हटाई महिला मॉडल्स की तस्वीरें
खबरों बता रही हैं कि कई इलाकों में महिलाओं के बुर्का पहनने और चेहरा ढकने को अनिवार्य कर दिया गया है। वहीं अल जजीरा की रिपोर्ट बताती है कि बैंकों में काम करने वाली महिलाओं को वापस काम कर न लौटने की चेतावनी दी गई है। इस हफ्ते की शुरुआत में एक ब्यूटी सैलून के मालिक ने सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर की थी जिसमें दीवारों पर बनी मॉडल की तस्वीरों को पेंट करते हुए देखा जा सकता था। यह तस्वीर इस बात का सबूत है कि आने वाले तालिबान शासन कैसा होने वाला है। अफगानिस्तान की एक रोती की बच्ची का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसे लाखों लोगों ने देखा। महिलाओं और लड़कियों की स्थिति को लेकर संयुक्त राष्ट्र भी चिंता जता चुका है।

मौत का इंतजार कर रही महिला मेयर
डेली मेल की रिपोर्ट में कहा गया है कि काबुल से सामने आने वाली लड़कियों की तस्वीरों में उन्हें पारंपरिक इस्लामी कपड़ों में स्कूल जाते देखा जा सकता है। हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि काबुल की पहली महिला मेयर इंतजार कर रही हैं कि कब तालिबान उन्हें और उनके पति को खोजकर मार देता है। ज़रीफा घाफारी कहती हैं, 'मैं तालिबान के आने का इंतजार कर रही हूं। वे आएंगे और मेरे जैसे लोगों को मार देंगे। मैं अपने परिवार को नहीं छोड़ सकती।' पिछले शासनकाल में तालिबान ने शरिया कानून के तहत लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा और नौकरी पर बैन लगा दिया था। बुर्का पहनने और पुरुष साथी के साथ घर से निकलने जैसे कड़े नियमों का उल्लंघन करने पर उन्हें चौराहों और स्टेडियम में सार्वजनिक रूप से प्रताड़ना और कई बार मौत की सजा दी जाती थी।

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50 सालों में बदल गई अफगानिस्तान की तस्वीर
काबुल पर कब्जे के बाद महिला कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर चिंता प्रकट कर चुकी हैं। उनकी चिंता जायज़ है क्योंकि अफगानिस्तान अब 20 साल पहले जा चुका है। 70 के दशक में यह देश किसी यूरोपीय देश तरह फैशन और स्टाइल का हब माना जाता था। अब यहां महिलाएं न ही शिक्षा हासिल कर सकती हैं और न ही नौकरी कर सकती हैं। तालिबान वादा कर रहा है कि इस बार का शासनकाल 20 साल पहले की तुलना में अलग होगा। महिलाओं और बच्चों को उनके अधिकार दिए जाएंगे और लोगों की समस्याओं को हल किया जाएगा। तालिबान के वादों पर कैसे भरोसा किया जाए। काबुल पर कब्जे के पहले ही वह अपने कब्जे वाले इलाकों में महिलाओं के अधिकारों का दोहन शुरू कर चुका है। समूह के नए नियम और रवैया बताता है कि अगर अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनती है तो महिलाओं की क्या स्थिति होगी।

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