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बांग्‍लादेश संग रिश्‍ते में सबसे बड़ी बाधा बनीं ममता बनर्जी, भारत दौरे से शेख हसीना की फिर होगी सत्‍ता में वापसी?

Sheikh Hasina India Visit PM Modi: बांग्‍लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने भारत दौरे पर पीएम मोदी से मुलाकात की है। शेख हसीना बांग्‍लादेश से सटे पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात करना चाहती थीं लेकिन उन्‍होंने समय नहीं दिया। विश्‍लेषकों का कहना है कि ममता बनर्जी भारत-बांग्‍लादेश रिश्‍तों में सबसे बड़ी बाधा हैं।

Edited byशैलेश कुमार शुक्ला | आईएएनएस 6 Sep 2022, 2:05 pm

हाइलाइट्स

  • बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना भारत दौरे पर हैं और उन्‍होंने पीएम मोदी से मुलाकात की है
  • ऐसे में ये सवाल उठता है कि भारत से दोस्ती का बांग्‍लादेशी पीएम को कितना फायदा होगा
  • शेख हसीना जब पहली बार सत्ता में आईं, तो उन्होंने गंगा जल बंटवारा संधि पर हस्ताक्षर किए थे
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नवभारतटाइम्स.कॉम sheikh-hasina-modi
शेख हसीना से ममता बनर्जी ने मिलने से किया इंकार
ढाका: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत के दौरे पर हैं। उन्‍होंने पीएम मोदी के साथ मुलाकात की है। ऐसे में ये सवाल उठता है कि भारत से दोस्ती का उन्हें कितना फायदा होगा। शेख हसीना जब पहली बार 1996 में सत्ता में आईं, तो उन्होंने भारत के साथ गंगा जल बंटवारा संधि पर हस्ताक्षर किए। तत्कालीन पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु और कम्युनिस्ट गृह मंत्री इंद्रजीत गुप्ता ने चटगांव पहाड़ी इलाकों में आदिवासी विद्रोह को सुलझाने में प्रमुख भूमिका निभाई थी। इससे हसीना को लोगों का सपोर्ट मिलने लगा, लेकिन इसका असर 2001 के चुनाव में देखने को नहीं मिला। पूर्वोत्तर में एक सीमा विवाद के चलते बांग्लादेश में भारत के खिलाफ स्वर उठने लगे। जिससे हसीना को काफी नुकसान उठाना पड़ा।
जनवरी 2009 से सत्ता में हसीना शेख के लंबे कार्यकाल को विकास के एक सुनहरे दशक के रूप में देखा जाता है। उन्होंने भारत की सुरक्षा और कनेक्टिविटी चिंताओं को दूर करने के लिए कई कदम उठाए। बीएनपी-जमात शासन द्वारा पूर्वोत्तर भारतीय विद्रोहियों पर नकेल कसी गई, साथ ही भारत को पूर्वोत्तर तक पहुंचने के लिए अपने बंदरगाहों का उपयोग करने की अनुमति दी गई। भूमि सीमा समझौते को छोड़कर, हसीना और दिल्ली की सरकारें तीस्ता और अन्य आम नदियों पर जल बंटवारे के समझौते को आगे बढ़ाने में विफल रही। इसको लेकर अब हसीना ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि भारत जल-बंटवारे के मुद्दे पर विचार करेगा।
जब 1971 की जंग में भारतीय सेना के एक ऑफिसर ने बचाई थी बांग्‍लादेश की पीएम शेख हसीना की जान
हसीना ने ममता बनर्जी से डेडलॉक को तोड़ने की अपील की
हसीना ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर डेडलॉक को तोड़ने की अपील की और अपनी भारत यात्रा के दौरान उनसे मिलने की इच्छा व्यक्त की। भारत कई मोर्चों पर काम कर सकता है जैसे प्रमुख परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त ऋण प्रदान करना या बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से गिरावट के मामले में एक सहायता कोष (जैसा कि नई दिल्ली ने श्रीलंका को प्रदान किया है) प्रदान करना, लेकिन नदी का पानी बांग्लादेश की आबादी का एक भावनात्मक मुद्दा है।

कोलकाता के एक स्तंभकार सुखरंजन दासगुप्ता कहते हैं, जिन्होंने बांग्लादेश पर किताबें लिखी हैं, 'ज्योति बसु जैसे परिपक्व राजनेता समझ गए थे लेकिन ममता बनर्जी मानने को तैयार नहीं हैं। हसीना को भारत के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों से वास्तविक लाभ उठाने की जरूरत है। ममता फैक्टर अब द्विपक्षीय संबंधों में सबसे बड़ी अड़चन है।' भारत से वास्तविक लाभ दिखाने की आवश्यकता कभी भी हसीना के लिए अधिक दबाव वाली नहीं रही है। हसीना को अपने लोगों को नदी के पानी के मुद्दे पर सफलता हासिल करने के लिए और रोहिंग्या शरणार्थी मुद्दे को हल करने के लिए भारतीय समर्थन दिखाने की जरूरत है, जो बांग्लादेश के लिए एक बड़ा आर्थिक बोझ है।

बांग्लादेश की राजनीति में 'इंडिया फैक्टर' को समझे नई दिल्‍ली
नदी जल मुद्दे के साथ, हसीना ने रोहिंग्या मुद्दे को हल करने के लिए भारतीय समर्थन का आह्वान किया है, लेकिन चीन की तुलना में भारत का म्यांमार के सैन्य शासन पर बहुत कम प्रभाव है। हसीना को एक साल के भीतर संसद चुनाव का सामना करना पड़ रहा है, पर्यवेक्षकों का कहना है कि अब भारत के लिए वापसी का समय है। उनका कहना हैं कि बांग्लादेश की राजनीति में 'इंडिया फैक्टर' को दिल्ली में नीति निमार्ताओं द्वारा स्पष्ट रूप से समझने की जरूरत है।
लेखक के बारे में
शैलेश कुमार शुक्ला
शैलेश कुमार शुक्‍ला, पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले से ताल्‍लुक रखते हैं। उन्‍होंने इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय और माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्‍वविद्यालय से पढ़ाई की। अमर उजाला से पत्रकारिता की शुरुआत की। वार्ता, पीटीआई भाषा, अमर उजाला, नवभारत टाइम्‍स ऑनलाइन में करीब 14 साल काम का अनुभव है। इंटरनैशनल डेस्‍क पर कार्यरत हैं। राष्‍ट्रीय और अंतरराष्‍ट्रीय राजनीति, विज्ञान, रक्षा, पर्यावरण जैसे विषयों के बारे में जानने और लिखने की हमेशा ललक रही है।... और पढ़ें

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