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UK Inflation : सिर्फ एक खुराक के पैसे, अस्पताल में भर्ती कुपोषण के मरीज, आ रहे भीख मांगने और चोरी करने के ख्याल, ब्रिटेन में 'महंगाई डायन' का कहर

Britain Cost of Living : द टेलीग्राफ की रिपोर्ट बताती है कि ब्रिटेन में मुद्रास्फीति दर जी7 में सबसे बुरी है। अमेरिका और जर्मनी में यह दर 8.5 फीसदी और जापान में 2.4 फीसदी है।

Curated byयोगेश मिश्रा | नवभारतटाइम्स.कॉम 18 Aug 2022, 1:11 pm

हाइलाइट्स

  • ब्रिटेन में मुद्रास्फीति की दर पिछले 40 साल में सबसे ज्यादा
  • खाने की चीजों के दाम पिछले 12 महीने में 34 फीसदी तक बढ़े
  • अधूरी खुराक से कुपोषण का शिकार हुई महिला, अस्पताल में भर्ती
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फोटो साभार : ट्विटर
लंदन : ब्रिटेन में एक मां को कुछ दिनों पहले दूसरी बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। महिला कुपोषण का शिकार हो चुकी है क्योंकि वह अपने दो बच्चों का पेट भरने के लिए दिन में सिर्फ एक बार खाना खा रही थी। 43 साल की केली थॉमसन के पास अपने परिवार का पेट पालने के लिए सिर्फ 40 पाउंड प्रति सप्ताह का बजट है। महिला का कहना है कि उसे डर सता रहा है कि महंगाई की वजह से आगामी सर्दियों में उसे भीख मांगने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। बर्कशायर की रहने वाली दो बच्चों की मां ने कहा कि खाने की चीजों के बढ़ते दामों ने उसका और उसके बच्चों का खाना-पीना मुश्किल कर दिया है।
डेलीमेल की खबर के अनुसार ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स के नए डेटा से पता चलता है कि ब्रिटेन में महंगाई दर 1982 के बाद से सबसे अधिक 10.1 फीसदी है। थॉमसन का वजन काफी कम हो गया है क्योंकि वह दिन में सिर्फ एक बार ही खाना खा रही हैं। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि उन्हें अपनी बेटी के बर्थडे गिफ्ट को बेचकर खाने के लिए पैसे जुगाड़ने पड़ रहे हैं। कुपोषण के चलते वह दो बार अस्पताल में भर्ती हो चुकी हैं।
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जी7 में सबसे बुरा हाल ब्रिटेन का
उन्होंने कहा कि शरीर में आयरन की कमी को दूर करने के लिए उन्हें खून चढ़वाना पड़ेगा क्योंकि उनके पास खाने के लिए उतने पैसे नहीं हैं। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट बताती है कि ब्रिटेन में मुद्रास्फीति दर जी7 में सबसे बुरी है। अमेरिका और जर्मनी में यह दर 8.5 फीसदी और जापान में 2.4 फीसदी है। आंकड़े बताते हैं कि दैनिक खाद्य पदार्थों की कीमतों में 34 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हुई है। थॉमसन का एक 14 साल का बेटा और 11 साल की बेटी है।

चोरी और भीख मांगने के ख्याल
वह कहती हैं, 'हर रोज सुबह उठना और सोचना- हे भगवान! फिर से... मुझे इससे नफरत है।' उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता मैं क्या करूंगी। हमारे पास कुछ नहीं है। लगता है कि मुझे भीख ही मांगनी पड़ेगी। रिपोर्ट के अनुसार, महिला का कहना है, 'यह बदतर स्थिति है। जब भी मैं दुकान पर जाती हूं, सभी चीजें और महंगी हो चुकी होती हैं। मैं चोरी करने के बारे में भी सोचती हूं लेकिन यह सोचकर डर जाती हूं कि अगर मैं गिरफ्तार हो गई तो मेरे बच्चों का क्या होगा।'

चुनाव में निर्णायक मुद्दा बन सकता है कॉस्ट ऑफ लिविंगऑफिस ऑफ नेशनल स्टैटिस्टिक्स के हालिया आंकड़े बताते हैं कि पिछले 12 महीनों में दूध की कीमत औसतन 34 फीसदी बढ़ी है। अन्य चीजों की बात करें तो ऑलिव ऑयल के दाम 23.6 फीसदी, जैम के 21.2 फीसदी और शहद के 14.6 फीसदी बढ़ चुके हैं। कॉस्ट ऑफ लिविंग का मुद्दा ब्रिटेन में चल रही प्रधानमंत्री की रेस में भी निर्णायक साबित हो सकता है। दोनों उम्मीदवार ऋषि सुनक और लिज ट्रस महंगाई कम करने को लेकर नए-नए वादे कर रहे हैं।
लेखक के बारे में
योगेश मिश्रा
योगेश नवभारत टाइम्स डिजिटल में पत्रकार हैं और अंतरराष्ट्रीय खबरें आप तक पहुंचाते हैं। इन्होंने पत्रकारिता की शुरुआती पढ़ाई यानी ग्रेजुएशन माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से की और पोस्ट ग्रेजुएशन बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (लखनऊ) से किया। पत्रकारिता में अनुभव अब पांच साल के पड़ाव को पार कर चुका है। खबरों से इतर योगेश को साहित्य में गहरी दिलचस्पी है। योगेश का मानना है कि पत्रकारिता भी साहित्य की एक विधा है जैसे रेखाचित्र या संस्मरण।... और पढ़ें

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