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ब्रिटेन के नए किंग में महाराजा के बजाय दिख रही किसी 'नेता' की झलक, चार्ल्स III दे रहे राजशाही में बदलाव के संकेत

New King of Britain : चार्ल्स की अधिक निकट से लोगों से जुड़ने की कोशिशें यह दिखाती है कि उन्हें जनता के समर्थन की दरकार है। उनके सामने कई मुश्किल मुद्दे हैं, जिसमें से प्रमुख मुद्दा यह है कि 73 वर्षीय महाराज राष्ट्राध्यक्ष की अपनी भूमिका को किस तरह निभाएंगे।

Edited byयोगेश मिश्रा | भाषा 10 Sep 2022, 3:51 pm
लंदन : अपनी प्रिय महारानी के निधन से शोक में डूबे ब्रिटेन की जनता को अभी यह नहीं मालूम कि नए महाराज चार्ल्स तृतीय का शासन कैसा होगा और क्या वह उनकी मां की परंपराओं से अलग होगा। अगर सिंहासन पर बैठने के उनके पहले दिन से मिले संकेत को देखे तो चार्ल्स कम से कम कुछ अलग करने की तैयारी में तो दिखते हैं। जब चार्ल्स नए महाराज के तौर पर शुक्रवार को पहली बार बकिंघम पैलेस पहुंचे तो उनकी लिमोज़ीन कार उन्हें देखने के लिए उमड़ी भीड़ के बीच से गुजरी और महल के प्रवेश द्वार पर रुकी, जहां उन्होंने कार से बाहर निकलकर अपने शुभचिंतकों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया। चार्ल्स 1,000 साल पुरानी राजशाही के तख्तनशीं के बजाय चुनाव प्रचार अभियान पर निकले अमेरिका के किसी राष्ट्रपति की तरह लगे।
नवभारतटाइम्स.कॉम Charles
File Photo


चार्ल्स ने तकरीबन 10 मिनट तक लोगों का आभार व्यक्त किया और इस दौरान वह लोगों द्वारा 'ईश्वर महाराज की रक्षा करें' के नारे लगाने के बीच मुस्कुराए, हाथ हिलाकर अभिवादन किया, संवेदनाएं स्वीकार की और फूलों का गुलदस्ता स्वीकार किया। महल के बाहर एकत्रित हुए लोगों में से एक 64 वर्षीय एम्मार अल-बल्दावी ने कहा, 'कार से बाहर निकलकर भीड़ से मुलाकात करना प्रभावशाली, दिल को छूने वाला और एक अच्छा कदम है। मुझे लगता है कि शाही परिवार को अब लोगों के साथ संवाद करने की आवश्यकता है।'

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चार्ल्स के सामने क्या-क्या चुनौतियां?
चार्ल्स की अधिक निकट से लोगों से जुड़ने की कोशिशें यह दिखाती है कि उन्हें जनता के समर्थन की दरकार है। उनके सामने कई मुश्किल मुद्दे हैं, जिसमें से प्रमुख मुद्दा यह है कि 73 वर्षीय महाराज राष्ट्राध्यक्ष की अपनी भूमिका को किस तरह निभाएंगे। ब्रिटेन की संवैधानिक राजशाही से जुड़े कानून और परंपराएं राजघराने के प्रमुख को दलगत राजनीति से दूर रहने के लिए कहती हैं लेकिन चार्ल्स युवावस्था से ही उन मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखते रहे हैं जो उन्हें महत्वपूर्ण लगते हैं खासतौर से पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर।

मां की तरह उदाहरण बन पाएंगे चार्ल्स?
वे नेताओं और कारोबारी नेताओं के बयानों से जुदा राय रखते रहे हैं जो तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स पर उन मुद्दों में उलझने का आरोप लगाते हैं, जिन पर उन्हें चुप रहना चाहिए। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या चार्ल्स अपने मां के उदाहरण का अनुसरण करेंगे और अब राजगद्दी पर ताजपोशी के साथ अपने निजी विचारों को दबा देंगे या वृहद जनता तक पहुंचने के लिए अपने इस नए मंच का इस्तेमाल करेंगे।

महाराज के रूप में अपने पहले भाषण में चार्ल्स ने अपने आलोचकों को थोड़ी राहत दी है। उन्होंने कहा, 'जाहिर तौर पर नयी जिम्मेदारियां संभालने पर मेरी जिंदगी में बदलाव आएगा। मेरे लिए अब धमार्थ कार्यों और उन मुद्दों पर ध्यान देना ज्यादा संभव नहीं होगा, जिनकी मैं बहुत परवाह करता हूं। लेकिन मैं जानता हूं कि यह महत्वपूर्ण कार्य अन्य लोगों द्वारा किया जाता रहेगा।'
लेखक के बारे में
योगेश मिश्रा
योगेश नवभारत टाइम्स डिजिटल में पत्रकार हैं और अंतरराष्ट्रीय खबरें आप तक पहुंचाते हैं। इन्होंने पत्रकारिता की शुरुआती पढ़ाई यानी ग्रेजुएशन माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से की और पोस्ट ग्रेजुएशन बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (लखनऊ) से किया। पत्रकारिता में अनुभव अब पांच साल के पड़ाव को पार कर चुका है। खबरों से इतर योगेश को साहित्य में गहरी दिलचस्पी है। योगेश का मानना है कि पत्रकारिता भी साहित्य की एक विधा है जैसे रेखाचित्र या संस्मरण।... और पढ़ें

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