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चीन में अब लग रहे 'आजादी' के नारे, तानाशाही सरकार के खिलाफ आंदोलन में बदला लॉकडाउन का गुस्सा

Protest against Covid Restrictions in China : अगर यह कहा जाए कि चीन में कोरोना वायरस की नई लहर आ चुकी है तो गलत नहीं होगा। लेकिन जनता अब न ही लॉकडाउन में कैद होना चाहती है और न ही उसे दूसरे प्रतिबंध स्वीकार हैं। बड़ी संख्या में लोग 'आजादी' के नारे लगा रहे हैं।

Curated byयोगेश मिश्रा | नवभारतटाइम्स.कॉम 29 Nov 2022, 9:36 am

हाइलाइट्स

  • चीन में कोरोना वायरस के खिलाफ तेज हो रहे विरोध प्रदर्शन
  • युवा लगा रहे आजादी-आजादी के नारे, हाथ में सफेद कागज
  • प्रदर्शनकारी बोले- आजादी या मौत, तानाशाही के खिलाफ गुस्सा
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नवभारतटाइम्स.कॉम china (88)
चीन में विरोध प्रदर्शन
बीजिंग : चीन में लंबे समय से लोग कड़े लॉकडाउन और सख्त जीरो कोविड पॉलिसी का विरोध कर रहे थे। लेकिन अब यह नाराजगी सड़कों पर देखी जा सकती है। दशकों में पहली बार चीन में इतने बड़े पैमाने पर लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। हजारों लोग यूनिवर्सिटी और प्रमुख शहरों की सड़कों पर उतरकर नारे लगा रहे हैं। लेकिन अब ये प्रदर्शन सिर्फ जबरन कोविड टेस्ट या लॉकडाउन विरोध तक सीमित नहीं हैं बल्कि कड़ी सेंसरशिप और कम्युनिस्ट पार्टी की तानाशाही के खिलाफ भी आवाजें उठने लगी हैं।
सीएनएन की खबर के अनुसार, पूरे चीन में चल रहे विरोध प्रदर्शन की कमान प्रमुख रूप से युवाओं ने थाम रखी है। कोरोना प्रतिबंधों के विरोध में शरू हुए प्रदर्शन से अब 'आजादी-आजादी' के नारे सुनाई दे रहे हैं। सरकार के खिलाफ असंतोष में हिस्सा लेने वाले कुछ युवाओं की उम्र बेहद कम है। सोशल मीडिया पर शेयर हो रहे वीडियो में अलग-अलग शहरों से सैकड़ों की भीड़, 'आजादी या मौत' के नारे लगाती हुई नजर आ रही है।

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आजादी, लोकतंत्र, मानवाधिकार की मांग
उरुमकी में एक बिल्डिंग में आग लगने के बाद 10 लोगों की मौत ने इस विरोध की चिंगारी को हवा दी है। कहा जा रहा है कि जीरो कोविड पॉलिसी ने इमरजेंसी वर्कर्स को घटनास्थल तक पहुंचने से रोक दिया। तीन साल से बेहद कड़े कोविड प्रतिबंधों को झेल रहे नागरिकों तक जब यह जानकारी पहुंची तो उनका गुस्सा फूट गया। कुछ प्रदर्शनकारी अब अभिव्यक्ति की आजादी, लोकतंत्र, कानून के शासन, मानवाधिकार और अन्य राजनीतिक मांगों के लिए नारे लगा रहे हैं।

समाज में सिर्फ एक आवाज सही नहीं
सेंसरशिप के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे युवा सफेद कागज हवा में लहरा रहे हैं। यह इंटरनेट से हटाए गए अनगिनत महत्वपूर्ण पोस्ट, न्यूज आर्टिकल और मुखर सोशल मीडिया अकाउंट का प्रतीक है। सीएनएन से बात करते हुए एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'मेरा मानना है कि एक समाज में, अभिव्यक्ति के लिए किसी को अपराधी घोषित नहीं किया जाना चाहिए। समाज में सिर्फ एक आवाज नहीं होनी चाहिए, हमें अलग-अलग आवाजों की जरूरत है।'
लेखक के बारे में
योगेश मिश्रा
योगेश नवभारत टाइम्स डिजिटल में पत्रकार हैं और अंतरराष्ट्रीय खबरें आप तक पहुंचाते हैं। इन्होंने पत्रकारिता की शुरुआती पढ़ाई यानी ग्रेजुएशन माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से की और पोस्ट ग्रेजुएशन बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (लखनऊ) से किया। पत्रकारिता में अनुभव अब पांच साल के पड़ाव को पार कर चुका है। खबरों से इतर योगेश को साहित्य में गहरी दिलचस्पी है। योगेश का मानना है कि पत्रकारिता भी साहित्य की एक विधा है जैसे रेखाचित्र या संस्मरण।... और पढ़ें

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