विक्टोरिया: भारतीय नौसेना का सर्विलांस एयरक्राफ्ट पी8I जिसे हंटर के नाम से भी जानते हैं, इस समय हिंद महासागर में काफी सक्रिय है। हाल ही में इस एयरक्राफ्ट को भारत से चार हजार किलोमीटर दूर सेशेल्स में देखा गया। यह एयरक्राफ्ट एक खास मिशन के तहत सेशेल्स में था। दरअसल 28 से 29 सितंबर तक सेशेल्स एयरफोर्स के सर्विलांस ऑपरेटर्स के साथ इस एयरक्राफ्ट ने एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन (EEZ) पर सर्विलांस सॉर्टीज को पूरा किया। सेशेल्स वह हिस्सा है जहां पर चीन अपनी जमीन को मजबूत करने में लगा हुआ है। भारत लगातार यहां पर अपना मिलिट्री बेस तैयार करने की कोशिशों को आगे बढ़ा रहा है। पहली बार नौसेना गई सेशेल्स
इंडियन नेवी ने पहली बार सेशेल्स में आयोजित कंबाइंड मैरीटइम फोर्सेज (CMF) की तरफ से आयोजित ऑपरेशन सदर्न रेडीनेस एक्सरसाइज में हिस्सा लिया था। इस युद्धाभ्यास में अमेरिका, इटली, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड के अलावा यूके, स्पेन और भारत शामिल थे। भारत की तरफ से इसमें हिस्सा उस वादे के तहत लिया गया जिसका मकसद हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा को और मजबूत करना है। नौसेना की तरफ से आईएनएस सुनैना को भी भेजा गया था।
चीन पिछले काफी समय से हिंद महासागर के पश्चिम में स्थित मैडागास्कर द्वीप पर मिलिट्री बेस बनाने की फिराक में है। हिंद महासागर का पश्चिमी हिस्सा वह जगह है जहां पर भारत की हमेशा से मौजूदगी बड़े स्तर पर रही है। पिछले कुछ समय से लगातार चीन और मैडागास्कर की सेनाओं के बीच मिलिट्री बेस को लेकर चर्चाएं जारी हैं। मेडागास्कर को प्रभावित करने के लिए चीन ने कई तरह के ऑफर्स देने शुरू कर दिए हैं।
चीन की तरफ से मेडागास्कर के सैनिकों को 20 से ज्यादा स्लॉट्स में ट्रेनिंग दी जाएगी। चीन हमेशा से मेडागास्कर को वित्तीय और सैन्य उपकरण, कम्युनिकेशन आइटम और मिलिट्री यूनिफॉर्म देता आ रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं चीन ने दो शॉर्ट रेंज के गश्ती जहाज भी मेडागास्कर को दान किए हैं। मेडागास्कर, हिंद महासागर के पश्चिम में पड़ता है और यह वह जगह है जहां पर भारत हमेशा से मजबूत रहा है।
भारत की कोशिशें जारी
अगर भारत की बात करें तो पिछले एक दशक से वह सेशेल्स के एजम्पशन द्वीप पर मिलिट्री बेस बनाने की कोशिशों में लगा हुआ है। चीन और भारत दोनों के लिए ही हिंद महासागर काफी महत्वपूर्ण है। सेशेल्स की राजधानी विक्टोरिया से करीब 1100 किलोमीटर दूर एजम्पशन द्वीप, मोजांबिक चैनल के उत्तर में पड़ता है। इस द्वीप पर जब भारत ने मिलिट्री बेस बनाने की बात की तो सेशेल्स में इसका भारी विरोध हुआ। सेशेल्स का कहना था कि मिलिट्री बेस का मतलब होगा, देश की संप्रभुता का खो जाना और सेशेल्स चीन और भारत के बीच पिसकर रह जाएगा।
इस द्वीप के उत्तर में स्थित मोजांबिक चैनल, अफ्रीका के दक्षिणी छोर पर है। इसके अलावा यह मेडागास्कर और दक्षिणी-पूर्वी अफ्रीकी तटों पर स्थित द्वीपों के बीच से निकलता है। इसके अलावा स्वेज नहर की तुलना में यह चैनल, यूरोप और नॉर्थ अमेरिका तक जाने का एक छोटा रास्ता है। चीन के लिए यह रूट काफी फायदेमंद है। अगर मलेका स्ट्रेट ब्लॉक होता है या फिर वहां ट्रैफिक होता है तो फिर इसी रास्ते से चीन के जहाज आ-जा सकेंगे।
चुनौती बन गया चीन हाल ही में इंडियन नेवी का सर्विलांस एयरक्राफ्ट पी-8आई को ऑस्ट्रेलिया भी गया था। भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही हिंद महासागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता से त्रस्त हैं। पी8आई को खरीदने का मकसद ही हिंद महासागर पर निगरानी को बढ़ाना था। नौसेना के पी-8आई एयरक्राफ्ट हिंद महासागर के अलावा अरब सागर पर 30 हजार घंटे से ज्यादा उड़ान भर चुके हैं। भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरी ने कहा था कि चीन अब जमीनी सीमाओं के अलावा समुद्री सीमाओं पर भी चुनौती बनता जा रहा है। न केवल चीनी नौसेना के जहाज बल्कि मछली पकड़ने वाली छोटी नावें भी अब हिंद महासागर में घुसपैठ करने लगी हैं।
इंडियन नेवी ने पहली बार सेशेल्स में आयोजित कंबाइंड मैरीटइम फोर्सेज (CMF) की तरफ से आयोजित ऑपरेशन सदर्न रेडीनेस एक्सरसाइज में हिस्सा लिया था। इस युद्धाभ्यास में अमेरिका, इटली, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड के अलावा यूके, स्पेन और भारत शामिल थे। भारत की तरफ से इसमें हिस्सा उस वादे के तहत लिया गया जिसका मकसद हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा को और मजबूत करना है। नौसेना की तरफ से आईएनएस सुनैना को भी भेजा गया था।
चीन पिछले काफी समय से हिंद महासागर के पश्चिम में स्थित मैडागास्कर द्वीप पर मिलिट्री बेस बनाने की फिराक में है। हिंद महासागर का पश्चिमी हिस्सा वह जगह है जहां पर भारत की हमेशा से मौजूदगी बड़े स्तर पर रही है। पिछले कुछ समय से लगातार चीन और मैडागास्कर की सेनाओं के बीच मिलिट्री बेस को लेकर चर्चाएं जारी हैं। मेडागास्कर को प्रभावित करने के लिए चीन ने कई तरह के ऑफर्स देने शुरू कर दिए हैं।
चीन की तरफ से मेडागास्कर के सैनिकों को 20 से ज्यादा स्लॉट्स में ट्रेनिंग दी जाएगी। चीन हमेशा से मेडागास्कर को वित्तीय और सैन्य उपकरण, कम्युनिकेशन आइटम और मिलिट्री यूनिफॉर्म देता आ रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं चीन ने दो शॉर्ट रेंज के गश्ती जहाज भी मेडागास्कर को दान किए हैं। मेडागास्कर, हिंद महासागर के पश्चिम में पड़ता है और यह वह जगह है जहां पर भारत हमेशा से मजबूत रहा है।
भारत की कोशिशें जारी
अगर भारत की बात करें तो पिछले एक दशक से वह सेशेल्स के एजम्पशन द्वीप पर मिलिट्री बेस बनाने की कोशिशों में लगा हुआ है। चीन और भारत दोनों के लिए ही हिंद महासागर काफी महत्वपूर्ण है। सेशेल्स की राजधानी विक्टोरिया से करीब 1100 किलोमीटर दूर एजम्पशन द्वीप, मोजांबिक चैनल के उत्तर में पड़ता है। इस द्वीप पर जब भारत ने मिलिट्री बेस बनाने की बात की तो सेशेल्स में इसका भारी विरोध हुआ। सेशेल्स का कहना था कि मिलिट्री बेस का मतलब होगा, देश की संप्रभुता का खो जाना और सेशेल्स चीन और भारत के बीच पिसकर रह जाएगा।
इस द्वीप के उत्तर में स्थित मोजांबिक चैनल, अफ्रीका के दक्षिणी छोर पर है। इसके अलावा यह मेडागास्कर और दक्षिणी-पूर्वी अफ्रीकी तटों पर स्थित द्वीपों के बीच से निकलता है। इसके अलावा स्वेज नहर की तुलना में यह चैनल, यूरोप और नॉर्थ अमेरिका तक जाने का एक छोटा रास्ता है। चीन के लिए यह रूट काफी फायदेमंद है। अगर मलेका स्ट्रेट ब्लॉक होता है या फिर वहां ट्रैफिक होता है तो फिर इसी रास्ते से चीन के जहाज आ-जा सकेंगे।
चुनौती बन गया चीन हाल ही में इंडियन नेवी का सर्विलांस एयरक्राफ्ट पी-8आई को ऑस्ट्रेलिया भी गया था। भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही हिंद महासागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता से त्रस्त हैं। पी8आई को खरीदने का मकसद ही हिंद महासागर पर निगरानी को बढ़ाना था। नौसेना के पी-8आई एयरक्राफ्ट हिंद महासागर के अलावा अरब सागर पर 30 हजार घंटे से ज्यादा उड़ान भर चुके हैं। भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरी ने कहा था कि चीन अब जमीनी सीमाओं के अलावा समुद्री सीमाओं पर भी चुनौती बनता जा रहा है। न केवल चीनी नौसेना के जहाज बल्कि मछली पकड़ने वाली छोटी नावें भी अब हिंद महासागर में घुसपैठ करने लगी हैं।