दीपंजन रॉय चौधरी, इस्लामाबाद
आतंकिस्तान बन चुके पाकिस्तान के भविष्य का फैसला लेने के लिए फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (FATF) के वर्किंग ग्रुप की आज बैठक होने जा रही है। 22 से 26 फरवरी के बीच होने वाले FATF के प्लेनरी सेशन से पहले 11 से 19 फरवरी के बीच में वर्किंग ग्रुप की 8 वर्चुअल बैठकें होनी हैं। इन बैठकों में इस बात की समीक्षा की जाएगी कि क्या पाकिस्तान ने आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की है या नहीं। उधर, पाकिस्तान अपने आका चीन और तुर्की के बल पर ग्रे लिस्ट से बच निकलने की फिराक में है। पाकिस्तान ने एफएटीएफ से कहा कि उसने आतंकियों के वित्तपोषण को रोकने में 'बड़ी सफलता' हासिल की है, इसलिए उसे ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया जाए। पाकिस्तान ने एफटीएफ से गुहार लगाई है कि या तो उसे ग्रे लिस्ट से हमेशा के लिए निकाल दिया जाए या 27 सूत्री एक्शन प्लान को पूरा करने के लिए ग्रेस ग्रेस पीरियड को बढ़ा दिया जाए। हालांकि पाकिस्तान की दाल गलती नहीं दिख रही है।
वर्ष 2018 से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में है पाकिस्तान
एफएटीएफ ने जोर देकर कहा है कि पाकिस्तान को अगर ग्रे लिस्ट से निकलना है और ब्लैक लिस्ट होने से बचना है तो उसे आतंकियों के वित्तपोषण और मनी लांड्रिंग पर कड़ाई से लगाम लगानी होगी। आतंकियों के खुलकर समर्थन की वजह से एफएटीएफ ने वर्ष 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। इसके बाद से ही पाकिस्तान चीन, तुर्की और मलेशिया की मदद से ब्लैक लिस्ट होने से बचता रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने हाल ही में दावा किया था कि उन्हें अपेक्षा है कि एफएटीएफ का फैसला पाकिस्तान के पक्ष में होगा।
पाकिस्तान ने एफएटीएफ के नियमों को लागू करने के लिए पिछले साल 14 कानूनों में बदलाव किया था। इससे पहले एफएटीएफ के अधिकारियों ने कहा था कि पाकिस्तान आतंक के खिलाफ हमारे 27 कार्ययोजनाओं में से प्रमुख छह योजनाओं को पूरा करने में नाकाम साबित हुआ है। इसमें भारत में वांछित आतंकवादियों मौलाना मसूद अजहर और हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई न करना भी शामिल हैं।
अमेरिका समेत ये देश भी पाकिस्तान के खिलाफ
इसके अलावा नामित करने वाले चार देश-अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी भी पाकिस्तान की सरजमीं से गतिविधियां चला रहे आतंकी संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की उसकी प्रतिबद्धता से संतुष्ट नहीं हैं। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को आतंकवाद के वित्तपोषण को पूरी तरह रोकने के लिए कुल 27 कार्ययोजनाएं पूरी करने की जिम्मेदारी दी थी जिनमें से उसने अभी 21 को पूरा किया है और कुछ काम पूरे नहीं कर सका है।
चीन-तुर्की की शरण में पाकिस्तान
खुज को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से निकाले जाने के लिए पाकिस्तान अपने आका चीन और तुर्की की शरण में चला गया है। इतना ही नहीं, वह मलेशिया से भी खुद की सहायता की अपील कर रहा है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी खुद इन देशों के नेताओं से बात कर अपने लिए सहायता मांग रहे हैं। हालांकि, इन देशों ने बातचीत के बाद जारी बयान में एफएटीएफ का नाम नहीं लिया है।
ग्रे लिस्ट में बना रहा पाकिस्तान तो क्या होगा असर
अगर पाकिस्तान एफएटीएफ की इस बैठक में भी ग्रे लिस्ट में बना रहता है तो उसकी आर्थिक स्थिति का और बेड़ा गर्क होना तय है। पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। पहले से ही कंगाली के हाल में जी रहे पाकिस्तान की हालात और खराब हो जाएगी। दूसरे देशों से भी पाकिस्तान को आर्थिक मदद मिलना बंद हो सकता है। क्योंकि, कोई भी देश आर्थिक रूप से अस्थिर देश में निवेश करना नहीं चाहता है।
आतंकिस्तान बन चुके पाकिस्तान के भविष्य का फैसला लेने के लिए फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (FATF) के वर्किंग ग्रुप की आज बैठक होने जा रही है। 22 से 26 फरवरी के बीच होने वाले FATF के प्लेनरी सेशन से पहले 11 से 19 फरवरी के बीच में वर्किंग ग्रुप की 8 वर्चुअल बैठकें होनी हैं। इन बैठकों में इस बात की समीक्षा की जाएगी कि क्या पाकिस्तान ने आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की है या नहीं। उधर, पाकिस्तान अपने आका चीन और तुर्की के बल पर ग्रे लिस्ट से बच निकलने की फिराक में है।
वर्ष 2018 से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में है पाकिस्तान
एफएटीएफ ने जोर देकर कहा है कि पाकिस्तान को अगर ग्रे लिस्ट से निकलना है और ब्लैक लिस्ट होने से बचना है तो उसे आतंकियों के वित्तपोषण और मनी लांड्रिंग पर कड़ाई से लगाम लगानी होगी। आतंकियों के खुलकर समर्थन की वजह से एफएटीएफ ने वर्ष 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। इसके बाद से ही पाकिस्तान चीन, तुर्की और मलेशिया की मदद से ब्लैक लिस्ट होने से बचता रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने हाल ही में दावा किया था कि उन्हें अपेक्षा है कि एफएटीएफ का फैसला पाकिस्तान के पक्ष में होगा।
पाकिस्तान ने एफएटीएफ के नियमों को लागू करने के लिए पिछले साल 14 कानूनों में बदलाव किया था। इससे पहले एफएटीएफ के अधिकारियों ने कहा था कि पाकिस्तान आतंक के खिलाफ हमारे 27 कार्ययोजनाओं में से प्रमुख छह योजनाओं को पूरा करने में नाकाम साबित हुआ है। इसमें भारत में वांछित आतंकवादियों मौलाना मसूद अजहर और हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई न करना भी शामिल हैं।
अमेरिका समेत ये देश भी पाकिस्तान के खिलाफ
इसके अलावा नामित करने वाले चार देश-अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी भी पाकिस्तान की सरजमीं से गतिविधियां चला रहे आतंकी संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की उसकी प्रतिबद्धता से संतुष्ट नहीं हैं। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को आतंकवाद के वित्तपोषण को पूरी तरह रोकने के लिए कुल 27 कार्ययोजनाएं पूरी करने की जिम्मेदारी दी थी जिनमें से उसने अभी 21 को पूरा किया है और कुछ काम पूरे नहीं कर सका है।
चीन-तुर्की की शरण में पाकिस्तान
खुज को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से निकाले जाने के लिए पाकिस्तान अपने आका चीन और तुर्की की शरण में चला गया है। इतना ही नहीं, वह मलेशिया से भी खुद की सहायता की अपील कर रहा है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी खुद इन देशों के नेताओं से बात कर अपने लिए सहायता मांग रहे हैं। हालांकि, इन देशों ने बातचीत के बाद जारी बयान में एफएटीएफ का नाम नहीं लिया है।
ग्रे लिस्ट में बना रहा पाकिस्तान तो क्या होगा असर
अगर पाकिस्तान एफएटीएफ की इस बैठक में भी ग्रे लिस्ट में बना रहता है तो उसकी आर्थिक स्थिति का और बेड़ा गर्क होना तय है। पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। पहले से ही कंगाली के हाल में जी रहे पाकिस्तान की हालात और खराब हो जाएगी। दूसरे देशों से भी पाकिस्तान को आर्थिक मदद मिलना बंद हो सकता है। क्योंकि, कोई भी देश आर्थिक रूप से अस्थिर देश में निवेश करना नहीं चाहता है।