उन्होंने बाढ़ से हुए नुकसान का उल्लेख करते हुए बताया कि देश में मध्य जून के बाद से इस प्राकृतिक आपदा से संबंधित घटनाओं में 1,666 लोग जान गंवा चुके हैं।
जियो न्यूज की खबर में कहा गया कि बाढ़ से देश का एक तिहाई हिस्सा पानी में डूब गया और इससे करीब 30 अरब अमेरिकी डॉलर के नुकसान का अनुमान है।
योजना, विकास एवं विशेष पहल मामलों के मंत्री इकबाल ने अभूतपूर्व बारिश व बाढ़ के लिये जलवायु परिवर्तन पर दोष मढ़ा। इस प्राकृतिक आपदा में हजारों लोग घायल हुए तो वहीं 3.3 करोड़ से ज्यादा लोगों को विस्थापन की मार झेलनी पड़ी।
उन्होंने कहा, “प्राकृतिक आपदाएं जलवायु परिवर्तन का परिणाम हैं, हालांकि हम भविष्य में इनसे निपटने के लिए योजनाएं लेकर आ रहे हैं। फिलहाल सरकार ने 20 अविकसित जिलों के लिए 40 अरब रुपये आवंटित किए हैं।”
बाढ़ के कारण 20 लाख से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचा तथा 10 लाख से ज्यादा मवेशियों की जान चली गई जो ग्रामीण इलाकों में आजीविका का प्रमुख साधन होते हैं।
बाढ़ से यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि क्या नकदी की कमी वाला देश समय पर अपने कर्ज का भुगतान करने में सक्षम होगा, क्योंकि स्थानीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रही है और विदेशी मुद्रा भंडार घट रहा है।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने विनाश से हुए नुकसान की भरपाई के लिए जलवायु न्याय की मांग की है क्योंकि आपदा जलवायु से प्रेरित थी और दुनिया में सबसे कम कार्बन उत्सर्जन करने वाले देशों में से एक पाकिस्तान विकसित देशों द्वारा किए जाने वाले उत्सर्जन का खामियाजा भुगत रहा है।
इस बीच, बाढ़ के कारण विस्थापित हुए हजारों लोग खुले शिविरों में रहने को मजबूर हैं। उन्होंने राहत और मदद मुहैया कराने में सरकार की नाकामी को लेकर अपना असंतोष जाहिर किया है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के मुताबिक बाढ़ से सबसे बुरी तरह प्रभावित प्रांत सिंध है।
सिंध में लोगों की भीड़ और शोर के बीच शबीरा खातून (35) खामोशी से बैठी हैं और पलक तक नहीं झपकातीं। वह अब भी अपने नवजात को खोने के गम से उबर नहीं पाई हैं।
शबीरा की 13 वर्षीय बेटी समीना ने कहा कि शिविरों में रह रहे अधिकतर बच्चे “तेज बुखार से पीड़ित हैं और डेंगू या मलेरिया से ग्रस्त हैं।”
उसने कहा “यहां के करीब 80 फीसदी बच्चे मलेरिया और अतिसार से पीड़ित हैं।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि मलेरिया, डेंगू बुखार, त्वचा और आंखों में संक्रमण और तेज दस्त जैसी बीमारियों में वृद्धि से “दूसरी आपदा” की आशंका है।
अपनी उम्र से कहीं बड़ी दिखने लगी समीना ने कहा, “कराची आने से एक रात पहले मेरी मां को प्रसव-पीड़ा थी।”
उसने कहा, “काफी बारिश हो रही थी और हम हड़बड़ी में लरकाना सिविल हास्पिटल पहुंचे। लेकिन उस दिन 10 घंटे तक मेरी मां ऑपरेशन थियेटर में रहीं...चिकित्सक का इंतजार करते हुए, बिना बिजली के। हम तड़के तीन बजे तक इंतजार करते रहे...अगली सुबह मेरी मां ने एक मृत बच्ची को जन्म दिया।”
सिंध के मेहरपुर इलाके में फकीर गौस बख्श ने कहा, “करीब 1000 लोगों के लिये यहां सिर्फ चार शौचालय हैं, दो की हालत बेहद खस्ता है।”
लोगों की भीड़ में खड़ी एक लड़की ने कहा, “ये हमारा वतन थोड़े ही है।”
लड़की ने डॉन अखबार को बताया, “यह हमारा वतन नहीं है। हम यहां एक कमरे में बंद हैं और हमें कहीं जाने की इजाजत नहीं है।”
एक अन्य बाढ़ पीड़ित ने कहा कि सरकार प्रभावित लोगों को सुरजानी कस्बे में एक राहत शिविर में भेजने की तैयारी कर रही है।
मेहर के कुर्बान अली मेहर ने कहा, “जंगल में ले जा कर हमें फेंक देंगे ये लोग हमे। वे कहते हैं हमें वहां सभी सुविधाएं दी जाएंगी।”