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Pakistan Economy Crisis: कभी भुट्टो ने कहा था, घास खाएंगे, भूखे सोएंगे, आज उसी हालत में पहुंचा परमाणु ताकत वाला पाकिस्‍तान

पाकिस्‍तान (Pakistan) की तस्‍वीर आज दुनिया से छिपी नहीं है। आटे की बोरियों के लिए होती मारपीट और भूख से बिलखते बच्‍चे, पिछले कुछ समय से इसी तरह के वीडियोज और फोटोग्राफ्स सोशल मीडिया पर आ रहे हैं। गेहूं की पैदावार में दुनिया का सांतवा देश पाकिस्‍तान में आज आटा लोगों की पहुंच से बाहर हो चुका है। ऐसा लगता है कि देश के एक पूर्व राष्‍ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो (Zulfiqar Ali Bhutto) की एक बात सच साबित होने लगी है।

Curated byऋचा बाजपेई | नवभारतटाइम्स.कॉम 12 Jan 2023, 6:00 am
इस्‍लामाबाद: पाकिस्‍तान के चौथे राष्‍ट्रपति और सातवें प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को देश के परमाणु कार्यक्रम का जनक कहा जाता है। भारत के परमाणु कार्यक्रम से परेशान जुल्फिकार परमाणु हथियारों को हासिल करने के लिए इतने उतावले थे कि उन्‍होंने देशवासियों को घास तक खाने की सलाह दे डाली थी। आज भुट्टो की बात सच साबित होती नजर आने लगी है। देश के पास परमाणु हथियार हैं लेकिन आटे के लिए मारामारी मची हुई है। पाकिस्‍तान के आने वाले दिन बहुत मुश्किल होने वाले हैं। देश के पास सिर्फ तीन हफ्तों का ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा है और दक्षिण एशिया का यह देश बर्बादी की तरफ बढ़ रहा है।
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परमाणु हथियारों पर कितना खर्च
पाकिस्‍तान में गेहूं और आटे के संकट पर बात करने से पहले आपको भुट्टो का बयान याद दिलाते हैं। साल 1970 में भुट्टो ने परमाणु कार्यक्रम के लिए अपनी बेचैनी एक बयान से जाहिर कर दी थी। भुट्टो ने कहा था, 'पाकिस्‍तानी घास खाएंगे, भूखे रहेंगे लेकिन परमाणु बम जरूर हासिल करके रहेंगे।' भुट्टो की बात लगता है एकदम सच साबित हो रही है। जून 2022 में इंटरनेशनल कैंपेन टू एबॉलिश न्‍यूक्लियर वेपंस (ICAN) की रिपोर्ट आई थी। इसमें कहा गया था कि पाकिस्‍तान ने साल 2021 में परमाणु हथियारों पर 1.1 अरब डॉलर की रकम खर्च कर डाली।
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यह स्थिति तब थी जब देश में दवाईयों और खाने-पीने की चीजों का अकाल पड़ रहा था। आर्थिक स्थिति को लेकर कई तरह की चेतावनी दी जा रही थीं और अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (IMF) से कर्ज मिलने की उम्‍मीद भी नजर नहीं आ रही थी। आज पाकिस्‍तान पूरी दुनिया ने आर्थिक मदद की गुहार लगा रहा है। देश में 165 परमाणु हथियार हैं, अमेरिका से एफ-16 के रखरखाव के लिए बड़ी रकम भी मिलने वाली हैं। लेकिन आटे की वजह से मां अपने बच्‍चों को पानी पिलाकर सुलाने पर मजबूर हो गई है।

आटे की वजह से होती मौत

पाकिस्‍तान की पोर्ट सिटी कराची में एक किलो आटे का भाव 140 से 160 रुपए प्रति किलो है। देश की राजधान इस्‍लामाबाद और एतिहासिक शहर पेशावर में 10 किलो आटे की बोरी के लिए 1500 रुपए तक खर्च करने पड़ रहे हैं। तो वहीं 20 किलो आटे की कीमत 2800 रुपए तक पहुंच गई हैं। खैबर पखतूनख्‍वां की बात करें तो यहां पर 20 किलो आटा 3100 रुपए में बिक रहा है। खाने के लिए सबसे जरूरी आटे की कमी की वजह से अब देश में चार लोगों की मौत तक हो चुकी है।
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14 फरवरी 2022 को आई डॉन की ए‍क रिपोर्ट में कहा गया था कि पहले से ही आर्थिक संकट से जूझते पाकिस्‍तान को गेहूं की भारी किल्‍लत का सामना करना पड़ेगा। जबकि एक साल पहले यानी साल 2021 में देश में रेकॉर्ड फसल हुई थी। पाकिस्‍तान में 28.75 मिलियन टन गेहूं पैदा करके रेकॉर्ड बना डाला था। इसके बाद भी 2.2 मिलियन टन गेहूं आयात करना पड़ गया था। पिछले साल ही विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि सरकार का खराब प्रंबधन देश में बड़ी मुसीबत का जिम्‍मेदार होगा।

गेहूं उत्‍पादन में सांतवा देश
आपको जानकर हैरानी होगी कि पाकिस्‍तान गेहूं के उत्‍पादन में दुनिया का सांतवा देश है। साल 2021 की पाकिस्‍तान सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक 25 मिलियन टन पैदा करके देश ने दुनिया में एक नया रेकॉर्ड बनाया था। आर्थिक संकट की वजह से कराची में दुकानदारों ने अब चावल के दाम तय करने शुरू कर दिए हैं। कराची में चावल की कीमत 270 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है। भारी आयात लागत, महंगी होती ऊर्जा, भारी कर्ज, घटता मुद्रा भंडार, वैश्विक महंगाई, राजनीतिक अस्थिरता और कम होती जीडीपी ने देश को उस स्थिति में पहुंचा दिया है जहां से लौटना एक बड़ी चुनौती का विषय बन गया है।
लेखक के बारे में
ऋचा बाजपेई
" मैंने साल 2021 में टाइम्‍स ग्रुप को ज्‍वॉइन किया और फिलहाल एनबीटी ऑनलाइन में अंतरराष्‍ट्रीय खबरों के सेक्‍शन की जिम्‍मेदारी निभा रही हूं। जर्नलिज्‍म में कुल अनुभव 15 साल का है और अंतरराष्‍ट्रीय मामलों के अलावा रक्षा और राष्‍ट्रीय राजनीति और मनोरंजन में भी रूचि है। "... और पढ़ें

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