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रक्षा उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं की जा रही भूमि सेना वापस करे: पाकिस्तान का उच्चतम न्यायालय

इस्लामाबाद, 30 नवंबर (भाषा) पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने सरकारी जमीन पर निर्माण के लिए सेना की खिंचाई करते हुए कहा कि कानून रक्षा उद्देश्यों के लिए भूमि को व्यावसायिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देता है और आदेश दिया कि इसे सरकार को वापस करना चाहिए। उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश गुलजार अहमद, न्यायमूर्ति काजी मोहम्मद अमीन अहमद और न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन की एक पीठ ने वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए छावनी और सैन्य भूमि के उपयोग के एक मामले की सुनवाई फिर से शुरू की है। प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को इस तथ्य

भाषा 30 Nov 2021, 9:20 pm
इस्लामाबाद, 30 नवंबर (भाषा) पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने सरकारी जमीन पर निर्माण के लिए सेना की खिंचाई करते हुए कहा कि कानून रक्षा उद्देश्यों के लिए भूमि को व्यावसायिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देता है और आदेश दिया कि इसे सरकार को वापस करना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश गुलजार अहमद, न्यायमूर्ति काजी मोहम्मद अमीन अहमद और न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन की एक पीठ ने वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए छावनी और सैन्य भूमि के उपयोग के एक मामले की सुनवाई फिर से शुरू की है।

प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को इस तथ्य पर नाराजगी जताई कि रक्षा उद्देश्यों के लिए दी गई जमीन का उपयोग सिनेमा, पेट्रोल पंप, आवासीय सोसाइटी, शॉपिंग मॉल और मैरिज हॉल बनाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘कानून की मंशा यह नहीं है कि रक्षा भूमि का उपयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए किया जाए...यदि इसका इस्तेमाल रक्षा उद्देश्य के लिए नहीं किया जा रहा है तो इसे सरकार को सौंप देनी चाहिए।’’

प्रधान न्यायाधीश ने सेना की जमीन पर वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के लिए मकानों के निर्माण को लेकर भी नाराजगी जताई और कहा, ‘‘यह रक्षा उद्देश्यों के अंतर्गत नहीं आता है।’’ उन्होंने पूछा, ‘‘सेना सरकारी जमीन पर व्यावसायिक गतिविधियों को कैसे अंजाम दे सकती है?’’

रक्षा सचिव ने कहा कि भूमि के उपयोग में कानून के उल्लंघन की जांच के लिए तीनों सशस्त्र बलों की एक संयुक्त समिति का गठन किया गया। रक्षा सचिव के बयान से अदालत के संतुष्ट नहीं होने पर अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद ने अदालत से रिपोर्ट वापस लेने की अनुमति देने का अनुरोध किया। प्रधान न्यायाधीश ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि उन्हें रक्षा सचिव को सूचित करना चाहिए कि अदालत में जो रिपोर्ट पेश की गई वह ‘‘गलत’’ है। प्रधान न्यायाधीश ने रक्षा सचिव को विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया।

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