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पाकिस्तान के क्वेटा में टेरर अटैक के पीछे राजनीति?

पाकिस्तान के क्वेटा में सोमवार रात पुलिस ट्रेनिंग सेंटर पर हुए हमले की जिम्मेदारी आईएस ने ली है। पाकिस्तान के राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि आतंकवादी हमला असल में पंजाब प्रांत से उभरे आतंकवादियों का काम है। यह प्रांत इऩ दिनों पाकिस्तान में सत्ता के संघर्ष का केंद्र है।

नवभारत टाइम्स 27 Oct 2016, 11:41 am
रमेश तिवारी, नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम politics behind terror attack in quetta of pakistan
पाकिस्तान के क्वेटा में टेरर अटैक के पीछे राजनीति?


पाकिस्तान के क्वेटा में सोमवार रात पुलिस ट्रेनिंग सेंटर पर हुए हमले की जिम्मेदारी आईएस ने ली है। हालांकि इस इलाके में आईएस का ज्यादा असर नहीं है। पाकिस्तान के राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि आतंकवादी हमला असल में पंजाब प्रांत से उभरे आतंकवादियों का काम है। यह प्रांत इऩ दिनों पाकिस्तान में सत्ता के संघर्ष का केंद्र है।

पाकिस्तान में सरकार बनाने के लिए सबसे ज्यादा आबादी वाले इस प्रांत में राजनीतिक वर्चस्व जरूरी माना जाता है। विपक्षी दल पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के मुखिया इमरान खान इस प्रांत में अपनी पैठ बनाने की कोशिश में हैं। पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मौजूदा हालात में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन को पंजाब प्रांत में हराना मुश्किल है। क्वेटा की घटना ऐसे समय में हुई जब इमरान खान ने 2 नवंबर को राजधानी इस्लामाबाद के बंद का ऐलान किया है। वह पनामा पेपर्स के खुलासों के मद्देनजर प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के इस्तीफे की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन करेंगे।

2014 में इमरान खान के साथ धार्मिक नेता ताहिर उल कादरी ने भी इस्लामाबाद को चार महीने तक विरोध प्रदर्शनों से घेर रखा था। लोकल अखबारों की रिपोर्ट है कि इमरान को इस बार समी उल हक का भी साथ मिल सकता है, जिसे तालिबान के जनक के तौर पर जाना जाता है। कहा जाता है कि समी उल हक को इस साल खैबर पख्तूनवा में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की सरकार से बजटीय सहायता मिली थी।

उधर केंद्र में सत्ताधारी पीएमएल-नवाज भी धार्मिक नेताओं के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश में है। इमरान की कोशिशों का मुकाबला करने के लिए आंतरिक मामलों के केंद्रीय मंत्री चौधरी निसार अली खान ने हाल में धार्मिक नेताओं के साथ मीटिंग की थी। पाकिस्तान में कई राजनीतिक दलों ने आरोप लगाया है कि जब भी पाकिस्तान में सरकार संकट में पड़ती है, धार्मिक नेताओं की पूछ बढ़ जाती है और हिंसा की गतिविधियों में बढ़ोतरी हो जाती है।

पनामा पेपर लीक में नाम आने और भारत की ओर से किए गए सर्जिकल स्ट्राइक के बाद नवाज की साख दांव पर है। पाकिस्तान की राजनीति में सरकारें बनाने और गिराने में हमेशा से अहम भूमिका निभाने वाली सेना के प्रमुख राहिल शरीफ से भी नवाज के रिश्ते बिगड़ गए हैं। सेना पहले भी नवाज की सरकार को बाहर का रास्ता दिखा चुकी है। राहिल नवंबर में रिटायर होने जा रहे हैं और नवाज उन्हें एक्सटेंशन देने के मूड में नहीं हैं। अगर सेना ने इमरान खान को सपॉर्ट कर दिया तो नवाज के लिए यह खतरे की घंटी साबित होगी। यही वजह है कि नवाज सरकार धार्मिक संगठनों को नाराज नहीं करना चाहती है।

पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज में कम से कम 60 कैडेट इस हमले में मारे गए और 120 से ज्यादा घायल हुए हैं। क्वेटा पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी है। कुछ महीने पहले यहां के एक अस्पताल पर हमला किया गया था, जिसमें 88 लोग मारे गए थे। हाल के समय में सेना ने आतंकवादियों के खिलाफ मुहिम चलाई थी और हिंसा की घटनाओं में कमी आ रही थी और राहिल शरीफ को इसका श्रेय दिया जा रहा था। ताजा हमलों के बाद राहिल के समर्थक दावा कर रहे हैं कि चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं और राहिल को एक्सटेंशन देना जरूरी है।

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