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सऊदी अरब ने पाकिस्तान में चीन को दिया झटका, ग्वादर में नहीं बनाएगा तेल रिफाइनरी

सऊदी अरब ने फैसला किया है कि वह पाकिस्तान के ग्वादर में तेल रिफाइनरी नहीं बनाएगा बल्कि कराची में बनाएगा। ग्वादर चीन की महत्वाकांक्षी China Pakistan Economic Corridor का अहम हिस्सा है। s

नवभारतटाइम्स.कॉम 15 Jun 2021, 5:53 pm
इस्लामाबाद
नवभारतटाइम्स.कॉम प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

सऊदी अरब ने अपने एक ही फैसले चीन और पाकिस्तान दोनों को बड़ा झटका दिया है। उसने 10 अरब डॉलर की प्रस्तावित ऑइल रिफाइनरी ग्वादर से कराची शिफ्ट करने का फैसला किया है। ग्वादर को चीन की अतिमहत्वाकांक्षी बेल्ड ऐंड रोड परियोजना का सबसे अहम हिस्सा माना जाता है। हालांकि, सऊदी के कदम से मेगा-इनवेस्टमेंट हब के तौर पर अपनी पहचान खोने की अटकलें तेज हो गई हैं।

ऊर्जा और पेट्रोलियम पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के स्पेशल असिस्टेंट तबीश गौहर ने मीडिया को बताया था कि सऊदी अरब ग्वादर में अपनी रिफाइनरी नहीं बनाएगा लेकिन कराची के पास कहीं एक पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स के साथ बनाएगा। उन्होंने बताया था कि आने वाले पांच साल में दो लाख बैरल प्रतिदिन की क्षमता वाली दूसरी रिफाइनरी पाकिस्तान में बन सकती है। सऊदी अरब ने फरवरी 2019 में इस प्रॉजेक्ट के लिए समझौते पर दस्तखत किए थे।


अच्छा आइडिया नहीं था ग्वादर?
प्रॉजेक्ट कराची शिफ्ट करने का फैसला ग्वादर में इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी को दिखाता है। एक पाकिस्तानी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर Nikkei Asia को बताया है कि ग्वादर की रिफाइनरी एक अच्छा आइडिया नहीं थी। उनका कहना है, 'ग्वादर रिफाइनरी के लिए अच्छी लोकेशन तब होता जब 600 किलोमीटर की पाइपलाइन उसे कराची से जोड़ती, जो देश की तेल सप्लाई का केंद्र है।'

फिलहाल कराची से उत्तरी पाकिस्तान को जोड़ने के लिए तेल की पाइपलाइन है, पूर्व के लिए नहीं। बिना पाइपलाइन ग्वादर से देश के केंद्र तक तेल ले जाना बहुत महंगा होता। उनका कहना है कि विकास की मौजूदा गति से ग्वादर के इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े मुद्दे अगले 15 साल तक सुलझते नहीं दिख रहे हैं।


'पाकिस्तान-रूस की नजदीकी का नतीजा?'
अधिकारी ने यह भी संकेत दिए कि पाकिस्तान के रूस के साथ ऊर्जा क्षेत्र को लेकर समझौते सऊदी के फैसले के पीछे कारण हो सकते हैं। फरवरी 2019 में ही रूस के एक डेलिगेशन ने भी 14 अरब डॉलर अलग-अलग ऊर्जा परियोजनाओं में लगाने का वादा किया था। इन पर काम नहीं हुआ है लेकिन पाकिस्तान के बाद सऊदी का विकल्प जरूर खुला है। रिपोर्ट के मुताबिक सुरक्षा कारणों के चलते भी ग्वादर रिफाइनरी अच्छा आइडिया नहीं थी।

ग्वादर से रिफाइनरी को कराची शिफ्ट किए जाने से यह भी इशारा मिलता है कि CPEC (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) या चीन का BRI (बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव) मेगा-इन्वेस्टमेंट हब के तौर पर ग्वादर को प्रमोट करने में असफल रहा है। ग्वादर में विदेश प्रत्यक्ष निवेश सीमित होगा और चीन की ओर से ही रहेगा। इससे यहां विकास भी सीमित ही होगा। इससे यह सवाल भी खड़ा होने लगा है कि 6 साल में पाकिस्तान और चीन ने ग्वादर के इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के लिए क्या काम किया है।

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