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इंसानों के भविष्य को सुरक्षित रख रहे अभेद्य वॉल्ट को ग्लोबल वॉर्मिंग से खतरा

नवभारतटाइम्स.कॉम 20 May 2017, 1:54 pm
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दुनिया में जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग का खतरा बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे वैज्ञानिकों की परेशानियां भी बढ़ती जा रही हैं। वैज्ञानिकों को यह भी डर है कि दुनिया पर एकाएक कभी कोई बड़ा संकट आ सकता है। इन्हीं चिंताओं को मद्देनजर रखते हुए साल 2008 में वैज्ञानिकों ने नॉर्वे में एक अनोखा बैंक बनाया। इसमें दुनियाभर में पाए जाने वाले सबसे खास और बेहतरीन गुणवत्ता वाले अनाजों, फलों, सब्जियों और पेड़-पौधों के चुनिंदा बीज संभाल कर रखे गए। इसे 'ग्लोबल सीड वॉल्ट' का नाम दिया गया। इसे बनाने का मकसद यह था कि अगर किसी दिन दुनिया पर कोई बहुत बड़ा कहर आता है, तो उस स्थिति में भी भविष्य के लिए अनाज और खाद्य सामग्रियों की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। ऐसा न हो कि दुनिया पर आए संकट में हर चीज बर्बाद हो जाए और भविष्य में इंसानों की खाद्य आपूर्ति श्रृंखला भी हमेशा-हमेशा के लिए खत्म हो जाए। इस ग्लोबल सीड वॉल्ट को हर तरह के खतरे का सामना करने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया था। शायद इसीलिए कई लोग इसे 'डूम्सडे सीड वॉल्ट' भी कहते हैं। इस वॉल्ट से उम्मीद थी कि कयामत के दिन भी यह सलामत रहेगा और आपदा से उबरने के बाद इसी के सहारे आने वाले इंसानों और जीवों की आबादियां पेट भरने का इंतजाम करेंगी। लेकिन यह बीज बैंक भी ग्लोबल वॉर्मिंग के असर से नहीं बच पाया।

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इंसानों का भविष्य सुरक्षित रखने के लिए बना था यह बीज बैंक
'द गार्डियन' की एक खबर के मुताबिक, इस 'अंतरराष्ट्रीय बीज बैंक' को इस तरह डिजाइन किया गया था कि कोई आपदा इसे नुकसान न पहुंचा सके। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इसका डिजाइन अभेद्य था। पूरी मानवता के भविष्य को बचाने के मकसद से तैयार किए गए इस सीड वॉल्ट को आर्कटिक के एक बर्फीले पहाड़ के अंदर काफी गहराई में बनाया गया था। इस पूरी मेहनत पर ग्लोबल वॉर्मिंग ने पानी फेर दिया है। इसके कारण यहां पूरी सर्दियों में तापमान बेहद गर्म रहा। यहां के वातावरण में अजीबोगरीब बदलाव देखने को मिले। इसके कारण बहुत बड़ी मात्रा में बर्फ पिघली और इस बीज बैंक में प्रवेश करने की सुरंग में पानी भर गया। अच्छी बात यह रही कि सुरंग में भरा पानी अंदर वॉल्ट तक नहीं पहुंच सका और वहां रखे बीज सुरक्षित बच गए।

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यहां अलग-अलग तरह के बेशकीमती बीजों के 10 लाख पैकेट्स
यह वॉल्ट नॉर्वे के स्पिट्सबर्गन द्वीप पर है। इसके अंदर बीजों के करीब 10 लाख पैकेट्स हैं। हर पैकेट में एक अहम फसल श्रृंखला से जुड़े बीज सुरक्षित रखे गए हैं। जब 2008 में इसे बनाया गया था, तब बर्फ से जमी जमीन के अंदर काफी गहराई में इस वॉल्ट को डूबो दिया गया था। माना जा रहा था कि यह व्यवस्था किसी भी मानवीय या प्राकृतिक आपदा की स्थिति में इस वॉल्ट को शर्तिया सुरक्षित रखेगी। लेकिन गुजरा साल आर्कटिक में अब तक का सबसे गर्म साल रहा। यहां का तापमान तेजी से बढ़ता जा रहा है। इसके कारण बड़ी मात्रा में बर्फ पिघली और मूसलाधार बारिश हुई। नॉर्वे सरकार के एक अधिकारी ने बताया, 'हमने यह नहीं सोचा था कि यह वॉल्ट बर्फ की परतों से ढकी धरती के अंदर रखा गया है, वहां बर्फ ही नहीं रहेगी। उन्होंने बताया कि जलवायु में हुए इस बदलाव के कारण जो तब्दीलियां हुईं, उसके कारण वॉल्ट की सुरंग के रास्ते में बहुत सारा पानी भर गया। इसके बाद पानी जमकर बर्फ बन गया। इसके कारण वॉल्ट के सुरंग की हालत ग्लैशियर जैसी हो गई।

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हर हाल में, हर आपदा के सामने सुरक्षित रहने के लिए तैयार किया गया था
फिलहाल ये बीज भले ही सुरक्षित हों, लेकिन इस पूरे मामले ने वॉल्ट की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया था कि इसपर नजर रखने की जरूरत न पड़े, लेकिन इस घटना के बाद अब इसपर चौबीस घंटे नजर रखनी पड़ रही है। यह सवाल भी वैज्ञानिकों को परेशान कर रहा है कि क्या यह वॉल्ट अपने मकसद में कामयाब होगा? क्या यह वॉल्ट संभावित विपदा की स्थिति का सामना कर सकेगा?

वैज्ञानिकों ने नहीं मानी है हार, आखिरकार इंसानों के भविष्य का है सवाल
वैज्ञानिक अब इन चुनौतियों के मद्देनजर वॉल्ट की सुरक्षा के और अभेद्य उपाय तलाशने में जुट गए हैं। वैज्ञानिक इस बात पर भी नजर रखेंगे कि क्या 2017 की सर्दियां भी पिछले साल की तरह गर्म होंगी? यह सवाल भी उन्हें परेशान कर रहा है कि क्या आने वाले दिनों में स्थिति और बदतर हो जाएगी? वैज्ञानिक इस बात से परेशान हैं कि जो वॉल्ट हमेशा-हमेशा के लिए सुरक्षित बचे रहने को तैयार किया गया था, उसे 10 साल के अंदर ही इतनी गंभीर स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी है। उन्हें यकीन है कि वे चुनौतियों का रास्ता तलाश लेंगे। नॉर्वे की सरकार भी इसे बहुत बड़ी जिम्मेदारी मानकर इसे काफी गंभीरता से ले रही है। आखिरकार यह कोई साधारण प्रॉजेक्ट नहीं, दुनिया और इसमें रह रहे इंसानों के भविष्य की उम्मीद है।

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