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जानें, कैसे भारतीय महिला की मौत आयरलैंड में जनमत संग्रह की वजह बनी

आयरलैंड के मतदाता ऐतिहासिक जनमत संग्रह के लिए मतदान कर रहे हैं। इस जनमत संग्रह से यह तय हो गा कि पारंपरिक कैथोलिक देश को यूरोप के कुछ कड़े गर्भपात संबंधी कानूनों को लचीला बनाना चाहिए या नहीं जिसमें अजन्मे बच्चे और महिला को समान अधिकार मिले हुए हैं। इसके तहत गर्भपात बैन है और इसका उल्लंघन होने पर 14 साल की सजा का प्रावधान है।

टाइम्स न्यूज नेटवर्क 25 May 2018, 8:00 pm
डबलिन
नवभारतटाइम्स.कॉम SAVITA

आयरलैंड के मतदाता ऐतिहासिक जनमत संग्रह के लिए मतदान कर रहे हैं। इस जनमत संग्रह से यह तय हो गा कि पारंपरिक कैथोलिक देश को यूरोप के कुछ कड़े गर्भपात संबंधी कानूनों को लचीला बनाना चाहिए या नहीं। इसके तहत गर्भपात बैन है और इसका उल्लंघन होने पर 14 साल की सजा का प्रावधान है।

उल्लेखनीय है कि 2012 में 17 सप्ताह की गर्भवती भारतीय मूल की डेंटिस्ट सविता हलप्पनावर की गर्भपात की अनुमति नहीं मिलने पर मौत हो गई थी। डॉक्टरों ने धार्मिक प्रतिबंध के कारण सविता द्वारा की गई अपील की ठुकरा दिया था। सविता की मौत पर वहां काफी रोष देखने को मिला था। हालांकि, इस घटना के बाद 2013 में संशोधन में एक अपवाद शामिल किया गया था जिसमें मां को खतरा देखते हुए गर्भपात की अनुमति का प्रावधान है।

इधर, सविता के पिता अदनप्पा यालगी ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि आयरलैंड के लोग मेरी बेटी सविता को जनमत संग्रह के दिन याद करेंगे, जो उसके साथ हुआ वह किसी और परिवार के साथ नहीं होगा।' उन्होंने कर्नाटक से गार्डियन के साथ फोन पर बातचीत में कहा, 'मैं उसके बारे में हर दिन सोचता हूं। आठवें संशोधन के कारण जो उपचार मिलना चाहिए था, वह उसे नहीं मिला। उन्हें कानून में बदलाव लाना चाहिए।'

भारतीय मूल के प्रधानमंत्री लियो वरडकर भी आठवें संशोधन को हटाने के पक्ष में हैं और उन्होंने लोगों से जनमत संग्रह में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने की अपील की है

आयरलैंड में हालिया महीनों में सार्वजनिक बहस बढ़ने के बीच गर्भपात संबंधी कानूनों को लचीला बनाने के अभियान में तेजी आई है। अब करीब 35 लाख मतदाता इस विषय पर फैसला करेंगे कि गर्भपात पर संवैधानिक पाबंदी जारी रहनी चाहिए या इसे हटाया जाना चाहिए। चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में संकेत मिले हैं कि नतीजे बहुत करीबी रह सकते हैं और इसका निष्कर्ष उन मतदाताओं के हाथों में है जिन्होंने अभी मुद्दे को लेकर अपना मन नहीं बनाया है।

आयरलैंड पारंपरिक रूप से यूरोप के सबसे धार्मिक देशों में से एक है। हालांकि बाल यौन उत्पीड़न के मामले प्रकाश में आने के बाद हाल के वर्षों में कैथोलिक चर्च का प्रभाव कम हुआ है। इस जनमत संग्रह से करीब तीन साल पहले आयरलैंड ने समान लिंग के लोगों के बीच विवाह के पक्ष में मतदान किया था। जनमत संग्रह के लिए पड़े वोटों की गिनती कल सुबह होगी और दिन में इसके नतीजे की घोषणा होने की संभावना है।

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