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रूस से अब जॉर्जिया जाएंगे जयशंकर, रूसी विदेश मंत्री की भारत के बाद पाकिस्तान यात्रा का जवाब?

एस जयशंकर तीन दिनों की रूस यात्रा के बाद पड़ोसी देश जॉर्जिया का दौरा करने जा रहे हैं। 1991 में जॉर्जिया के स्वतंत्र होने के बाद से यह भारतीय विदेश मंत्री की पहली आधिकारिक यात्रा होगी। रूस और जॉर्जिया के संबंध भारत और पाकिस्तान की तरह ही कटुता भरे हैं। ऐसे में भारत की इस यात्रा को बड़ा कूटनीतिक बदलाव माना जा रहा है।

नवभारतटाइम्स.कॉम 8 Jul 2021, 11:09 pm
मॉस्को
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पीएम मोदी-पुतिन और जयशंकर

भारत ने रूस के बढ़ते पाकिस्तान प्रेम पर करारा जवाब दिया है। तीन दिनों के दौरे पर मॉस्को पहुंचे भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर अब 9 और 10 जुलाई को रूस के कट्टर विरोधी देश जॉर्जिया की यात्रा करने जा रहे हैं। जॉर्जिया से रूस का ठीक वैसा ही संबंध है, जैसा भारत का पाकिस्तान के साथ है। भारतीय विदेश मंत्री की 1991 में रूस से स्वतंत्र हुए जार्जिया की यह पहली आधिकारिक यात्रा होगी।

क्या रूस को जवाब देने की कोशिश कर रहा भारत?
कूटनीतिक हलकों में भारतीय विदेश मंत्री की जॉर्जिया यात्रा को रूस को कड़ा जवाब के रूप में देखा जा रहा है। आज से पहले रूस को नाराज न करने के उद्देश्य से भारत जॉर्जिया के साथ संबंधों को बढ़ाने से बचता आया है। लेकिन, इस बाद एस जयशंकर की इस यात्रा को भारतीय कूटनीति में बड़ा बदलाव माना जा रहा है।इसी साल 6 अप्रैल को रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव 19 घंटे की भारत यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे थे। तब रूस की तरफ से बताया गया था कि इस यात्रा का उद्देश्य वार्षिक भारत-रूस सम्मेलन के लिए तैयारियों को अंतिम रूप देना है। भारत यात्रा के बाद रूसी विदेश मंत्री पाकिस्तान के दौरे पर भी पहुंचे थे।

रूस-जॉर्जिया संबंध भारत और पाकिस्तान की तरह
जॉर्जिया की आजादी के बाद से ही रूस के साथ उसके संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। रूसी सेना ने जॉर्जियाई क्षेत्र के लगभग 20 फीसदी हिस्से पर 1990 के दशक में सोवियत संघ के टूटने के बाद से कब्जा किया हुआ है। इस क्षेत्र में दक्षिणी ओसेशिया और अबखाजिया का क्षेत्र भी शामिल है जहां के लोग आज भी रूसी पासपोर्ट पर यात्रा करते हैं। 2008 में दोनों देश बड़ी जंग भी लड़ चुके हैं। जॉर्जिया अमेरिका का सहयोगी देश है। इस कारण भी उसका रूस के साथ तनाव बना रहता है।

9 साल में पहली बार पाकिस्तान पहुंचे रूसी विदेश मंत्री
भारतत के साथ संबंधों को लेकर रूस शुरू से ही पाकिस्तान से किनारा करता रहा है। लेकिन, 2009 के बाद भारत और अमेरिका के बीच घनिष्ठ संबंधों के बनने से बेचैन रूस ने पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना शुरू कर दिया। यही कारण है कि भारत के लाख विरोध के बावजूद रूसी सेना ने पाकिस्तान के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास किया।

पाकिस्तान को विशेष सैन्य हथियार देगा रूस
रूसी विदेश मंत्री ने तब ऐलान किया था कि उनका देश पाकिस्तान को विशेष सैन्य हथियार मुहैया कराएगा। शीत युद्ध काल के इन दो विरोधियों के बीच आतंकवाद से लड़ने में सहयोग बढ़ाने और संयुक्त नौसैन्य एवं भूमि अभ्यास करने पर सहमति भी बनी। रूस ने हालांकि यह नहीं बताया था कि वह पाकिस्तान को कौन सा हथियार देगा। जाहिर है कि रूस की इसी बात से भारत चिंतित था।

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