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चीन के उइगुर मुसलमानों पर तुर्की ने तोड़ी चुप्पी, राष्ट्रपति एर्दोगन ने शी जिनपिंग से की बात

तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने शी जिनपिंग के साथ बातचीत में उइगुर मुसलमानों का मुद्दा उठाया। एर्दोगन ने चीन की नाराजगी से बचने के लिए तुर्की के साथ संबंधों के महत्व पर भी जोर दिया। माना जा रहा है कि एर्दोगन इस मुद्दे को उठाकर मुसलमान जगत में सबसे बड़ा नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं।

Curated byप्रियेश मिश्र | नवभारतटाइम्स.कॉम 14 Jul 2021, 5:39 pm
अंकारा
नवभारतटाइम्स.कॉम Recep Tayyip Erdogan and Xi Jinping

इस्लामिक देशों के नए खलीफा बनने का ख्वाब देख रहे तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयर एर्दोगन ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से उइगुर मुसलमानों को लेकर बातचीत की है। फोन पर हुई इस बातचीत में एर्दोगन ने कहा कि उइगर मुसलमान चीन के समान नागरिक के रूप में शांति से रहें। उन्होंने जिनपिंग की नाराजगी से बचने के लिए यह भी कहा कि तुर्की चीन की राष्ट्रीय संप्रभुता का सम्मान करता है।

एर्दोगन ने मुद्दा भी उठाया और तारीफ भी की
तुर्की के राष्ट्रपति के एक बयान के अनुसार, एर्दोगन ने जिनपिंग के साथ फोन कॉल पर द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की। तुर्की के राष्ट्रपति कार्यालय के बयान में कहा गया है कि एर्दोगन ने कहा कि तुर्की के लिए यह महत्वपूर्ण है कि उइगर तुर्क चीन के समान नागरिकों के रूप में समृद्धि और शांति से रहें। उन्होंने चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को लेकर तुर्की के सम्मानजनक नजरिये को भी प्रदर्शित किया।

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चीन को फांसने की कोशिश में जुटे हैं एर्दोगन
एर्दोगन ने शी जिनपिंग से कहा कि तुर्की और चीन के बीच वाणिज्यिक और राजनयिक संबंधों की उच्च संभावना है। दोनों नेताओं ने ऊर्जा, व्यापार, परिवहन और स्वास्थ्य सहित कई क्षेत्रों पर चर्चाएं की। बता दें कि एशिया में भारत विरोधी गुट बनाने के लिए तुर्की पाकिस्तान और चीन को साध रहा है। ये तीनों देश रक्षा, व्यापार और कूटनीति के क्षेत्र में करीबी संबंध बना रहे हैं। यही कारण है कि तुर्की ने अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी के बाद काबुल हवाई अड्डे की जिम्मेदारी खुद उठाने का फैसला किया है।


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तुर्की-चीन प्रत्यर्पण संधि से नाराज हैं उइगुर मुसलमान
पिछले साल दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि पर सहमति बनने के बाद तुर्की में रहने वाले 40,000 उइगुरों ने विरोध जताया था। टर्किश बोलने वाले इन मुसलमानों ने अंकारा की विदेश नीति को लेकर सवाल उठाए थे। जिसके बाद तुर्की के विदेश मंत्री ने सफाई देते हुए कहा था कि यह समझौता वैसे ही है, जैसा तुर्की ने बाकी देशों के साथ किया है। उन्होंने इससे इनकार किया कि उइगुरों को वापस चीन भेजा जाएगा।

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चीन ने 10 लाख उइगुरों को किया है कैद
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों और मानवाधिकार समूहों का अनुमान है कि हाल के वर्षों में चीन के पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र में बने डिटेंशन कैंपों मे करीब 10 लाख उइगुर मुसलमानों को कैद करके रखा हुआ है। इसमें मुख्य रूप से तुर्की भाषा बोलने वाले उइगुर और दूसरे अल्पसंख्यक मुसलमान शामिल हैं। चीन ने शुरू में तो इन डिटेंशन कैंपों के अस्तित्व से इनकार किया लेकिन बाद में कहा कि व्यावसायिक केंद्र हैं और चरमपंथ का मुकाबला करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। चीन उइगुर मुसलमानों से दुर्व्यवहार के सभी आरोपों से इनकार करता रहा है।
लेखक के बारे में
प्रियेश मिश्र
नवभारत टाइम्स डिजिटल में डिजिटल कंटेंट राइटर। पत्रकारिता में दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, अमर उजाला जैसी संस्थाओं के बाद टाइम्स इंटरनेट तक 5 साल का सफर जो इंदौर से शुरू होकर एनसीआर तक पहुंचा है पर दिल गौतम बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर और गोरक्षनाथ की धरती गोरखपुर में बसता है। देश-विदेश, अंतरराष्ट्रीय राजनीति/कूटनीति और रक्षा क्षेत्र में खास रुचि। डिजिटल माध्यम के नए प्रयोगों में दिलचस्पी के साथ सीखने की सतत इच्छा।... और पढ़ें

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