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पैगंबर कार्टून व‍िवाद ही नहीं इस वजह से भी फ्रांस और तुर्की में भड़क रही चिंगारी

France Turkey Cartoon: फ्रांस और तुर्की के बीच व‍िवाद बढ़ता ही जा रहा है। इस व‍िवाद की जड़ पैगंबर का कार्टून ही नहीं अफ्रीका में वर्चस्‍व की बढ़ती जंग भी है। तुर्की की कोशिश अफ्रीका के मुस्लिम बहुल देशों से फ्रांस का प्रभाव कम करना है।

नवभारतटाइम्स.कॉम 30 Oct 2020, 3:33 pm

हाइलाइट्स

  • पैगंबर मोहम्‍मद साहब कार्टून विवाद में पेरिस और तुर्की के बीच विवाद गहराता जा रहा है
  • फ्रांस और तुर्की के बीच इस कूटनीतिक लड़ाई के पीछे अफ्रीका में वर्चस्‍व की जंग भी छिपी हुई
  • तुर्की के राष्‍ट्रपति ने आरोप लगाया था कि पश्चिमी देश एक बार फिर से धर्मयुद्ध शुरू करना चाहते हैं
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नवभारतटाइम्स.कॉम erdogan emmanuel
तुर्की और फ्रांस के बीच तेजी से बढ़ रहा है तनाव
पेरिस/अंकारा
फ्रांस के एक शिक्षक की गला काटकर निर्मम तरीके से हत्‍या कर दिए जाने के बाद से ही पेरिस और तुर्की के बीच विवाद गहराता जा रहा है। फ्रांस और तुर्की के बीच अभिव्‍यक्ति की आजादी बनाम धार्मिक संवेदनशीलता की इस कूटनीतिक लड़ाई के पीछे अफ्रीका में वर्चस्‍व की जंग भी छिपी हुई है। खलीफा बनने की चाहत रखने वाले तुर्की के राष्‍ट्रपति रेसेप तैयब एर्दोगान ने बुधवार को आरोप लगाया था कि पश्चिमी देश एक बार फिर से धर्मयुद्ध शुरू करना चाहते हैं।
एर्दोगान का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुअल मैक्रां ने पैगंबर मोहम्‍मद साहब के कार्टून के प्रकाशन का समर्थन किया है। तुर्की के राष्‍ट्रपति ने कहा कि यह तुर्की के लिए एक सम्‍मान की बात है कि वह पैगंबर के खिलाफ होने वाले हमले के खिलाफ खड़ा हो जो मक्‍का, मदीना, अफ्रीका, एशिया, यूरोप और पूरे विश्‍व में हमेशा से ही आदरणीय रहे हैं।

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लीबिया में चल रही जंग में फ्रांस और तुर्की आमने-सामने
तुर्की के एडम शोध संस्‍थान में विश्‍लेषक सिनान उल्‍गेन का मानना है कि अपने इस बयान के जरिए एर्दोगान ने यह दिखाने की कोशिश की कि वह पूरी दुनिया में मुस्लिमों के अधिकारों के रक्षक हैं। उल्‍गेन ने कहा, 'कार्टून को लेकर चल रहा विवाद दोनों देशों के बीच बढ़ रही प्रतिस्‍पर्द्धा का हिस्‍सा है। फ्रांस ने संयुक्‍त अरब अमीरात के साथ मिलकर एक रणनीतिक गठजोड़ बनाया है ताकि पश्चिम एशिया और उत्‍तरी अफ्रीका में राजनीतिक इस्‍लाम के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला किया जा सके।

उल्‍गेन ने कहा कि तुर्की इससे उलट दूसरे धड़े में शामिल है और वह अन्‍य देशों के साथ अपने संबंधों के जरिए राजनीतिक इस्‍लाम और मुस्लिम ब्रदरहूड को बढ़ावा दे रहा है। लीबिया में चल रही जंग में फ्रांस और तुर्की दोनों ही अलग-अलग धड़े का समर्थन कर रहे हैं। एर्दोगान वर्तमान राष्‍ट्रपति अब्‍देल फतह अल सीसी के धुर व‍िरोधी हैं जबकि लीबिया के राष्‍ट्रपति को फ्रांस का खुला समर्थन हासिल है।

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अफ्रीका के मुस्लिम बहुल देशों में फ्रांस का काफी प्रभाव
ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एमरे कलिस्‍कान ने कहा कि पश्चिमी अफ्रीका के मुस्लिम बहुल देशों में फ्रांस का काफी प्रभाव है। ये देश फ्रांस के उपन‍िवेश रह चुके हैं। तुर्की अब फ्रांस के इसी प्रभाव को चुनौती दे रहा है। उन्‍होंने कहा क‍ि तुर्की एक उभरती हुई शक्ति है और नया है। उसके हित और उपस्थिति फ्रांसीसी हितों को चुनौती दे रहे हैं। तुर्की लीबिया के आसपास के इलाकों पर अपनी पकड़ सुनिश्चिम करना चाहता है। हमने देखा है कि एर्दोगान ने हाल ही में नाइजर की यात्रा की है और माली के साथ सहयोग को बढ़ाया है।

इसी साल तुर्की ने नाइजर के साथ एक रक्षा समझौता किया है। तुर्की की सेना पहले ही लीबिया में मौजूद है। व‍िश्‍लेषकों का कहना है कि अभी के लिए तुर्की की कोशिश इस इलाके में रणनीतिक उपस्थिति बनानी है। यही नहीं तुर्की की कंपनियों की नजर अफ्रीका के उभरते हुए बाजार पर है जहां पर फ्रांसीसी कंपनियों का अभी दबदबा है। विश्‍लेषकों का कहना है कि इस वजह से भी तुर्की और फ्रांस के बीच यह विवाद गहराता जा रहा है।

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