मैरीलैंड
शुक्र ग्रह यानी Venus (वीनस) को लेकर अभी तक माना जाता रहा है कि इसके ज्वालामुखी खत्म हो चुके हैं लेकिन एक ताजा स्टडी में इससे उलट कम से कम 37 ऐसे ज्वालामुखी पाए गए हैं जो ऐक्टिव थे। इन्हें कोरोने (Coronae) नाम दिया गया है। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड और ज्यूरिक के इंस्टिट्यूट ऑफ जियोफिजिक्स के रिसर्चर्स ने 3डी मॉडल्स के जरिए यह पता लगाया है कि ये कोरोने 50 करोड़ साल पहले की ऐक्टिविटी नहीं बल्कि हाल के वक्त में बने हैं। गहराई से समझा जा सकेगा शुक्र
रिंग जैसे ढांचे तब बने जब वीनस के अंदर का गर्म मटीरियल मैंटल (Mantle) से होते हुए क्रस्ट (Crust) से बाहर आ गया। इस खोज के साथ वीनस को लेकर वैज्ञानिक नजरिया बदलने की संभावना है। मैरीलैंड के प्रफेसर लॉरेन्ट मॉन्टेसी ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है कि वीनस पर खास स्ट्रक्चर को पहचाना जा सका है और पता लगा है कि ये कोई पुरातन ज्वालामुखी नहीं, हाल में सक्रिय है। मॉन्टेसी ने कहा है कि इसके साथ इनके बनने की प्रक्रिया को पहचाना जा सकता है और सिर्फ ऐक्टिव ज्वालामुखी के फीचर्स को समझा जा सकता है।
2035 तक मंगल पर इंसान भेजने से पहले शुक्र की ट्रिप करा सकता है NASA
इसलिए अहम यह जानकारी
वीनस पर ऐसे 37 ज्वालामुखी आसपास ही मिले हैं। माना जा रहा है कि ग्रह के कुछ हिस्से ज्यादा ऐक्टिव हैं और इससे उसकी टेक्टॉनिक ऐक्टिविटी को समझा जा सकता है। यह इसलिए खास है क्योंकि भविष्य में अगर शुक्र पर रोवर भेजा जाता है, तो उसे कहां भेजना है, इसे तय करने में मदद मिलेगी। यूरोप का EnVision प्रॉजेक्ट 2032 में वीनस के लिए लॉन्च हो सकता है।
NASA के ऐस्ट्रनॉट्स भी जा सकते हैं
अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA (नैशनल ऐरोनॉटिक्स ऐंड स्पेस ऐडमिनिस्ट्रेशन) भी 2035 तक पहली बार इंसानों को मंगल मिशन पर भेजने पर काम कर रही है और इसे लेकर वैज्ञानिकों की राय है कि मंगल पर जाने से पहले वीनस (शुक्र) पर जाना चाहिए। टीम को लगता है कि वीनस की ग्रैविटी को 'स्लिंगशॉट' की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है जिससे कम समय और ईंधन खर्च करके मंगल तक पहुंचा जा सकता है।
शुक्र ग्रह यानी Venus (वीनस) को लेकर अभी तक माना जाता रहा है कि इसके ज्वालामुखी खत्म हो चुके हैं लेकिन एक ताजा स्टडी में इससे उलट कम से कम 37 ऐसे ज्वालामुखी पाए गए हैं जो ऐक्टिव थे। इन्हें कोरोने (Coronae) नाम दिया गया है। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड और ज्यूरिक के इंस्टिट्यूट ऑफ जियोफिजिक्स के रिसर्चर्स ने 3डी मॉडल्स के जरिए यह पता लगाया है कि ये कोरोने 50 करोड़ साल पहले की ऐक्टिविटी नहीं बल्कि हाल के वक्त में बने हैं।
रिंग जैसे ढांचे तब बने जब वीनस के अंदर का गर्म मटीरियल मैंटल (Mantle) से होते हुए क्रस्ट (Crust) से बाहर आ गया। इस खोज के साथ वीनस को लेकर वैज्ञानिक नजरिया बदलने की संभावना है। मैरीलैंड के प्रफेसर लॉरेन्ट मॉन्टेसी ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है कि वीनस पर खास स्ट्रक्चर को पहचाना जा सका है और पता लगा है कि ये कोई पुरातन ज्वालामुखी नहीं, हाल में सक्रिय है। मॉन्टेसी ने कहा है कि इसके साथ इनके बनने की प्रक्रिया को पहचाना जा सकता है और सिर्फ ऐक्टिव ज्वालामुखी के फीचर्स को समझा जा सकता है।
2035 तक मंगल पर इंसान भेजने से पहले शुक्र की ट्रिप करा सकता है NASA
इसलिए अहम यह जानकारी
वीनस पर ऐसे 37 ज्वालामुखी आसपास ही मिले हैं। माना जा रहा है कि ग्रह के कुछ हिस्से ज्यादा ऐक्टिव हैं और इससे उसकी टेक्टॉनिक ऐक्टिविटी को समझा जा सकता है। यह इसलिए खास है क्योंकि भविष्य में अगर शुक्र पर रोवर भेजा जाता है, तो उसे कहां भेजना है, इसे तय करने में मदद मिलेगी। यूरोप का EnVision प्रॉजेक्ट 2032 में वीनस के लिए लॉन्च हो सकता है।
NASA के ऐस्ट्रनॉट्स भी जा सकते हैं
अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA (नैशनल ऐरोनॉटिक्स ऐंड स्पेस ऐडमिनिस्ट्रेशन) भी 2035 तक पहली बार इंसानों को मंगल मिशन पर भेजने पर काम कर रही है और इसे लेकर वैज्ञानिकों की राय है कि मंगल पर जाने से पहले वीनस (शुक्र) पर जाना चाहिए। टीम को लगता है कि वीनस की ग्रैविटी को 'स्लिंगशॉट' की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है जिससे कम समय और ईंधन खर्च करके मंगल तक पहुंचा जा सकता है।