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जब धरती पर था डायनासोर का राज तो पानी में थी इस 'राक्षस' की हुकूमत, 18 फुट लंबा जीव

Ectenosaurus Everhartorum : आज से करोड़ों साल पहले धरती पर अजीबोगरीब विशालकाय जीवों का राज था। इनका आकार बेहद बड़ा और शिकार के लिहाज से ये बेहद खतरनाक होते थे। इसी तरह का एक जीव समुद्र में भी पाया जाता था।

Curated byयोगेश मिश्रा | नवभारतटाइम्स.कॉम 13 Sep 2021, 10:08 am
वॉशिंगटन
नवभारतटाइम्स.कॉम mosasaur
Photo Credit : Mike Evehart

आज से करीब 8 करोड़ साल पहले जब धरती पर डायनासोर का राज था तब पानी में किसी और की हुकूमत चलती थी। Mosasaur नाम के समुद्री जीव को अगर 'दानव' कहें तो गलत नहीं होगा क्योंकि इसका 18 फुट लंबा आकार और शिकार के नेस्तानाबूत कर देने वाले नुकीले दांत बिल्कुल किसी राक्षस की तरह ही थे। यह जीव अमेरिका के पश्चिमी कैनसस में पाया जाता था।

70 के दशक में हुई थी जीवाश्म की खोज
पुरातत्व विज्ञानियों ने इसके अवशेषों की खोज 1970 के दशक में की थी लेकिन इसकी पहचान करने में उन्हें कठिनाई हुई। लिहाजा उन्होंने इसे कैनसस में फोर्ट हेज़ स्टेट यूनिवर्सिटी के स्टर्नबर्ग म्यूज़ियम ऑफ़ नैचरल हिस्ट्री (FHSM) में प्लेटकार्पस जीनस में अन्य मोसासौर सैंपल्स के साथ स्टोर कर दिया। हाल में वैज्ञानिकों ने खोपड़ी, जबड़े और सिर के पीछे से कुछ हड्डियों के टुकड़े जैसे जीवाश्मों पर दोबारा गौर किया और पाया कि सरीसृप का संबंध प्लेटकार्पस जीनस से नहीं था।

सैंपल को मिला दुर्लभ प्रजाति का नाम
नई जांच में सामने आया कि यह एक दुर्लभ मसासौर प्रजाति का बेहद करीबी रिश्तेदार था। अभी तक इस नई प्रजाति को सैंपल FHSM VP-5515 के रूप में जाना जाता था, अब इसे इक्‍टोनोसौरस इवरहाटोरम (Ectenosaurus Everhartorum) नाम दिया गया है। यह Ectenosaurus में दूसरी ज्ञात प्रजाति है। इसके अलावा एकमात्र अन्य प्रजाति Ectenosaurus Clidastoides है, जो जांच के बाद 1967 में सामने आई थी।

दो फीट लंबा सिर और पतला मुंहइस जीव का सिर करीब 2 फीट लंबा था। अन्य मोसासौर की तरह इसका मुंह भी पतला और लंबा था। रिसर्च के को-ऑथर ताकुया कोनिशी ने इस बारे में जानकारी दी है। वह Vertebrate Paleontologist और University of Cincinnati में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।
लेखक के बारे में
योगेश मिश्रा
योगेश नवभारत टाइम्स डिजिटल में पत्रकार हैं और अंतरराष्ट्रीय खबरें आप तक पहुंचाते हैं। इन्होंने पत्रकारिता की शुरुआती पढ़ाई यानी ग्रेजुएशन माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से की और पोस्ट ग्रेजुएशन बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (लखनऊ) से किया। पत्रकारिता में अनुभव अब पांच साल के पड़ाव को पार कर चुका है। खबरों से इतर योगेश को साहित्य में गहरी दिलचस्पी है। योगेश का मानना है कि पत्रकारिता भी साहित्य की एक विधा है जैसे रेखाचित्र या संस्मरण।... और पढ़ें

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