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Mars Aurora: धरती की तरह मंगल पर भी दिखा अद्भुत ऑरोरा, UAE के 'Hope' ने देखा रंग-बिरंगी रोशनियों का खूबसूरत नजारा

Aurora on Earth : ग्रह भौतिक विज्ञानी और अमीरात मार्स मिशन के सहयोगी रॉब लिलिस ने दावा किया कि वैज्ञानिकों को होप की तस्वीरों में जो मिला उससे उनके होश उड़ गए। वैज्ञानिक ने दावा किया कि टीम ने नवंबर के बाद से मंगल ग्रह पर इस तरह के कई लाइट शो देखे हैं।

Curated byयोगेश मिश्रा | नवभारतटाइम्स.कॉम 4 May 2022, 12:30 am
दुबई : वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर एक विशालकाय ऑरोरा को देखा है जो पहले कभी नहीं देखा गया। ऑरोरा, वातावरण में नजर आने वाली रंग-बिरंगी रोशनियां, को कीड़े जैसी आकृति का बताया गया है जो ग्रह में हजारों किमी तक फैली हुई थी। मंगल के अंधेरे आसमान में इसके विशाल घुमावदार रूप का वर्णन करने के लिए इसे 'सिनियस डिस्क्रीट ऑरोरा' नाम दिया गया है। इस अद्भुत नजारे को संयुक्त अरब अमीरात स्पेस एजेंसी के होप प्रोब पर लगे कैमरे ने रिकॉर्ड किया है।
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(फोटो साभार : ट्विटर)


इस नई खोज के बाद वैज्ञानिकों ने मंगल और उसके वातावरण के बारे में और अधिक नए सवाल उठाए हैं। ग्रह भौतिक विज्ञानी और अमीरात मार्स मिशन के सहयोगी रॉब लिलिस ने दावा किया कि वैज्ञानिकों को होप की तस्वीरों में जो मिला उससे उनके होश उड़ गए। उन्होंने दावा किया कि टीम ने नवंबर के बाद से मंगल ग्रह पर इस तरह के कई लाइट शो देखे हैं। उन्होंने कहा कि ऑरोरा लंबे समय तक पृथ्वी पर रहस्य बनी रहीं।
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धरती पर नजर आता रहता है ऑरोरा
लिलिस ने कहा कि लंबे समय बाद हमें समझ आया कि ये वास्तव में इलेक्ट्रॉनों की उच्च-ऊर्जा वाली धाराएं हैं जो मूल रूप से सूर्य से आती हैं जिन्हें ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र गति देता है। चाहें वह पृथ्वी हो या मंगल, ये इलेक्ट्रॉनों सभी के वातावरण में प्रवेश करते हैं जिनसे ग्रह का वातावरण जगमगा उठता है। धरती पर अक्सर इस तरह का ऑरोरा दिखाई पड़ता है। पिछले महीने आइसलैंड से सामने आई अद्भुत तस्वीरों में बादलों से औरोरा की बारिश जैसा नजारा देखने को मिला था।

कैसे बनता है अद्भुत ऑरोरा?औरोरा की किरणें गोआफॉस वॉटरफॉल के पास नजर आई थीं जो आइसलैंड के दूसरे सबसे बड़े शहर अकुरेयरी से 45 मिनट की दूरी पर स्थित है। उच्च अक्षांश वाले क्षेत्रों में कई बार वायुमंडल में मौजूद कणों के आवेशित होने के चलते आसमान में खूबसूरत रोशनी देखने को मिलती है। जब सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र से भारी मात्रा में आवेशित कण तेज गति से बाहर निकल कर पृथ्वी की चुंबकीय कक्षा में आते हैं तो ऑक्सीजन और नाइट्रोजन से प्रतिक्रिया कर लाल, हरा और बैंगनी रंग का जादुई संसार बनाते हैं।
लेखक के बारे में
योगेश मिश्रा
योगेश नवभारत टाइम्स डिजिटल में पत्रकार हैं और अंतरराष्ट्रीय खबरें आप तक पहुंचाते हैं। इन्होंने पत्रकारिता की शुरुआती पढ़ाई यानी ग्रेजुएशन माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से की और पोस्ट ग्रेजुएशन बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (लखनऊ) से किया। पत्रकारिता में अनुभव अब पांच साल के पड़ाव को पार कर चुका है। खबरों से इतर योगेश को साहित्य में गहरी दिलचस्पी है। योगेश का मानना है कि पत्रकारिता भी साहित्य की एक विधा है जैसे रेखाचित्र या संस्मरण।... और पढ़ें

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