टोक्यो
यह तो हम जानते हैं कि चांद धरती का चक्कर काटता है लेकिन यह प्रक्रिया इतनी सी नहीं है। चांद दरअसल, धरती के केंद्र से 3000 मील दूर स्थित पॉइंट का चक्कर काटता है। धरती खुद उस पॉइंट पर घूमती है और खुद भी चक्कर बनाती है। यह जटिल सिस्टम शायद आसानी से समझ में ना आए। इसलिए जापानी स्पेस एजेंसी (JAXA) के प्लैनेटरी साइंटिस्ट जेम्स ओ डोनोगू ने एक ऐनिमेशन बनाया है जिससे साफ होता है कि धरती और उसका सबसे करीबी पड़ोसी, कैसे एक-दूसरे के चक्कर काटते हैं।
धरती-चांद सिस्टम के सेंटर ऑफ मास के इस स्पॉट को बैरिसेंटर कहा जाता है। यह एक ऐसा पॉइंट होता है जहां किसी ऑब्जेक्ट या सिस्टम को बैलेंस किया जा सकता है और इसके दोनों ओर सिस्टम का द्रव्यमान (mass) बराबर होता है। धरती-चांद का बैरिसेंटर धरती के केंद्र पर नहीं आता है बल्कि धरती की सतह के नीचे होता है। जेम्स ने जो ऐनिमेशन तैयार किया है, उसमें अगले तीन साल के लिए दोनों की स्थिति देखी जा सकती है। हालांकि, इसमें दोनों के बीच की दूरी सटीक नहीं है लेकिन पोजिशन सटीक है।
हर प्लैनेटरी सिस्टम ऐसे एक पॉइंट का चक्कर काटता है। हमारे सौर मंडल का बैरिसेंटर कभी सूरज के अंदर होता है, कभी बाहर। इनकी मदद से ऐस्ट्रोनॉमर किसी सितारे का चक्कर काट रहे ग्रहों का पता लगाते हैं। सितारे के मोशन से वैज्ञानिक उस द्रव्यमान को कैलकुलेट करते हैं, जो किसी सिस्टम में दिख न रहा हो। जेम्स खुद प्लूटो और उसके चांद शरॉन का ऐसा ही ऐनिमेशन तैयार कर चुके हैं। इस सिस्टम में प्लूटो का बैरिसेंटर उसके बाहर रहता है।
जेम्स ने ऐसे भी ऐनिमेशन बनाए हैं जिनमें पता चलता है कि लीप इयर क्यों जरूरी होता है और यह भी रोशनी की गति वाकई में कितनी कम है।
यह तो हम जानते हैं कि चांद धरती का चक्कर काटता है लेकिन यह प्रक्रिया इतनी सी नहीं है। चांद दरअसल, धरती के केंद्र से 3000 मील दूर स्थित पॉइंट का चक्कर काटता है। धरती खुद उस पॉइंट पर घूमती है और खुद भी चक्कर बनाती है। यह जटिल सिस्टम शायद आसानी से समझ में ना आए। इसलिए जापानी स्पेस एजेंसी (JAXA) के प्लैनेटरी साइंटिस्ट जेम्स ओ डोनोगू ने एक ऐनिमेशन बनाया है जिससे साफ होता है कि धरती और उसका सबसे करीबी पड़ोसी, कैसे एक-दूसरे के चक्कर काटते हैं।
धरती-चांद सिस्टम के सेंटर ऑफ मास के इस स्पॉट को बैरिसेंटर कहा जाता है। यह एक ऐसा पॉइंट होता है जहां किसी ऑब्जेक्ट या सिस्टम को बैलेंस किया जा सकता है और इसके दोनों ओर सिस्टम का द्रव्यमान (mass) बराबर होता है। धरती-चांद का बैरिसेंटर धरती के केंद्र पर नहीं आता है बल्कि धरती की सतह के नीचे होता है। जेम्स ने जो ऐनिमेशन तैयार किया है, उसमें अगले तीन साल के लिए दोनों की स्थिति देखी जा सकती है। हालांकि, इसमें दोनों के बीच की दूरी सटीक नहीं है लेकिन पोजिशन सटीक है।
हर प्लैनेटरी सिस्टम ऐसे एक पॉइंट का चक्कर काटता है। हमारे सौर मंडल का बैरिसेंटर कभी सूरज के अंदर होता है, कभी बाहर। इनकी मदद से ऐस्ट्रोनॉमर किसी सितारे का चक्कर काट रहे ग्रहों का पता लगाते हैं। सितारे के मोशन से वैज्ञानिक उस द्रव्यमान को कैलकुलेट करते हैं, जो किसी सिस्टम में दिख न रहा हो। जेम्स खुद प्लूटो और उसके चांद शरॉन का ऐसा ही ऐनिमेशन तैयार कर चुके हैं। इस सिस्टम में प्लूटो का बैरिसेंटर उसके बाहर रहता है।
जेम्स ने ऐसे भी ऐनिमेशन बनाए हैं जिनमें पता चलता है कि लीप इयर क्यों जरूरी होता है और यह भी रोशनी की गति वाकई में कितनी कम है।