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धरती से 40 प्रकाश वर्ष दूर मिला दूसरा सोलर सिस्टम, वैज्ञानिकों का अनुमान- यहां मिल सकता है जीवन

Holy Grail Solar System: वैज्ञानिकों का अनुमान है कि धरती से 40 प्रकाश वर्ष दूर स्थित सोलर सिस्टम में मौजूद ग्रहों पर जीवन हो सकता है। 2017 में जब इसके एक तारे की खोज की गई थी तो यह पृथ्वी की तरह लगता था।

Curated byयोगेश मिश्रा | नवभारतटाइम्स.कॉम 28 Nov 2021, 12:01 pm
वॉशिंगटन
नवभारतटाइम्स.कॉम solar system
Photo : NASA

वैज्ञानिकों ने उन ग्रहों के बारे में अधिक जानने के लिए 'होली ग्रेल' सोलर सिस्टम की जांच शुरू कर दी है जहां जीवन मौजूद हो सकता हैं। नासा के मुताबिक इस सोलर सिस्टम के केंद्र में स्थित तारा ट्रैपिस्ट-1 2017 में जब खोजा गया तब यह पृथ्वी जैसा दिखता था। तब से खगोलविदों ने सोलर सिस्टम के बारे में और अधिक जानकारी हासिल की है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इसमें ऐसे कई ग्रह मौजूद हैं जहां जीवन मौजूद हो सकता है।

Independent की रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है। नई रिसर्च से पता चलता है कि सात ग्रह पृथ्वी से काफी अलग हैं लेकिन अपनी कक्षा में 'सटीक रूप से एकसाथ' हैं। ये ग्रह संगीत के नोट्स की तरह व्यवस्थित हैं इसलिए वैज्ञानिक इनके लिए 'Harmony' शब्द का इस्तेमाल करते हैं। नई रिसर्च वैज्ञानिकों को उन ग्रहों के इतिहास को बेहतर ढंग से समझने में मदद करती है।
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40 प्रकाश वर्ष दूर ग्रहों तक पहुंचना असंभव
यह बताती है कि ये ग्रह कैसे बने जिससे यह पता चल सकता है कि क्या ग्रहों पर जीवन शुरू करने के लिए आवश्यक पानी और अन्य सामग्री मौजूद है। अभी तक के अनुमान कहते हैं कि ये ग्रह पृथ्वी से 10 गुना तेज बने होंगे। विशेषज्ञ रिसर्च के लिए जटिल प्रक्रियाओं पर निर्भर हैं क्योंकि वह 40 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित ग्रहों की चट्टानों का भौतिक निरीक्षण नहीं कर सकते। यूनिवर्सिटी ऑफ बोर्डो के एस्ट्रोफिजिसिस्ट सीन रेमंड ने एक बयान में कहा कि चट्टानी ग्रहों के बनने के बाद उनमें चीजें टकराती हैं, इसे बॉम्बार्डमेंट या लेट एक्सरेशन कहा जाता है।

ग्रहों पर मौजूद हो सकता है पानी और जीवनउन्होंने कहा कि हम इस पर ध्यान देते हैं क्योंकि ये प्रभाव पानी और जीवन को बढ़ावा देने वाले अस्थिर तत्वों का एक महत्वपूर्ण स्रोत हो सकते हैं। फिलहाल अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा मंगल पर जीवन के सबूत ढूंढ रही है। नासा के रोवर मंगल पर जांच कर रहे हैं और लगातार तस्वीरें भेज रहे हैं। माना जा रहा है कि कई साल पहले मंगल पर महासागर और नदियां मौजूद थे।
लेखक के बारे में
योगेश मिश्रा
योगेश नवभारत टाइम्स डिजिटल में पत्रकार हैं और अंतरराष्ट्रीय खबरें आप तक पहुंचाते हैं। इन्होंने पत्रकारिता की शुरुआती पढ़ाई यानी ग्रेजुएशन माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से की और पोस्ट ग्रेजुएशन बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (लखनऊ) से किया। पत्रकारिता में अनुभव अब पांच साल के पड़ाव को पार कर चुका है। खबरों से इतर योगेश को साहित्य में गहरी दिलचस्पी है। योगेश का मानना है कि पत्रकारिता भी साहित्य की एक विधा है जैसे रेखाचित्र या संस्मरण।... और पढ़ें

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