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1908 Siberia Explosion: 113 साल पहले साइबेरिया में उल्कापिंड से हुआ था रहस्यमय धमाका? रिसर्च में दावा, टला था महाविनाश

The Tunguska event: रूस के साइबेरिया में 30 जून, 1908 को एक घटना में विस्फोट हुआ जिससे पूरा जंगल तबाह हो गया। एक टीम ने अब कहा है कि विस्फोट ऐस्टरॉइड के असर से हुआ होगा।

नवभारतटाइम्स.कॉम 19 Mar 2021, 6:17 pm
पश्चिमी साइबेरिया के दूरस्थ इलाके में तुंगूस्का नदी (The Tunguska event) के किनारे एक विस्फोट से पूरा जंगल जमींदोज हो गया। दिन था 30 जून, 1908। खास बात यह थी कि यहां कोई गड्ढा नहीं था जिसकी वजह से दशकों से यह विस्फोटक वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली बना रहा है। अब साइबेरिया फेडरल यूनिवर्सिटी के डैनील ख्रेनिकोव और उनके साथियों ने ऐसा मॉडिल पेश किया है जिससे साबित हो सकता है कि यह विस्फोट आखिर हुआ कैसे था। ख्रेनिकोव और उनकी टीम इसके पीछे एक ऐस्टरॉइड को वजह बताते हैं जो धरती से छूकर गुजर गया। यह काफी छिछले ऐंगल पर धरती के वायुमंडल में दाखिल हुआ और फिर स्पेस में चला गया।
नवभारतटाइम्स.कॉम scientists suggest an iron meteorite caused the 1908 siberia explosion tunguska event
1908 Siberia Explosion: 113 साल पहले साइबेरिया में उल्कापिंड से हुआ था रहस्यमय धमाका? रिसर्च में दावा, टला था महाविनाश



उड़ गया था जंगल

टीम का कहना है, 'हमें लगता है कि तुंगूस्का इवेंट लोहे के ऐस्टरॉइड से हुआ जो धरती के वायुमंडल को छूता हुआ निकल गया।' अगर ऐसा हुआ होगा तो धरती एक महाविनाश की घटना से बच गई। अभी तक माना जाता रहा है कि यह विस्फोट धूमकेतु जैसे बर्फीले ऑब्जेक्ट के कारण हुआ होगा। बर्फ पिघल कर हवा में ही वाष्पित हो गई और जमीन पर टक्कर हुई ही नहीं। इसके नतीजतन बिना जमीन से टकराए जंगल उड़ गया। हालांकि, प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि उस वक्त ऐसा लगा जैसे आसमान दो हिस्सों में फट गया। भयानक विस्फोट हुआ और आग लग गई।

क्या हुआ होगा...

ख्रेनिकोव और उनके साथियों ने चट्टानों, धातु और बर्फ से बने उल्कापिंडों से जुड़े सिम्यूलेशन को ऑब्जर्व किया। इसे 12 मील प्रतिसेकंड की रफ्तार से वायुमंडल से गुजरता दिखाया गया। उल्कापिंड कम से कम 11 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से वायुमंडल में दाखिल होते हैं। घर्षण की वजह से ये गर्म होते हैं। ऐसे में लोहा जहां 3000 डिग्री सेल्सियस पर वाष्पित होता है, वहीं पानी 100 डिग्री सेल्सियस पर। ऐसे में बर्फीले उल्कापिंड के इतनी देर टिकने की संभावना कम रही होगी और यह 186 मील से ज्यादा नहीं जा सका होगा। वहीं, तुंगूस्का इवेंट के सबूतों से पता चला है कि यह जिस ऑब्जेक्ट की वजह से हुआ होगा, वह वायुमंडल में 435 मील रहा होगा।

टला महाविनाश

ख्रेनिकोव और उनकी टीम का कहना है कि यह विस्फोट लोहे के उल्कापिंड की वजह से हुआ होगा जो फुटबॉल स्टेडियम के आकार का रहा होगा। यह ऊपरी वायुमंडल से गुजरा होगा, तेजी से गर्म होने के बाद वापस सौर मंडल में चला गया। इसकी शॉक वेव की वजह से पेड़ खत्म हो गए। इससे उड़ा लोहा धूल बनकर गिर गया होगा जिसे जमीन पर अलग से पहचाना नहीं जा सका। इसीलिए ऐस्टरॉइड के निशान नहीं मिले। दिलचस्प बात यह है कि घटना के बाद यूरोप के ऊपर धूल देखी भी गई थी। अगर टीम का यह अंदाजा सही है तो धरती से उस दिन महाविनाश से बच गई। 200 मीटर चौड़े ऐस्टरॉइड के गिरने से साइबेरिया तबाह हो जाता और 3 किमी का गड्ढा बन सकता था। इससे बायोस्फीयर पर असर हो सकता था जिससे सभ्यता पर संकट पैदा हो जाता।

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