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Asteroid Apophis: वीडियो में दिखा धरती के करीब से गुजरता ऐस्टरॉइड अपोफिस, क्यों है इतना जरूरी?

Asteroid Apophis: ऐस्टरॉइड अपोफिस धरती के करीब से बिना नुकसान पहुंचाए गुजर गया। वैज्ञानिकों ने इस मौके का फायदा इसे स्टडी करने के लिए उठाया। ऐस्टरॉइड्स में जीवन से जुड़े कई रहस्य हो सकते हैं।

नवभारतटाइम्स.कॉम 7 Mar 2021, 10:11 am

हाइलाइट्स

  • धरती के करीब से गुजरा ऐस्टरॉइड अपोफिस 99942
  • बिना किसी नुकसान के 2021 में गुजरा गया है ऐस्टरॉइड
  • 2029 में होगा धरती के और करीब, 19 हजार मील की दूरी
  • हाल ही में ऐस्टरॉइज Itokawa के सैंपल पर अहम खोज
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नवभारतटाइम्स.कॉम ऐस्टरॉइड अपोफिस
ऐस्टरॉइड अपोफिस
वॉशिंगटन
ब्रह्मांड में धरती अकेली नहीं है। कई ऐसे अंतरिक्ष-यात्री हैं जो हमारे करीब से गुजरते हैं। इनमें से कुछ काफी दूरी से निकल जाते हैं लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जिनके ज्यादा करीब आने की संभावना होती है। ऐसा ही एक स्पेस ऑब्जेक्ट है ऐस्टरॉइड 99942 अपोफिस। यह ऐस्टरॉइड शनिवार को धरती के 1.04 करोड़ मील दूर से गुजर गया। यह दूरी अपने आप में काफी ज्यादा लगती है लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि इसके रास्ते पर असर होने से यह दूरी कम भी हो सकती है और भविष्य में यह धरती से टकरा भी सकता है।
शनिवार को जब यह धरती के करीब से गुजरा तो कई लोगों ने इसे ऑब्जर्व किया। कुछ लोगों ने इसकी तस्वीरें और वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर की हैं। खास बात यह है कि अगली बार जब 2029 में यह धरती के और करीब से निकलेगा तो इसे देखने के लिए किसी उपकरण की जरूरत नहीं पड़ेगी।


2029 में और कम होगी दूरी
करीब 3-4 फुटबॉल फील्ड्स के बराबर आकार वाले ऐस्टरॉइड अपोफिस का नाम ही यूनानी भाषा में 'तबाही के देवता' पर रखा है। इसके पीछे कारण यह है कि अगर कभी यह धरती से टकराता है तो परमाणु बम गिरने से भी हजारों गुना ज्यादा तबाही होगी। अभी तक के आकलन के मुताबिक यह ऐस्टरॉइड जब 2029 में फिर से धरती के करीब से गुजरेगा तब यह सिर्फ 19 हजार मील दूर होगा।


रास्ता बदला तो आ सकता है संकट
गुरुत्वाकर्षण के कारण ऐस्टरॉइड्स के रास्ते में बदलाव हो सकता है। इसके अलावा सूरज की गर्मी से पिघलने और फिर ठंडा होने पर रेडिएशन के उत्सर्जन से भी इनका रास्ता बदल सकता है। इसे Yarkovsky इफेक्ट कहते हैं। रेडिएशन की वजह से ऐस्टरॉइड पर फोर्स थ्रस्टर की तरह काम करती है। हालांकि, 2029 में इसके धरती से टकराने की आशंका नहीं है। अप्रैल 2068 में ऐसा होने की आशंका है लेकिन वह भी बहुत ज्यादा नहीं है।

यह ऐस्‍टरॉइड कितना शक्तिशाली है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह अगर पृथ्‍वी से टकराता है तो 88 करोड़ टन TNT के विस्‍फोट के बराबर असर होगा।


ऐस्टरॉइड पर नजर रखना क्यों जरूरी?
यही नहीं, ऐस्टरॉइड्स के धरती से करीब से गुजरने पर वैज्ञानिकों को इन्हें स्टडी करने का मौका मिलता है। धरती पर लगे टेलिस्कोप्स इनकी सतह के बारे में जानकारी इकट्ठा करते हैं। माना जाता है कि ऐस्टरॉइड्स शुरुआती ब्रह्मांड की कहानियों को समेटे होते हैं और उनसे न सिर्फ ब्रह्मांड की उत्पत्ति बल्कि धरती पर जीवन की शुरुआत के बारे में भी पता चल सकता है।

ऐस्टरॉइड सैंपल्स में छिपे हैं कई जवाब
हाल ही में एक स्टडी में पाया गया है कि ऐस्टरॉइड Itokawa से लाए गए सैंपल से वहां पानी और ऑर्गैनिक मैटर (Organic matter on Itokawa 25143) होने के सबूत मिले हैं। जापान का Hayabusa मिशन यह सैंपल लेकर आया था। Hayabusa 2 मिशन भी पिछले साल ऐस्टरॉइड Ryugu से सैंपल लेकर आया है और उन्हें भी जीवन की तलाश में स्टडी किया जाएगा। वहीं, NASA के Osiris-Rex स्पेसक्राफ्ट ने ऐस्टरॉइड Bennu से सैंपल इकट्ठा किए हैं और वह 2023 में धरती पर लौटेगा।

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