दुबई
सात सदस्यों वाले एक भारतीय परिवार ने दावा किया है कि वे शारजाह में बंदियों की तरह रह रहा है। उन्होंने यूएई सरकार से मदद की गुहार लगाई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्हें गिरफ्तारी और निर्वासन के भय से मुक्ति दिलाने के लिए उनको कानूनी निवासी का दर्जा दिया जाए।
खलीज टाइम्स की खबर के मुताबिक परिवार में तीन लोगों के पास वीजा और पासपोर्ट नहीं है। उन्होंने बताया कि उनके पास पर्याप्त खाना नहीं है और ऐसे भी दिन आए हैं जब उन्हें एक काबोस (अरबी ब्रेड) पर जीवित रहना पड़ा है। खबर में बताया गया कि केरल के मधुसूदनन (60) और उनकी श्रीलंकाई पत्नी रोहिणी (55) ने कहा कि वे चाहते हैं कि उनके बच्चों को सामान्य जीवन मिले सके जो अपनी जिंदगी में कभी स्कूल तक नहीं गए हैं। इसमें कहा गया कि उनकी चार बेटियां अश्वथि (29), संगीता (25), शांति (23) और गौरी (21) है और एक बेटा मिथुन (21) है। बेटा बेरोजगार है और अपने माता पिता के साथ शारजाह में जीर्ण शीर्ण दो कमरे के घर में रहता है।
मधुसूदनन ने कहा , ' मैं अपने पांचों बच्चों को स्कूल में दाखिला नहीं दिला सका क्योंकि उनका गैर कानूनी दर्जा था। उनके पास लंबे समय तक पासपोर्ट भी नहीं था। एक बार को छोड़कर उन्होंने यूएई के बाहर यात्रा नहीं की है। उन्होंने ताउम्र कष्ट झेला है। मैं चाहता हूं कि बच्चों को बेहतर जिंदगी मिले।'
रोहिणी ने कहा , 'बच्चे बाहर जाने में डरते हैं। हम बंदियों की तरह रह रहे है। मैंने अपने परिवार के लिए अपनी जिंदगी के 30 साल कुर्बान कर दिए। मेरे बच्चे बेहतर के हकदार हैं।' मधुसूदनन 1979 में बतौर कामगार यूएई आए थे और उन्होंने 1988 में रोहिणी से शादी की थी।
सात सदस्यों वाले एक भारतीय परिवार ने दावा किया है कि वे शारजाह में बंदियों की तरह रह रहा है। उन्होंने यूएई सरकार से मदद की गुहार लगाई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्हें गिरफ्तारी और निर्वासन के भय से मुक्ति दिलाने के लिए उनको कानूनी निवासी का दर्जा दिया जाए।
खलीज टाइम्स की खबर के मुताबिक परिवार में तीन लोगों के पास वीजा और पासपोर्ट नहीं है। उन्होंने बताया कि उनके पास पर्याप्त खाना नहीं है और ऐसे भी दिन आए हैं जब उन्हें एक काबोस (अरबी ब्रेड) पर जीवित रहना पड़ा है। खबर में बताया गया कि केरल के मधुसूदनन (60) और उनकी श्रीलंकाई पत्नी रोहिणी (55) ने कहा कि वे चाहते हैं कि उनके बच्चों को सामान्य जीवन मिले सके जो अपनी जिंदगी में कभी स्कूल तक नहीं गए हैं। इसमें कहा गया कि उनकी चार बेटियां अश्वथि (29), संगीता (25), शांति (23) और गौरी (21) है और एक बेटा मिथुन (21) है। बेटा बेरोजगार है और अपने माता पिता के साथ शारजाह में जीर्ण शीर्ण दो कमरे के घर में रहता है।
मधुसूदनन ने कहा , ' मैं अपने पांचों बच्चों को स्कूल में दाखिला नहीं दिला सका क्योंकि उनका गैर कानूनी दर्जा था। उनके पास लंबे समय तक पासपोर्ट भी नहीं था। एक बार को छोड़कर उन्होंने यूएई के बाहर यात्रा नहीं की है। उन्होंने ताउम्र कष्ट झेला है। मैं चाहता हूं कि बच्चों को बेहतर जिंदगी मिले।'
रोहिणी ने कहा , 'बच्चे बाहर जाने में डरते हैं। हम बंदियों की तरह रह रहे है। मैंने अपने परिवार के लिए अपनी जिंदगी के 30 साल कुर्बान कर दिए। मेरे बच्चे बेहतर के हकदार हैं।' मधुसूदनन 1979 में बतौर कामगार यूएई आए थे और उन्होंने 1988 में रोहिणी से शादी की थी।